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एक दुनिया खुशबू की

१८ जून २०१०

आम तौर पर बात होती है आंख खोल कर चलने की. लेकिन फिलहाल बात नाक खोल कर चलने की. जी हां अक्सर हम देखने-बोलने में इतने मशगूल हो जाते हैं कि सुनना और सूंघना बिलकुल भूल जाते हैं.

तस्वीर: AP

जर्मनी के एक शोधार्थी हान्स हाट खुशबूओं पर शोध कर रहे हैं और उन्होंने कई बहुत ही रोचक तथ्य खोज निकाले हैं. हान्स के शोध के लिए उन्हें इस साल पचास हज़ार यूरो का कम्युनिकेटर पुरस्कार भी मिला है. हान्स हाट कहते हैं, "मैं लोगों से कहना चाहता हूं कि आप सभी के पास सिर्फ आँखे और कान ही नहीं हैं एक नाक भी है. तो इसे इस्तमाल करें. यही नाक आपको जीवन में ऐसी चीजें दिखाएगी और समझाएगी, जो आपको किसी भी और जगह से मिलना नामुमकिन है."

लिली ऑफ़ द वैली फूलों की गंध से स्पर्म तेजी से अंडाणू तक पहुंच जाते हैं.तस्वीर: picture-alliance/ dpa

हान्स हाट ने अपने शोध में कई विषयों को छुआ है. इसमें भय से पीड़ित लोगों को ठीक करना भी शामिल है. हान्स कहते हैं कि इसके लिए जासमीन, मतलब मोंगरे की खुशबू को मिला कर बनाया गया खास इत्र बहुत मदद कर सकता है. हान्स की टीम ने इस खुशबू को ढूंढ कर पहले ही इसे पेटेंट करा लिया है. सूंघने पर ये गंध फेफड़ों, रक्त और फिर दिमाग में जाती है और अपना असर करती है. हान्स ने कहा है कि ये गंध दिमाग में वैलियम दवाई जैसा असर करती है और दिमाग को शांत करती है. इस गंध के कोई साइड इफेक्ट्स अभी सामने नहीं आए हैं. वैसे भी गंध मनुष्य सहित कई जीव जंतुओं के लिए बहुत अहम भूमिका निभाती है. हान्स कहते हैं कि सभी मनुष्यों को खुश रख सके, ऐसी कोई गंध बनाना संभव नहीं. "ऐसा बहुत मुश्किल है कि कोई ऐसी गंध बनाई जाए, जो सभी को खुश रखे, जो सभी लोगों में एक जैसी भावना पैदा कर सके, चाहे वो प्रेम की हो या कोई और, या सभी मनुष्यों को आकर्षक बना सके."

तस्वीर: AP

हान्स हाट के शोध में छोटी छोटी घंटियों जैसे प्यारे सफेद फूलों की अहम भूमिका है. इन फूलों को इंग्लिश में लिली ऑफ द वैली कहते हैं. ये वनस्पति शास्त्र के हिसाब से एस्पेरेगल्स ऑर्डर में आती है. लिली ऑफ द वैली का पूरा पौधा बहुत ज़हरीला होता है लेकिन इसके फूलों से निकले रसायन का मनुष्य के शरीर पर गहरा असर होता है. हान्स के शोध में सामने आया है कि इन फूलों की गंध से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि इनकी गंध से शुक्राणु सीधे अंडाणु से जा मिलता है. "मनुष्य के शुक्राणु की उपरी सतह पर ऐसे हिस्से होते हैं जो गंध पहचान सकते हैं उसे ले सकते हैं. गंध वाले ये शुक्राणु लिली ऑफ द वैली की गंध पहचान सकते हैं."

जर्मनी के बोखुम शहर की रुअर यूनिवर्सिटी में शोध के दौरान हान्स ने शुक्राणुओं में ऐसे बीस रिसेप्टर ढूंढे हैं जो गंध पहचान सकते हैं. वे इस बात पर शोध कर रहे हैं कि कौन सी ऐसी गंधें हैं जो शुक्राणु को तेज़ी से अंडाणु तक पहुंचने में मदद कर सकती हैं.

तस्वीर: picture-alliance/ dpa

वहीं एक और खुशबू है, वह है बनक्षा या बनफसा की, जो प्रोस्टेट कैंसर के सेल्स को बढ़ने से रोक सकती है.यह हान्स हाट के शोध का सबसे नया आयाम है. इससे प्रोस्टेट कैंसर के लिए दवाई बनाने में आसानी हो सकती है. मीठी गंध वाली बनक्षा वनस्पति का यूनानी चिकित्सा पद्धती में खांसी-कफ या फिर वायरल इन्फेक्शन से लड़ने के लिए इस्तमाल किया जाता है.

तितलियां कैसे सूंघती हैं, इसका शोध करते करते हान्स हाट खुशबूओं में ऐसे खोए कि उन्होंने एक नई दुनिया अपने लिए खोल ली और कई बीमारियों के उपचार के लिए रास्ता भी.

रिपोर्टः आभा मोंढे

संपादनः राम यादव

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