नाइजीरिया में इन नाचते कूदते युवा डांसरों का ग्रुप "कल्चरल एम्बेसडर ऑफ अफ्रीका" खिताब के लिए मुकाबला कर रहा है. इन युवा समूहों का लक्ष्य अफ्रीका में रहने वाले विभिन्न समुदायों में एकता की भावना बढ़ाना है.
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Dancing for African unity
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अफ्रीका में ऐसी कई इमारतें बनाई गई हैं जो प्राकृतिक प्रकाश और हवा का सही इस्तेमाल कर ऊर्जा की कम से कम खपत करती हैं. देखिए ऐसे छह ईको फ्रेंडली डिजाइन.
ऐसी है अफ्रीका की सबसे ग्रीन इमारतें
अफ्रीका में ऐसी कई इमारतें बनाई गई हैं जो प्राकृतिक प्रकाश और हवा का सही इस्तेमाल कर ऊर्जा की कम से कम खपत करती हैं. देखिए ऐसे छह ईको फ्रेंडली डिजाइन.
तस्वीर: Hive Earth
बुद्धि खुल जाए यहां पढ़ने से
अंगोला की यूनिवर्सिटी ऑफ आगोस्टिन्हो नीटो को पूरे अफ्रीका की सबसे ग्रीन इमारत माना जाता है. इसे डिजाइन किया है पर्किन्स एंड विल आर्किटेक्ट्स ने और हर क्लासरूम में प्राकृतिक हवा के आने जाने की शानदार व्यवस्था है.
तस्वीर: James Steinkamp
बोरे वाला गुंबद
दिजीबूटी में स्थित इस ईको-गुंबद को लंबे बोरों में स्थानीय मिट्टी भर कर बनाया गया है. यह सुपरएडोब बैग कहलाते हैं. इसका आइडिया आर्किटेक्ट और कैलअर्थ के संस्थापक नादेर खलीली का है. ईरान के रेगिस्तानी इलाकों के वास्तु से उन्हें इसकी प्रेरणा मिली.
तस्वीर: U.S. Department of Defense
जूट का घर
इसका विचार टोनी बडेन को आया था, जो जूट के विविध इस्तेमाल को देखाना चाहते थे. न्यू अर्थ आर्किटेक्चर और वुल्फ एंड वुल्फ आर्किटेक्चर को साथ लेकर उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के सबसे ईको फ्रेंडली घरों में से एक बना डाला.
तस्वीर: Inhabitat Staff
प्राकृतिक प्रकाश का दोहन
पर्यावरण को ध्यान में रख कर बनाई गई केन्या की यह इमारत स्थानीय रूप से मिलने वाली सामग्री से ही बनी है. यह कैथोलिक यूनिवर्सिटी ऑफ इस्टर्न अफ्रीका की इमारत है, जहां प्राकृतिक प्रकाश और वेंटिलेशन का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है.
तस्वीर: Musau Kimeu
दीमक के टीलों से प्रेरित
जिम्बाबवे में ईस्टगेट सेंटर के निर्माण की प्रेरणा दीमक के टीलों से आई. कंक्रीट से बनी इस इमारत की सबसे बड़ी खासियत इसका प्रभावी वेंटिलेशन सिस्टम है. इतनी ही बड़ी एसी से ठंडी की जाने वाली इमारत के मुकाबले इसमें केवल 10 फीसदी ऊर्जा लगती है.
तस्वीर: Mick Pearce
बड़े काम का कीचड़
घाना में हाइव अर्थ नाम की एक निर्माण कंपनी पुरानी तकनीक का इस्तेमाल कर सस्ते घर बनाती है. इसमें मिट्टी, ग्रेनाइट के टुकड़े और लेटराइट जैसी चीजें मिलाकर दीवारें बनाई जाती हैं. सीमेंट का इस्तेमाल बहुत कम होता है. घर को ठंडा रखने का काम प्राकृतिक अंडरग्राउंड सिस्टम से होता है. (मेलानी हाल/आरपी)