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एक पहलवान को फांसी देकर ईरान फिर दुनिया के निशाने पर

१५ सितम्बर २०२०

ईरान के नाविद अफकारी कुश्ती में राष्ट्रीय चैंपियन थे. बीते दिनों इस पहलान को हत्या के आरोपों में फांसी दे दी गई. ईरान के इस कदम की दुनिया भर में निंदा हो रही है. आलोचना करने पर जर्मन राजदूत को भी ईरान सरकार ने तलब किया.

Iran hingerichteter Ringer Navid Afkari
तस्वीर: mashreghnews

27 साल के अफकारी को 2018 में गिरफ्तार किया गया था. ईरानी अधिकारियों का कहना है कि 2018 के सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान अफकारी ने एक सुरक्षाकर्मी की हत्या की. ये प्रदर्शन बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और असमानता के खिलाफ हुए थे.

अधिकारियों का कहना है कि अफकारी ने अपना जुर्म कबूल किया था. लेकिन पहलवान, उनके परिवार और मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इकबालिया बयान उन्हें यातना देकर लिया गया था. उनका कहना है कि अफकारी को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वह एक जाने माने खिलाड़ी थे और उन्होंने ईरानी सरकार की आलोचना करने की हिम्मत की थी. अफकारी के वकील का कहना है कि उनके मुवक्किल के दोषी होने का कोई सबूत नहीं है.

दुनिया भर में निंदा

अफकारी को फांसी दिए जाने की दुनिया भर में निंदा हो रही है. यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, "यूरोपीय संघ सभी परिस्थितियों में मौत की सजा के खिलाफ है और इस मामले में कोई अपवाद नहीं हो सकता." उन्होंने कहा, "ईरान के साथ हमारे संवाद में मानवाधिकार सबसे अहम विषय है. हम इस मुद्दे पर ईरानी अधिकारियों से बात करते रहेंगे."

यूरोपीय संघ के विपरीत अमेरिका में संघीय और कई जगह राज्यों के स्तर पर मौत की सजा प्रावधान है. लेकिन अफकारी को फांसी दिए जाने की अमेरिका ने भी निंदा की है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पेयो ने इसे "मानव गरिमा पर एक आक्रामक हमला" बताया है. ईरान और अमेरिका के बीच दशकों से तनातनी रही है. लेकिन ईरानी रेवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख कासिम सुलेमानी की इराक में अमेरिकी कार्रवाई में मौत के बाद तनाव नए स्तर पर पहुंच गया.

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ईरान को चुनौती देते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है कि कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक सुलेमानी की मौत का बदला लेने के लिए ईरान अमेरिका के खिलाफ हमला करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन "अमेरिका के खिलाफ जैसा भी हमला ईरान करेगा, जबाव में उसे 100 गुना बड़ा हमला झेलने के लिए तैयार रहना होगा. "

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जर्मन राजदूत तलब

सोशल मीडिया पर नवीद अफकारी को फांसी दिए जाने की आलोचना करने पर तेहरान में जर्मन राजदूत हांस ऊडो मुसेल को ईरानी विदेश मंत्रालय में तलब किया गया है. ईरान के अंतरराष्ट्रीय मामलों के कार्यालय में अधिकारी अली बगेरी ने कहा, "विदेशी दूतावासों को ईरानी विपक्षी समूहों का मुख पत्र नहीं बनना चाहिए और राजनयिक नियमों का पूरी तरह पालन करना चाहिए." उन्होंने कहा कि विदेशी दबाव से ना तो ईरान की न्याय व्यवस्था कमजोर होगी और ना ही इस्लामी कानून, जिनके मुताबिक ईरान चलता है.

तेहरान में जर्मन राजदूत ने ट्विटर पर अफकारी को फांसी दिए जाने की निंदा करते हुए कहा, "हमें नवीद अफकारी को फांसी दिए जाने पर धक्का लगा है. इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि विरोधी आवाजों को चुप कराने के लिए बुनियादी कानूनी अधिकारों की अनदेखी की जाए."

अफकारी को ईरानी शहर शिराज में शनिवार को अदेल अबाद जेल में फांसी पर चढ़ाया गया. कड़ी सुरक्षा के बीच उन्हें शनिवार रात को दफना दिया गया. उनके माता पिता को अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी गई.

पत्रकार मसीह अलीनेजाद ने बताया कि अफकारी की मां का कहना है कि वह हर रोज यह चेक करने के लिए न्यायपालिका की वेबसाइट देखती थी कि उनका बेटा जिंदा है या नहीं और अब वह जिंदा नहीं है. वह कहती हैं, "मैं यह भी नहीं कह सकती कि उसे फांसी पर चढ़ाया गया है, उसकी हत्या की गई है."

मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस मामले को "न्याय के साथ भद्दा मजाक" बताया है जिस पर "अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ध्यान देने की जरूरत है." एमनेस्टी के मुताबिक ईरान में पिछले साल 251 लोगों को मौत की सजा दी गई. ईरान दुनिया में चीन के बाद मौत की सजाएं देने वाले दूसरा सबसे बड़ा देश है. जर्मनी में खिलाड़ियों की संस्था ने ईरान पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है.

एके/एमजे (एएफपी, डीपीए, रॉयटर्स)

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