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एक डब्बा जिसके पास सारे सवालों के जवाब हैं

३१ मई २०१०

भले ही आप घर पर हों, या ऑफिस में, या रास्ते में ही क्यों न हों. मोबाइल और इंटरनेट के बिना अब गुजारा कहां. लेकिन भारत में अब भी केवल आठ फीसदी लोग ही इंटरनेट का इस्तमाल कर पाते हैं.

कुछ भी पूछोतस्वीर: Question Box

आप कहीं भी हों, हर किस्म की जानकारी आप बस एक बटन के क्लिक से पा सकते हैं. लेकिन आज भी भारत में बहुत सारे लोगों के पास यह सुविधाएं नहीं हैं. तो जानकारी पाने के लिए आखिर वो कहां जाएं. वो जाते हैं 'क्वैशचन बौक्स' के पास. 'क्वैशचन बॉक्स' यानी वो डिब्बा जो आपके सभी सवालों के जवाब देता है. ऐसा ही हो रहा है, महाराष्ट्र के शिरूर गांव में.

माहेर आश्रम में

इस वक़्त शिरूर गांव में महिलाओं और बच्चों के लिए बनाए गए माहेर आश्रम में यह क्वेश्चन बॉक्स लगाया जा रहा है और बच्चे इस से सवाल पूछने के लिए बहुत ही उत्साहित हैं. आप सोच रहे होंगे कि आखिर यह क्वेश्चन बॉक्स है क्या. दरअसल यह एक डिब्बा है जिसके अंदर एक मोबाइल फोन फिट है. इसे इस्तेमाल करने के लिए बस इस पर लगे बटन को दबाना है. बटन दबाते ही आप कॉल सेंटर के ऑपरेटर से जुड़ जाएंगे. आपके पास इंटरनेट नहीं हुआ तो क्या, ऑपरेटर के पास तो इंटरनेट कनेक्शन वाला कम्प्यूटर है. बस सवाल पूछिए, और ऑपरेटर इंटरनेट के ज़रिए उनके जवाब ढूंढ कर आपको देंगे. शिरूर में लगे गए इस डिब्बे से फिलहाल पहला सवाल पूछा गया कि पुणे की जनसंख्या आखिर है क्या और जब लोगों को जवाब मिला तो लोग खुश.

लोगों को जानकारी देने के लिए ओपन माइंड का क्वेश्चन बॉक्स अभियानतस्वीर: QuestionBox

54 वर्षीय सिस्टर लूसी कुरियन इस आश्रम की संस्थापक हैं. उनके इस आश्रम में 180 बच्चे और महिलाएं रहती हैं. उनका मानना है कि अब बच्चों को होमवर्क करने और परीक्षाओं के नतीजे पता करने में बहुत आसानी होगी. "अभी तक तो उन्हें बहुत परेशानी होती थी. अखबार और रेडियो से ही थोड़ी बहुत जानकारी मिलती थी. हमारे यहां केबल टीवी भी नहीं है. इन बच्चों के लिए तो बहुत दिक्कत वाली बात थी."

सेहत की जानकारी

सिर्फ इतना ही नहीं, ये लोग अब अपनी सेहत के बारे में सवाल पूछ सकते हैं. गवरी बापूसाहेब ढोकले जो की 12 साल की छात्रा है उसने अखबारों में स्वाइन फ्लू के बारे में बहुत कुछ पढ़ा है. पहला सवाल गवरी ने पूछा कि पुणे में कितने लोगों में स्वाइन फ्लू पाया गया. सिर्फ स्वाइन फ्लू ही नहीं, यहां लोग हर तरह की बीमारियों के बारे में जानकारी जुटाने की तैयारी में हैं. सिस्टर लूसी का मानना है कि इस बॉक्स से महिलाओं और किशोरों को एचआईवी एड्स और अन्य यौन रोगों के बारे में जानकारी देने में मदद मिलेगी. "एड्स अब इतनी तेज़ी से बढ़ रहा है और वो हमसे सवाल पूछने में शर्माते हैं. इस बॉक्स से बहुत मदद मिलेगी क्योंकि अब उनके मन में जो भी सवाल होंगे वो बिना किसी झिझक के पूछ पाएंगे."

पहला सवालः पुणे की जनसंख्या क्या है...तस्वीर: Question Box

तीन साल से

कई इलाकों में सवालों का जवाब देने वाला ये डब्बा लगाया गया हैतस्वीर: DW

भारत में 2007 से यह प्रोजेक्ट चल रहा है. अब तक अलग अलग ग्रामीण इलाकों और बस्तियों में लगभग दस क्वेशचन बौक्स लगाए जा चुके हैं. यह प्रोजेक्ट अफ्रीकी देश युगांडा की तर्ज पर शुरू किया गया है. युगांडा में यह प्रोजेक्ट ग्रामीण युगांडा के नाम से जाना जाता है. वहां ग्रामीण इलाकों से लोग खेती-बाड़ी से सम्बंधित सवाल पूछते हैं जिसका उन्हें फायदा भी मिल रहा है. भारत में भी धीरे धीरे क्वेशचन बॉक्स का फोकस सामान्य ज्ञान से हट कर पूरी तरह खेती बाड़ी, पशु संवर्धन और चिकित्सा पर होगा. फिलहाल तो दोनों ही देशों में यह प्रोजेक्ट प्रयोग के तौर पर चलाया जा रहा है. लेकिन इसकी सफलता को देखते हुए लगता है कि आने वाले समय में जगह जगह यह क्वेशचन बॉक्स लोगों की मदद करते दिखेंगे.

रिपोर्टः ईशा भाटिया

संपादनः आभा मोंढे

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