कंप्यूटर प्रोसेसर बनाने वाली कंपनी इंटेल समेत एआरएम और एएमडी के माइक्रोप्रोसेसर्स में सुरक्षा खामी की बात सामने आई है. इस खामी के चलते यूजर्स की निजी जानकारी और पासवर्ड का पता लगाना हैकर्स के लिए आसान हो सकता है.
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तकनीकी कपंनियां सिक्युरिटी जोखिमों से पार पाने के लिए भरसक कोशिशें कर रहीं है. कंपनियों की कोशिश है कि यूजर्स की निजी जानकारी को संभावित खतरों से बचाया जा सके. लेकिन इंटेल के प्रोसेसर में सुरक्षा खामी की बात सामने आने के बाद यूजर्स और कंपनियों के कान खड़े हो गए हैं. माना जा रहा है कि इस सुरक्षा खामी का असर डेस्कटॉप, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्टफोन और पूरे नेटवर्क पर पड़ सकता है.
इंटेल के प्रमुख कार्यकारी ब्राइन क्रानिज के मुताबिक, "फोन, कंप्यूटर सभी पर कुछ न कुछ असर जरूर होगा, लेकिन असर प्रॉडक्ट पर निर्भर करता है." ब्रिटेन की तकनीकी बेवसाइट द रजिस्टर के मुताबिक प्रोसेसर की चिप में बड़ी खामी है. कुछ प्रोग्रामर्स का दावा है कि प्रोसेसर की खामी सुरक्षित एरिया के लेआउट और कंटेट को समझने में मदद करती है. नतीतजन, यूजर्स का निजी डाटा मसलन पासवर्ड और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी निजी जानकारी को प्राप्त करना हैकर्स के लिए आसान हो सकता है.
मामला सिर्फ इंटेल का नहीं
इस रिपोर्ट के जबाव में इंटेल ने अपने उत्पादों से जुड़े एक बग की बात मानी है. लेकिन जल्द ही इंटेल की प्रतिस्पर्धी कंपनियों मसलन एएमडी और एआरएम की चिप्स में इस तरह की सुरक्षा कमी सामने आई. हालांकि एएमडी ने जोर देकर कहा है कि फिलहाल एएमडी उत्पादों पर शून्य जोखिम है. ब्रिटिश बेवसाइट के मुताबिक, लीनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने वाले प्रोग्रामर्स इस पर काम कर रहे थे. वहीं माइक्रोसॉफ्ट अगले हफ्ते तक इस कमी से जुड़ा अपडेट जारी कर सकता है.
हैकरों के पंसदीदा टारगेट
हैकरों ने दुनिया भर की सरकारों की नाक में दम कर रखा है. वे इन पांच सेक्टरों को आए दिन निशाना बना रहे हैं. इनके जरिये हैकर आम लोगों तक भी पहुंच रहे हैं.
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1. फाइनेंस और इंश्योरेंस
हैकरों का सबसे पसंदीदा निशाना बैंक, इनवेस्टमेंट एजेंसी और बीमा कंपनियां हैं. साइबर सिक्योरिटी फर्म सिमैनटेक के मुताबिक 2015 में हैकरों ने 35 फीसदी हमले इन्हीं पर किये. हैकरों ने न्यू यॉर्क फेडरल रिजर्व में सेंध लगाकर बांग्लादेश के बैंक के 8.1 करोड़ डॉलर उड़ा दिये.
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2. सर्विस सेक्टर
सर्विस सेक्टर भी हैकरों को खूब लुभाता है. ऑनलाइन सेवाएं लेने वाले ग्राहकों का डाटा चुराकर हैकर विशेष लोगों को निशाना बनाते हैं. बीते साल 22 फीसदी हमले सर्विस सेक्टर पर हुए.
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3. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर
डिजायन, तकनीक या फिर कंपनी की रणनीति की चोरी करने में भी हैकर बड़े सक्रिय हैं. कुछ मामलों में कंपनियां ही दूसरी कंपनी में सेंध लगाने के लिए हैकरों को पैसा देती हैं.
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4. परिवहन क्षेत्र
परिवहन क्षेत्र में सेंधमारी की खबरें दुनिया भर में फैलती हैं. 2015 में कुछ बड़ी एयरलाइन कंपनियां 24 से 48 घंटे तक ठप हो गईं. हैकरों ने एयरपोर्ट के कंप्यूटरों पर भी निशाना साधा.
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5. होलसेल सेक्टर
2015 में 9 फीसदी हमले होलसेल सेक्टर पर हुए. अब जी-7 देशों ने साइबर फाइनेंशियल क्राइम के खिलाफ मिलकर काम करने की योजना बनाई है.
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गूगल का दावा
गूगल ने कहा है कि उनके रिसर्चर्स को इंटेल, एएमडी, एआरएम चिप्स और ऑपरेटिंग सिस्टम में गंभीर सुरक्षा खामियां मिल गईं हैं. गूगल का दावा है कि इस कमी का इस्तेमाल कर अज्ञात पार्टी यूजर्स की संवेदनशील जानकारी, पासवर्ड आदि के बारे में जान सकेगी. गूगल ने कहा है कि जैसे उन्हें इस संभावित खतरे का पता चला उनकी सिक्युरिटी और प्रॉडक्ट डेवलपमेंट टीम ने गूगल सिस्टम और यूजर्स की सुरक्षा पर काम करना शुरू कर दिया.
ब्रिटिश बेवसाइट का दावा है, "अगर सुरक्षा जोखिमों पर नियंत्रण भी कर लिया जाता है तब भी परेशानी वहीं खत्म नहीं होगी." कंपनी के मुताबिक, विंडोज और लीनक्स दोनों के नए अपडेट प्रोसेसर को धीमा कर सकते हैं. हालांकि इंटेल ने कहा है कि ये सब बढ़ा-चढ़ा कर किए जाने वाले दावे हैं. बाजार में इंटेल के प्रोसेसर में खामी जैसी बात सामने आने के बाद कंपनी के शेयर में शुरुआती गिरावट देखी गई.
इंटरनेट में कैसे रहें सतर्क
आप इंटरनेट में इस वक्त इस वेबसाइट पर ये तस्वीरें देख रहे हैं, यह बात सिर्फ आप ही नहीं जानते. इंटरनेट में मौजूद हैकर भी आपको यह करते देख रहे हैं. जानिए कैसे रहें इंटरनेट में सतर्क.
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अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनएसए ने केवल अमेरिकी नागरिकों और नेताओं की ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के लोगों की जासूसी की. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के मोबाइल फोन की जासूसी पर काफी बवाल खड़ा हुआ.
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फेसबुक, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों के पास आपकी अलग अलग जानकारी होती है. पूरी जानकारी को कंपनी का हर सदस्य नहीं देख सकता है. उनके पास आपका नियमित डाटा होता है, वे आपके मेसेज नहीं खोल सकते हैं.
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लेकिन जब खुफिया एजेंसी के पास आपके कंप्यूटर पर चल रहे माइक्रोसॉफ्ट प्रोसेसर से लेकर आपके गूगल, फेसबुक और दूसरे अहम अकाउंट की जानकारी होती है तो उनके पास सब कुछ होता है.
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इन एजेंसियों के पास ऐसे सॉफ्टवेयर होते हैं कि वे जब चाहें आपके कंप्यूटर से खुद अपने कंप्यूटर को जोड़ कर आपकी हर हरकत का पता कर सकते हैं.
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हालांकि अमेरिकी कांग्रेस द्वारा पारित कानून के अनुसार केवल जिस व्यक्ति पर शक है, उसके अकाउंट से जुड़ी जानकारी के लिए खुफिया एजेंसी को पहले अदालत से अनुमति लेनी होती है. इसके आधार पर उन्हें इंटरनेट कंपनियां सर्वर तक की पहुंच देती हैं.
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थोड़ी बहुत इंटरनेट जासूसी सभी देशों की सरकार करती है. यह देश की सुरक्षा के लिए अहम भी है. इसमें कंप्यूटर के डाटा के साथ साथ आपके फोन की सारी जानकारी भी मौजूद है.
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बड़े कैमरे से कोई आप पर नजर रखे तो आप उस से बच भी सकते हैं, लेकिन जासूसी ऐसे स्तर पर हो रही है कि आईक्लाउड और एयर एंड्रॉयड जैसे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल भी सुरक्षित नहीं है.
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ऐसा नहीं है कि ये मामले यहीं थम जाएंगे. ऐसे सिस्टम की कमी है जो निजता को पूरी तरह सुरक्षित रखने के लिए आश्वस्त कर सके.