हत्याओं के लिए बदनाम देश में दो साल बाद, पहली बार ऐसा मौका आया है जब 24 घंटे के भीतर कोई हत्या नहीं हुई. इस खबर से हैरान देश को पता है कि ये बस एक-दो दिन की बात है.
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मध्य अमेरिकी देश अल सल्वाडोर की गिनती सबसे जानलेवा मुल्कों में होती है. आम तौर पर ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता, जब हत्याएं न होती हों. 2016 में हर दिन औसतन 14.4 लोग मारे गए. 60 लाख की आबादी वाले देश के लिए 2015 सबसे बुरा साल रहा. 2015 में 6,657 लोगों की मौत हुई. उस साल अगस्त में तीन दिन के भीतर 125 लोगों की हत्या हुई. बुरी तरह ड्रग्स की चपेट में आए अल सल्वाडोर में गैंगवॉर और पुलिस मुठभेड़ आम हैं.
लेकिन जनवरी 2017 का दूसरा हफ्ता देश के लिए हैरत लेकर आया. नेशनल सिविल पुलिस कमिश्नर हॉवर्ड कोटो के मुताबिक 11 जनवरी 2017 के दिन देश भर में हत्या का एक भी मामला सामने नहीं आया. इससे पहले 22 जनवरी 2015 के दिन भी कोई हत्या नहीं हुई थी. गैंगवॉर से जूझ रहे देश ने आखिरी बार क्षणिक शांति का अनुभव 2013 में किया था, तब दो दिन तक कोई भी मर्डर का मामला दर्ज नहीं हुआ.
देखिये ड्रग तस्करों का फाइव स्टार कब्रिस्तान
ड्रग्स से हांफता मेक्सिको
अपना गैंग, अथाह पैसा और हर वक्त भागने के लिए तैयार रहना, मेक्सिको के ड्रग्स तस्करों की जिंदगी ऐसी ही है. युवाओं को गुमराह करने के लिए वहां सिनेमा और संगीत के साथ साथ कब्रिस्तान भी है.
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मेक्सिको के सिनाओला राज्य का खारडिनेस डेल हुमाया कब्रिस्तान बेहद मशहूर है. मेक्सिको में ड्रग्स तस्करी करने वाले कई सरगना इसी इलाके से निकले. मौत के बाद खारडिनेस डेल हुमाया कब्रिस्तान में उनकी कब्रें बनी हैं.
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ड्रग्स तस्करों की कब्रों में एक दूसरे से अच्छा दिखने की होड़ सी छिड़ी है. कब्रों के डियाजन और उनके लगी तकनीक से अंदाजा लगाया जाता है कि कौन कितना कुख्यात था.
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खारडिनेस डेल हुमाया में इस वक्त सबसे महंगी कब्र हिटमैन की है. अनुमान है कि इस पर 2,90,000 डॉलर खर्चे गए हैं. अब एक नई कब्र इससे भी महंगी बन रही है.
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1933 तक अमेरिका के कई इलाकों में अल्कोहल पर प्रतिबंध था. इस दौरान तस्कर मेक्सिको से शराब अमेरिका पहुंचाया करते थे. बाद में यह पाबंदी हट गई. लेकिन 1960 के दशक में कोकीन, गांजे और अन्य नशीले पदार्थों की तस्करी शुरू हो गई.
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दक्षिण अमेरिका और उत्तरी अमेरिका के बीच स्थित मेक्सिको कई दशकों से ड्रग्स की तस्करी का अहम रूट और अड्डा रहा है. अमेरिका से लगी 3201 किलोमीटर लंबी सीमा को कहीं न कहीं से पारकर ड्रग्स अमेरिका पहुंचाई जाती है. तस्कर ऐसी सुरंगों का भी सहारा लेते हैं.
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सितंबर 2016 में मेक्सिको के सुरक्षा बलों ने एक तोप भी बरामद की. 3 मीटर लंबी नाल वाली तोप में ड्रग्स भर अमेरिका में गिराई जाती थीं. अमेरिका तक पहुंचने वाली 90 फीसदी कोकीन मेक्सिको से होकर जाती है.
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मेक्सिको सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2007 से 2014 के बीच ड्रग्स के चक्कर में 1,60,000 लोगों की मौत हुई. खून खराबा अब भी जारी है.
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देश के कई शहरों में कुछ खास इलाके ऐसे हैं जहां आम लोग और अकेले पुलिस अधिकारी भी जाने से घबराते हैं.
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अल सल्वाडोर में मारा सल्वाट्रुचा (MS-13) और M-18 गुट की तूती बोलती है. दोनों गैंग ड्रग्स की तस्करी, संगठित अपराध, अपहरण और वसूली के लिए बदनाम हैं. एक अनुमान के मुताबिक 70 हजार लोग इन गैंग्स से जुड़े हैं. इनमें से 10 हजार लोग जेलों में बंद हैं.
असल में यह गुट 1980 के दशक में अमेरिकी शहर लॉस एजेंलिस की लैटिनो बस्ती में पनपे. गृह युद्ध के चलते अपने देश से भागकर अमेरिका पहुंचे लोगों के बच्चों ने ये गुट बनाए. 1992 में जब अल सल्वाडोर में गृह युद्ध खत्म हुआ तो अमेरिका ने बड़ी संख्या में इन लोगों को वापस भेज दिया.
आज अल सल्वाडोर की गिनती दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में होती है. दक्षिण अमेरिका से आने वाली ड्रग्स कोलंबिया, मेक्सिको और अल सल्वाडोर के रास्ते अमेरिका भेजी जाती है. ड्रग्स के चलते इन तीनों ही देशों की हालत खस्ता है. तस्करों के गैंग आए दिन वर्चस्व की लड़ाई में उलझे रहते हैं. मेक्सिको और अल सल्वाडोर में पुलिस ने भी सख्त अभियान छेड़ा हुआ है.
नशीले पदार्थ पैदा करने वाले प्रमुख देश
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूएनओडीसी के मुताबिक दुनिया भर में करीब 23.4 करोड़ लोग ड्रग्स का इस्तेमाल करते हैं. हर साल ड्रग्स के कारण करीब 2 लाख लोग जान गंवा बैठते हैं.
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अफीम और हेरोइन उड़ाता अफगानिस्तान
अफगानिस्तान दुनिया भर में अफीम का सबसे बड़ा उत्पादक है. यहां सालाना 5,000 से 6,000 टन अफीम पैदा होती है. अफगानिस्तान से नाटो सेनाओं की वापसी के बाद इसके उत्पादन का और विस्तार हुआ है. अमेरिका और एशिया, यहां की अफीम के सबसे बड़े बाजार हैं.
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कोलंबिया की कोकेन
कोलंबिया, बोलीविया और पेरु कोकेन के उत्पादन में दुनिया भर में सबसे आगे हैं. इन तीनों देशों में कोका की पत्तियों की खेती 1,35,000 एकड़ में होती है. यूएन की एंटी नार्कोटिक्स एजेंसी यूएनओडीसी के मुताबिक कोलंबिया में हर साल 300 से 400 टन कोकेन तैयार होती है. कोकेन के प्रमुख बाजार दक्षिण अमेरिका, उत्तर अमेरिका और यूरोप हैं.
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मोरक्को का गांजा
हर साल मोरक्को में 1500 टन चरस और गांजा तैयार होता है. मोरक्को में करीब 1,34,000 हेक्टेयर में गांजे के खेत हैं. अमेरिका के कुछ राज्यों और मेक्सिको में चिकित्सकीय मैरिजुआना को कानूनी दर्जा मिल जाने के बाद से इसकी खेती में वृद्धि हुई है.
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म्यांमार में हेरोइन
दक्षिण पूर्वी एशिया में गोल्डन ट्राएंगल ऑफ म्यांमार, लाओस और कंबोडिया, अफीम और हेरोइन बनाने में आगे हैं. यहां सालाना 1000 टन अफीम तैयार होती है. यहां से इसे थाइलैंड और इंडोनेशिया समेत अन्य दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में सप्लाई किया जाता है.
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अमेरिका और मेक्सिको से क्रिस्टल मेथ
यूएनओडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक कृत्रिम ड्रग क्रिस्टल मेथ का इस्तेमाल नाटकीय रूप से बढ़ा है. यह ठीक ठीक नहीं पता कि इसके सबसे बड़े निर्माता देश कौन हैं. इसे घरेलू लैब में बनाना आसान है. जानकारी के मुताबिक साल 2014 में अमेरिकी पुलिस ने ऐसी 12,000 लेबों पर छापे मारे. 2014 में दुनिया भर से पकड़ी गई 144 टन क्रिस्टल मेथ में से 80 फीसदी अमेरिका और मेक्सिको में पकड़ी गई.