1979 में चीन ने बढ़ती आबादी पर लगाम लगाने के लिए एक बच्चा पैदा करने की नीति बनाई थी. 30 साल बाद नीति बदली और दंपतियों को दो बच्चे पैदा करने की इजाजत मिली. इस बदलाव की वजह क्या है और इससे कितना फायदा मिलेगा?
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2015 में जब चीन ने एक बच्चे वाली नीति में बदलाव किया, तो दंपतियों में खुशी की लहर दौड़ गई. ऐसा करने के पीछे मुख्य वजह थी देश में प्रजनन दर को बढ़ावा देना, जो काफी कम है. इस नीति के लागू होने के बाद ही बच्चों के पैदा होने की संख्या में जबरदस्त उछाल देखा गया है. चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के मुताबिक, 2016 में जन्म दर 7.9 प्रतिशत तक बढ़ गई, जो साल 2000 के बाद सबसे ज्यादा है. आयोग का अनुमान है कि 2020 तक नए बच्चों की संख्या 1.7 से 2 करोड़ तक हो जाएगी. इसके साथ ही कामकाजी लोगों की संख्या 3 करोड़ तक हो जाएगी और देश के बुजुर्गों की संख्या में 2 फीसदी की गिरावट देखने को मिलेगी.
चीनी सरकार के आंकड़े भले ही बड़े दावे करें लेकिन शोध में पाया गया है कि सरकार की नई नीति का कुल प्रभाव कम ही होगा. ऑस्ट्रेलिया की नेशनल यूनिवर्सिटी के मुताबिक, नई नीति से चीन की जीडीपी में मात्र 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. 64 वर्ष या उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों की कामकाजी लोगों पर निर्भरता में सिर्फ 0.03 फीसदी की गिरावट होगी.
जनसांख्यिकी विशेषज्ञ स्टुआर्ट गिटेल बास्टन का मानना है कि चीन में प्रजनन दर में आई कमी के कई वजहें हैं. वह कहते हैं, ''1979 में जब एक बच्चा पैदा करने की नीति अपनाई गई, तो प्रजनन दर में अपने आप कमी हो गई. लेकिन 80 और 90 के दशक में आए सामाजिक-आर्थिक बदलाव, महिलाओं की शिक्षा, शहरीकरण आदि ने प्रजनन दर को और कम करने में प्रमुख भूमिकाएं निभाईं.''
चीन का एक बच्चा पैदा करने की नीति को अपनाना आधुनिक युग का अभूतपूर्व कदम माना जाता है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफेसर फेंग वान्ग के मुताबिक, आर्थिक तरक्की के लिए चीन पर काफी दबाव था. देश में बने राजनीतिक घटनाक्रम के बाद इस नीति को दृढ़तापूर्वक लागू किया गया.
इन 10 देशों में रहती है दुनिया की आधी आबादी
पूरी दुनिया में साढ़े सात अरब लोग रहते हैं. लेकिन इनमें से आधे लोग सिर्फ दस देशों में रहते हैं. चलिए डालते हैं इन्हीं देशों पर एक नजर. सीआईएस फैक्टबुक के अनुमानित आंकड़े जुलाई 2017 तक की जनसंख्या के हैं.
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1. चीन
जनसंख्या : 1.37 अरब
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Zheng
2. भारत
1.28 अरब
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3. अमेरिका
32.6 करोड़
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4. इंडोनेशिया
26 करोड़
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5. ब्राजील
20 करोड़
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6. पाकिस्तान
20.4 करोड़
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7. नाइजीरिया
19 करोड़
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8. बांग्लादेश
15.7 करोड़
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9. रूस
14.2 करोड़
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10. जापान
12.6 करोड़
तस्वीर: picture-alliance/AA/D. Mareuil
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इन तीन दशकों में चीन के अंदर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बच्चा पैदा करने की नीति पर बहस होती रही है. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर यह नीति लागू न होती, तो एशिया की तरक्की के रास्ते मजबूत होते. वान्ग कहते हैं, ''एक बच्चा पैदा होने से चीनी परिवारों ने बचत, निवेश और आर्थिक विकास में योगदान दिया. बच्चों को बेहतर शिक्षा मिली, जिससे देश को सबसे ज्यादा पढ़ी-लिखी पीढ़ी मिल पाई. हालांकि एक कड़वा सच यह भी है कि एक बच्चा पैदा करने की नीति ने माता-पिता के बुजुर्ग होने पर मुश्किलें पैदा कीं. उनके पास बुढ़ापे में सहारे की कमी हो गई.
वान्ग के मुताबिक, चीन ने एक बच्चा पैदा करने की नीति बनाकर लंबे अरसे का नुकसान मोल लिया, "यह कुछ वैसा ही है जैसे तत्काल फायदे के लिए तालाब के पानी को खूब इस्तेमाल किया, लेकिन इससे तालाब की मछलियां नहीं बचीं."
वॉन्ग, मार्टिंन वाइट और योंग साइ की साझा स्टडी बताती है कि चीनी सरकार की इस नीति की वजह से मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ. 80 के दशक में महिलाओं की नसबंदी और गर्भपात की दरें बढ़ीं. इस नीति ने इंसानों की एक-दूसरे के प्रति समझ को गलत तरीके से बदला. यही वजह है कि अन्य देश इसे अपने यहां लागू करने से हिचकिचाते हैं. भारत और दक्षिण कोरिया में भी जनसंख्या पर लगाम लगाने के लिए 70 और 80 के दशक में अभियान चलाए गए, लेकिन एक बच्चा पैदा करने की नीति लागू नहीं हुई. वान्ग के मुताबिक, ''यह एक ऐसी नीति है जिसके सकारात्मक परिणाम कम दिखते हैं, लेकिन घातक नतीजों की एक लंबी फेहरिस्त है.''
रिपोर्ट: विलियम यैंग/वीसी
दुनिया की बढ़ती आबादी: 11 अहम बातें
दुनिया की बढ़ती आबादी: 11 अहम बातें
संयुक्त राष्ट्र हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाता है ताकि दुनिया को तेज रफ्तार से बढ़ रही जनसंख्या के प्रति जागरुक किया जा सके. जानिए विश्व जनसंख्या के बारे में 11 दिलचस्प बातें.
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कुल कितनी आबादी
दुनिया की आबादी इस समय 7.6 अरब है. लेकिन जिस रफ्तार से इसमें इजाफा हो रहा है, उसे देखते हुए इस सदी के मध्य तक यह 10 अरब के आंकड़े को छू सकती है. वहीं इस सदी के आखिर तक विश्व जनसंख्या 11.2 अरब होने का अनुमान है.
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टॉप 5
दुनिया की एक तिहाई से ज्यादा आबादी भारत और चीन में रहती है. लगभग 1.4 अरब आबादी के साथ चीन सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है, जबकि 1.3 अरब के साथ भारत दूसरे नंबर पर है. टॉप 5 में अमेरिका, इंडोनेशिया और ब्राजील भी शामिल हैं.
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फैलते शहर
जापान की राजधानी टोक्यो दुनिया का सबसे बड़ा शहर है जहां 3.7 करोड़ लोग रहते हैं. इसके बाद 2.9 करोड़ की आबादी के साथ भारत की राजधानी दिल्ली का नंबर आता है. 2.6 करोड़ की आबादी के साथ चीन का शंघाई इस मामले में तीसरे नंबर पर है.
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सिमटते गांव
उत्तरी अमेरिका में 82 प्रतिशत लोग शहरों में रहते हैं जबकि लातिन अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र में 81 प्रतिशत, यूरोप में 74 प्रतिशत और ओशेनिया (ऑस्ट्रेलिया, पॉलीनेशिया, मेलानेशिया और माइक्रोनेशिया) में 68 प्रतिशत लोगों ने शहरों में आशियाना बनाया है.
तस्वीर: picture-alliance/empics/M. Crossick
गांवों में अफ्रीका
एशिया में गांव और शहरों में रहने वाले लोगों की संख्या लगभग बराबर है. वहीं अफ्रीका अब भी गांवों में ही बसता है. वहां लगभग 57 प्रतिशत लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं. यानी वहां शहरी आबादी सिर्फ 43 प्रतिशत है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/dpaweb/J. Hrusa
चीन और भारत के ग्रामीण
दुनिया की 90 फीसदी ग्रामीण आबादी एशिया और अफ्रीका में रहती है. भारत में सबसे ज्यादा लोग गांवों में रहते हैं जिनकी संख्या 89.3 करोड़ है. वहीं चीन में ऐसे लोगों की संख्या 57.8 करोड़ है. दोनों ही देशों में तेजी से शहरीकरण हो रहा है.
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गर्भनिरोधकों की कमी
विकासशील देशों में 21.4 करोड़ महिलाओं तक आधुनिक गर्भनिरोधक उपायों को पहुंचाने की जरूरत है. दुनिया की सबसे गरीब आबादी में से 20 प्रतिशत महिलाएं यौन और प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए तरस रही हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Dey
घातक गर्भपात
दुनिया भर में सालाना होने वाले अनुमानित 5.6 करोड़ गर्भपातों में से लगभग आधे असुरक्षित होते हैं. इसके कारण हर साल 22,800 महिलाओं की मौत हो जाती है. कई देशों में गर्भपात को लेकर कड़े कानून और रुढ़िवादी सामाजिक मान्यताएं भी मुश्किलें पैदा करती हैं.
तस्वीर: Reuters/C. Kilcoyne
छोटी उम्र, बड़ी जिम्मेदारी
छोटी उम्र में मां बनने के 95 प्रतिशत मामले विकासशील देशों में सामने आते हैं. गरीबी के चलते इन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पातीं. दूसरा, कई देशों में बाल विवाह के कारण भी लड़कियां वयस्क होने से पहले ही मां बन रही हैं.
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बूढ़ी होती दुनिया
दुनिया की आबादी में 60 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों की हिस्सेदारी 12.3 प्रतिशत है. 2050 तक यह संख्या लगभग 22 प्रतिशत होने का अनुमान है. [स्रोत: संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या डिवीजन, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या फंड, गुटमाखर इंस्टीट्यूट]