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मंथन में इस बार

११ दिसम्बर २०१५

मंथन में इस बार जानेंगे एक्स-रे मशीन की तकनीक और इसका सफर. इसके साथ ही देखेंगे कि कैसे जलवायु परिवर्तन गेहूं की खेती को तबाह कर सकता है.

Peinliche Prognosen
तस्वीर: picture-alliance/prismaarchivo

1895 में पहली बार जर्मनी के विल्हेल्म कॉनराड रोएंटगेन ने एक्स-रे मशीन बनाई. उन्हीं के नाम पर आज भी जर्मनी में एक्स-रे को रोएंटगेन बिल्ड यानि रोएंटगेन की तस्वीर कहा जाता है. 1901 में जब नोबेल पुरस्कार की शुरुआत हुई, तो फिजिक्स का सबसे पहला नोबेल इसी आविष्कार को दिया गया. तब से अब तक कितनी बदली है एक्स-रे मशीन.

जलवायु परिवर्तन और कृषि

अचानक से किसी दाल के दाम बढ़ जाते हैं. वजह पर ध्यान दें, तो पता चलता है कि फसल ही अच्छी नहीं हुई. इसका भी कारण देखें, तो पता चलेगा कि कहीं बिन मौसम बारिश हुई, तो कहीं वक्त रहते हुई ही नहीं. मौसम जिस तरह से बदल रहा है, हो सकता है कि आने वाले वक्त में धान और गेहूं पर भी इसका बड़ा असर पड़े. मुसीबत के आने से पहले ही वैज्ञानिक उसका हल खोज लेना चाहते हैं.

तस्वीर: picture alliance / landov

ताप संरक्षण तकनीक

अक्षय ऊर्जा स्रोतों के इस्तेमाल के क्षेत्र में पिछले सालों में भारी प्रगति हुई है. भारत सहित पूरी दुनिया में पवन और सौर ऊर्जा का हिस्सा बढ़ता जा रहा है. सिटी प्लानर कार्बन डाय ऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने और उद्योग की प्रतिस्पर्धा को बेहतर बनाने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. जर्मनी के औद्योगिक रुअर इलाके में बॉट्रॉप शहर मिसाल पेश कर रहा है.

गिद्धों की मुसीबत

क्या ये दुनिया गिद्ध के बिना जी सकती है? 2015 में यह सवाल पूछना पड़ रहा है क्योंकि यूरोप, अफ्रीका और भारत में लंबे गले वाले ये पक्षी तेजी से मर रहे हैं. अफ्रीका में तो कुछ इलाकों में 80 प्रतिशत गिद्ध गायब हो गए हैं.

तस्वीर: Juergen Schneider

ड्रोन प्रतियोगिता

बहुत पहले की बात नहीं है जब ड्रोन को सिर्फ मिलिट्री के ही साथ जोड़ कर देखा जाता था. लेकिन पिछले कुछ वक्त में ड्रोन आम लोगों की पहुंच में आ गए हैं. हालांकि ये सेना के सैटेलाइट से चलने वाले प्लेन नहीं हैं, बल्कि बैटरी लगे हुए छोटे से क्वॉडकॉप्टर होते हैं जिन्हें रिमोट से कंट्रोल किया जाता है. इन पर कैमरा लगा कर कभी पहाड़ों की, तो कभी नदियों की बेहतरीन तस्वीरें अब कोई भी ले सकता है. इनका ऐसा चलन चला है कि कई जगह ड्रोन वाले मुकाबले भी होने लगे हैं.

ओएसजे/आईबी

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