बर्फ ढंकी ऊंची चोटियों वाले हिमालय और जन्नत के नजारों वाला कश्मीर गुस्से और उग्रवाद में डूबा है. एक बार फिर यह इलाका पूरी तरह से ऐसे संकट की स्थिति में है जहां से आने वाले दिनों से कोई उम्मीद नहीं बंधती.
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नसीमा बाना अपने बेटे तौसीफ शेख से फोन पर कहती हैं, "अल्लाह तुम्हारे साथ है, मैं तुम्हारी कामयाबी के लिए दुआ मांगती हूं, तुम अपने रास्ते पर डटे रहना." यह बातचीत मई महीने में एक सुबह तड़के तब हुई जब भारत के सुरक्षा बल शेख के करीब पहुंच गए थे. इससे कुछ ही देर पहले 23 साल के उग्रवादी तौसीफ ने अपनी मां से कहा था, "दुआ करना कि मेरी शहादत कबूल हो, उसके बाद हम मिलेंगे."
सुरक्षा बलों की कार्रवाई खत्म हुई तो गोलियों से छलनी उसका शरीर बरामद हुआ. वह दक्षिण कुलगाम जिले में रहने वाले शेख परिवार के उन 12 सदस्यों में से एक था जिन लोगों ने अपनी जिंदगी कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों से लड़ते हुए गंवाई है. उसके चाचा 42 साल के मोहम्मद अब्बास शेख अब अकेले बच गए हैं, उन्होंने भी बंदूक उठा रखी है.
गुस्से में दिख रही बानो कहती हैं, "इस लड़ाई का कोई आधा अधूरा उपाय नहीं है. लोग अपनी जिंदगी कुर्बान करते रहेंगे जब तक कि कश्मीर आजाद नहीं होता." अलगाववादी उग्रवाद काफी बढ़ गया है और पाकिस्तानी या विदेशी आतंकवादियों के बजाय स्थानीय उग्रवादी भारत के खिलाफ विद्रोह कर रहे हैं.
आरोप है कि पाकिस्तान उन्हें हर तरह की मदद देता है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान ताकत से जब कश्मीर हल नहीं कर पाया, तो उसने इलाके में उग्रवाद को बढ़ावा दिया. स्थानीय उग्रवादियों को ट्रेनिंग दे कर उसने भारत के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़ दिया. 1980 के दशक में शुरू हुए इस छद्म युद्ध ने अब तक 45,000 लोगों की जान ली है.
युवा पुरुष और पढ़े लिखे लोग भी हथियार उठा रहे हैं. शेख 18 साल की उम्र में ही उग्रवादी बन गया. उसके साथ मारे गए विद्रोहियों में यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर महोम्मद बट भी थे जिन्हें उग्रवादी बनने के 40 घंटे के भीतर ही मार दिया गया. अहम बात ये है कि उग्रवादियों को स्थानीय लोगों से जो समर्थन मिलता है, वह बीते कुछ सालों में चरम पर है.
कश्मीर मुद्दे की पूरी रामकहानी
आजादी के बाद से ही कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक फांस बना हुआ है. कश्मीर के मोर्चे पर कब क्या क्या हुआ, जानिए.
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1947
बंटवारे के बाद पाकिस्तानी कबायली सेना ने कश्मीर पर हमला कर दिया तो कश्मीर के महाराजा ने भारत के साथ विलय की संधि की. इस पर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया.
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1948
भारत ने कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाया. संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव 47 पास किया जिसमें पूरे इलाके में जनमत संग्रह कराने की बात कही गई.
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1948
लेकिन प्रस्ताव के मुताबिक पाकिस्तान ने कश्मीर से सैनिक हटाने से इनकार कर दिया. और फिर कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया गया.
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1951
भारतीय कश्मीर में चुनाव हुए और भारत में विलय का समर्थन किया गया. भारत ने कहा, अब जनमत संग्रह का जरूरत नहीं बची. पर संयुक्त राष्ट्र और पाकिस्तान ने कहा, जनमत संग्रह तो होना चाहिए.
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1953
जनमत संग्रह समर्थक और भारत में विलय को लटका रहे कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्लाह को गिरफ्तार कर लिया गया. जम्मू कश्मीर की नई सरकार ने भारत में कश्मीर के विलय पर मुहर लगाई.
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1957
भारत के संविधान में जम्मू कश्मीर को भारत के हिस्से के तौर पर परिभाषित किया गया.
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1962-63
चीन ने 1962 की लड़ाई भारत को हराया और अक्साई चिन पर नियंत्रण कर लिया. इसके अगले साल पाकिस्तान ने कश्मीर का ट्रांस काराकोरम ट्रैक्ट वाला हिस्सा चीन को दे दिया.
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1965
कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ. लेकिन आखिर में दोनों देश अपने पुरानी पोजिशन पर लौट गए.
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1971-72
दोनों देशों का फिर युद्ध हुआ. पाकिस्तान हारा और 1972 में शिमला समझौता हुआ. युद्धविराम रेखा को नियंत्रण रेखा बनाया गया और बातचीत से विवाद सुलझाने पर सहमति हुई.
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1984
भारत ने सियाचिन ग्लेशियर पर नियंत्रण कर लिया, जिसे हासिल करने के लिए पाकिस्तान कई बार कोशिश की. लेकिन कामयाब न हुआ.
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1987
जम्मू कश्मीर में विवादित चुनावों के बाद राज्य में आजादी समर्थक अलगाववादी आंदोलन शुरू हुआ. भारत ने पाकिस्तान पर उग्रवाद भड़काने का आरोप लगाया, जिसे पाकिस्तान ने खारिज किया.
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1990
गवकदल पुल पर भारतीय सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 100 प्रदर्शनकारियों की मौत. घाटी से लगभग सारे हिंदू चले गए. जम्मू कश्मीर में सेना को विशेष शक्तियां देने वाले अफ्सपा कानून लगा.
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1999
घाटी में 1990 के दशक में हिंसा जारी रही. लेकिन 1999 आते आते भारत और पाकिस्तान फिर लड़ाई को मोर्चे पर डटे थे. कारगिल की लड़ाई.
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2001-2008
भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत की कोशिशें पहले संसद पर हमले और और फिर मुबई हमले समेत ऐसी कई हिंसक घटनाओं से नाकाम होती रहीं.
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2010
भारतीय सेना की गोली लगने से एक प्रदर्शनकारी की मौत पर घाटी उबल पड़ी. हफ्तों तक तनाव रहा और कम से कम 100 लोग मारे गए.
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2013
संसद पर हमले के दोषी करार दिए गए अफजल गुरु को फांसी दी गई. इसके बाद भड़के प्रदर्शनों में दो लोग मारे गए. इसी साल भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मिले और तनाव को घटाने की बात हुई.
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2014
प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ गए. लेकिन उसके बाद नई दिल्ली में अलगाववादियों से पाकिस्तानी उच्चायुक्त की मुलाकात पर भारत ने बातचीत टाल दी.
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2016
बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर में आजादी के समर्थक फिर सड़कों पर आ गए. अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और गतिरोध जारी है.
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2019
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 46 जवान मारे गए. इस हमले को एक कश्मीरी युवक ने अंजाम दिया. इसके बाद परिस्थितियां बदलीं. भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बना हुआ है.
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2019
22 जुलाई 2019 को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दावा किया की भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे को लेकर मध्यस्थता करने की मांग की. लेकिन भारत सरकार ने ट्रंप के इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझेगा.
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2019
5 अगस्त 2019 को भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक संशोधन विधेयक पेश किया. इस संशोधन के मुताबिक अनुच्छेद 370 में बदलाव किए जाएंगे. जम्मू कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. लद्दाख को भी एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. धारा 35 ए भी खत्म हो गई है.
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इसकी वजह है सुरक्षा बलों की सख्ती और ज्यादतियां. इनमें क्रूर कानूनों को सहारा ले कर लोगों को हिरासत में रखना भी शामिल है. स्थानीय लोग अकसर गोलीबारी की जगहों पर जमा हो जाते हैं और पत्थरबाजी कर उग्रवादियों को भागने में मदद करते हैं. मारे गए उग्रवादियों के शव के साथ वो लंबी लंबी रैलियां निकलाते हैं.
सरकार ने पिछले साल ऑपरेशन "ऑल आउट" शुरू किया. इसमें अब तक 350 उग्रवादी मारे जा चुके हैं, जबकि बड़ी संख्या में अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया है. तौसीफ शेख के मामा राशिद कहते हैं, "लोग दमन से उकता गए हैं. इस्लाम कहता है कि अगर आपका उद्देश्य पवित्र है तो जन्नत मिलेगी, हमारा मकसद कश्मीर में शरिया कानून को लागू करना है."
साल 2000 के बाद जब भारत और पाकिस्तान के बीच शांतिवार्ता शुरू हुई, तो उग्रवाद में काफी कमी आई लेकिन 2008 में विरोध प्रदर्शनों के साथ यह एक बार फिर बढ़ गया. इसी दौरान सरकार ने जब एक हिंदू तीर्थ के लिए जगह आवंटित करनी चाही तो उसका भी बड़ा भारी विरोध हुआ. 2016 में बुरहान वानी की सुरक्षा बलों की कार्रवाई में हुई मौत के बाद बहुत से युवाओं ने उग्रवाद का रास्ता पकड़ लिया.
सुंदरता और संघर्ष का नाम कश्मीर
शायर कश्मीर को दुनिया की सबसे खूबसूरत जगह कहते हैं और विश्लेषक उसे सबसे ज्यादा सैनिकों से पटी खतरनाक जगह. इन विरोधाभासों के बावजूद क्या है असली कश्मीर.
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बहुसंस्कृति
कश्मीर को कभी बहुसांस्कृतिक माहौल के लिए भी जाना जाता था. कश्मीर में मुस्लिम बहुल आबादी, जम्मू में हिन्दू और लद्दाख में बौद्ध. कश्मीर की संस्कृति में इनका मिला जुला असर दिखता है. हिंसा ने बहुसंस्कृति पर भी असर डाला.
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केसर
महकता केसर कश्मीर की पहचान है. ईरान और स्पेन के बाद भारत केसर का सबसे बड़ा निर्यातक है. कश्मीर में इसका इस्तेमाल कई व्यंजनों और कहवे में किया जाता है.
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फूलों की चादर
कश्मीर घाटी फूलों के लिए भी मशहूर है. बीते साल करीब 11 लाख सैलानी ट्यूलिप के बागों से भरे जम्मू कश्मीर को देखने पहुंचे. इनमें 50 हजार विदेशी पर्यटक थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हिमाच्छादित कश्मीर
सर्दियों में कश्मीर का बड़ा इलाका बर्फ से ढक जाता है. विंटर स्पोर्ट्स के लिए यहां की कई जगहें एकदम मुफीद हैं. लेकिन अच्छे आधारभूत ढांचे की कमी और हिंसा के चलते इसकी संभावनाएं पूरी तरह इस्तेमाल नहीं हो पाई हैं.
तस्वीर: UNI
नदियां
हिमालय की गोद में बसे जम्मू कश्मीर से 20 से ज्यादा नदियां निकलती हैं. इनमें सिंधु, नीलम और रावी प्रमुख हैं. ये बड़ी नदियां भारत से निकलकर पाकिस्तान जाती हैं और इसलिए विवाद के केंद्र में भी हैं.
तस्वीर: UNI
लकड़ी
कश्मीर की लकड़ी बेहद उम्दा किस्म की मानी जाती है. क्रिकेट बैट के लिए कश्मीर विलो को सबसे अच्छा माना जाता है. कश्मीर की लकड़ी नाव और फर्नीचर के लिए भी मुफीद मानी जाती है.
तस्वीर: picture alliance/NurPhoto/Y. Nazir
सूफियाना
भारतीय उपमहाद्वीप में गायकी की सूफी परंपरा कश्मीर से ही फैली. रहस्यवाद और मानवता का संदेश देने वाली सूफी गायकी अब भारत और पाकिस्तान में खासी लोकप्रिय है.
तस्वीर: AP
फिल्मों की शूटिंग
1980 के दशक तक कश्मीर घाटी फिल्मों की शूटिंग के लिए भी मशहूर थी. बॉलीवुड के कई सुपरहिट गाने कश्मीर की वादियों से ही निकले. लेकिन 1990 के दशक में हिंसा की मार पड़ी. हाल के सालों में इक्का दुक्का फिल्मों की शूटिंग हुई है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
सबसे ऊंचा रणक्षेत्र
भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद 1948 से चला आ रहा है. 5,753 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र है.
तस्वीर: dapd
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जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नात यासिन मलिक ने 1990 के दौर में उग्रवादी आंदोलन का नेतृत्व किया था. वो इन सब के लिए भारत सरकार को दोषी मानते हैं. उनका कहना है कि एक और पीढ़ी को हथियारों के रास्ते पर डाला जा रहा है. समाचार एजेंसी डीपीए से बातचीत में उन्होंने कहा, "20 साल पहले जितना मेरे मन में गुस्सा था, उसकी तुलना में आज के युवाओं में और ज्यादा अन्याय और गुस्से की भावना है."
यासिन मलिक के गुट ने अब शांतिपूर्ण आंदोलना का रास्ता पकड़ लिया है. वे कश्मीर को भारत और पाकिस्तान से अलग करने की मांग करते हैं. यासिन मलिक ने कहा, "अगर आप राजनीतिक विरोध पर रोक लगा देंगे, विरोधी आंदोलनों का गला घोंट देंगे और पैलेट गन से युवाओं को अंधा बना देंगे तो और क्या होगा?"
कश्मीर मामले के विशेषज्ञ डेविड देवदास का कहना है कि जब एक दशक पहले उग्रवाद घट गया था, तब उग्रवाद को रोकने के लिए बनाए गए तंत्र की वजह से जो मुश्किलें पैदा हुई थीं, उन्हें खत्म करना चाहिए था. उनका कहना है कि यह नहीं हुआ. इसके पीछे प्रमुख कारण "संकट की अर्थव्यवस्था" थी. बहुत से पक्षों के लिए यह हित साधने का जरिया बन गया. ऐसे में वो इसे और इसकी वजह से पैदा हुई गैरजिम्मेदारी को बनाए रखना चाहते थे.
देवदास का मानना है कि कट्टरता और सुरक्षा बलों की अधिकता के कारण संकट ज्यादा बुरे दौर में पहुंच गया है. उन्होंने कहा, "इन दोनों ने अलगाव की भावना को प्रबल कर दिया है, कोई यह भी सोच सकता है कि दोनों एक दूसरे को बढ़ावा देते हैं." एक गैर सरकारी संगठन रूट्स ऑफ कश्मीर के मुताबिक 1990 के दशक में कम से कम 500 कश्मीरी पंडित मारे गए. इसके नतीजे में 3 लाख से ज्यादा लोग कश्मीर छोड़ कर चले गए.
2016 में हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी ने क्षेत्रीय पार्टी पीडीपी के साथ सरकार बनाई. बहुत से लोगों ने माना कि पी़डीपी ने खुद को बेच दिया क्योंकि बीजेपी को बहुत से लोग मुस्लिम विरोधी मानते हैं. पार्टी राज्य में फौज की तादाद घटाने और उसे स्वायत्त राज्य का दर्जा देने का भी विरोध करती है. अब वह सरकार भी गिर गई है और सत्ता पूरी तरह से केंद्र सरकार के हाथ में है.
कश्मीर के लोग अलगाववादियों से भी त्रस्त हैं. आए दिन की हड़ताल ने उनके बच्चों की पढ़ाई रौर रोजमर्रा के कामकाज को बहुत प्रभावित किया है. कश्मीरियों को उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय ताकतें उनके साथ आएंगी लेकिन फिलहाल इसके आसार नहीं दिखते. अमेरिका और दूसरे देश लगातार मदद देने के इंकार करते हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच कोई बात नहीं हो रही है. चीन अपनी वन बेल्ट वन रोड के साथ कश्मीर तक जरूर जा पहुंचा है लेकिन दोनों देशों के विवाद में दखल देने की उसकी भी कोई मंशा नहीं दिखती. दुनिया के स्वर्ग को अभी कुछ और इंतजार करना होगा.