एआईटीए माना, खिलाड़ियों ने दी बहिष्कार की धमकी
२१ अगस्त २०१०कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए पुरुष टीम के चार सदस्यों (लिएंडर पेस, महेश भूपति, सोमदेव देववर्मन और रोहन बोपन्ना) ने एआईटीए को एक खत लिख कर कहा कि अगर अगले महीने तक उन्हें बकाया भुगतान नहीं किया गया तो वह कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए उपलब्ध नहीं होंगे. महेश भूपति को भुगतान की कुछ राशि मिली है लेकिन उनके अलावा किसी अन्य खिलाड़ी को कॉमनवेल्थ तैयारियों के लिए कुछ भी नहीं मिला है.
एआईटीए महासचिव अनिल खन्ना ने गुरुवार को बहिष्कार की धमकी से इनकार किया था लेकिन शुक्रवार को उनके तेवर नरम पड़ गए और उन्होंने बताया कि इस बारे में खेल मंत्रालय से बातचीत की जा रही है. मामले को अगले एक हफ्ते में सुलझाए जाने की उम्मीद है. "सरकार खिलाड़ियों के प्रति संवेदनशील है और मुझे आशा है कि अगले एक सप्ताह में कोई समाधान तलाश लिया जाएगा."
अनिल खन्ना ने खेल मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक भी की लेकिन उस संबंध में उन्होंने जानकारी देने से इनकार कर दिया. हालांकि उनका दावा है कि मामले में प्रगति हुई है और खिलाड़ी कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए उपलब्ध रहेंगे.
एआईटीए ने खेल मंत्रालय से कहा है कि वह धमकी देने वाले हर पुरुष खिलाड़ी और सानिया मिर्जा को 17,250 अमेरिकी डॉलर की रकम का भुगतान करे. यह रकम इन खिलाड़ियों को कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियों के मद्देनजर दी जानी है. दो सालों के लिए बकाया राशि का भुगतान किया जाना है. खिलाड़ियों ने एक साल में 75 दिन कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए तैयारी की और हर दिन के लिए उन्हें 115 अमेरिकी डॉलर की रकम मिलनी है.
सरकार चाहती है कि खिलाड़ी होटल बिल, हवाई यात्रा का टिकट और अन्य खर्चों की रसीदें पेश करें लेकिन ऐसा करना खिलाड़ियों के लिए मुश्किल होगा. सभी खिलाड़ी साल में कई बार यात्रा करते हैं और मुश्किल कागजी प्रक्रिया से गुजरने के लिए उत्साहित नहीं हैं. अनिल खन्ना ने खिलाड़ियों को अपनी सफाई में कहा, "हमने सरकार को सुझाव दिया है कि जब हमारे पास सबूत है कि खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय टेनिस खेला है तो फिर हमें बिल के लिए नहीं कहना चाहिए क्योंकि यह बहुत मुश्किल है. वैसे भी खिलाड़ी कई मामलों में अपनी जेब से खर्च भरते हैं."
वैसे मामला सिर्फ कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियों के बकाया भुगतान तक सीमित नहीं है. खिलाड़ियों की शिकायत है कि उन्हें एशियन गेम्स और ओलंपिक तैयारियों के लिए भी पैसे नहीं मिले हैं. इसके अलावा वह डेविस कप और कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे आयोजनों के लिए सहायक स्टाफ भी चाहते हैं. लेकिन एआईटीए का कहना है कि इसके भुगतान में उसकी कोई भूमिका नहीं है क्योंकि यह मामला इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन से जुड़ा है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: आभा एम