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एक महीने की लड़ाई में रूस ने गंवाए 1351 सैनिक

२५ मार्च २०२२

एक महीने की लड़ाई में रूस ने 1,351 सैनिक गंवाए हैं और पिछले हफ्ते थिएटर पर हुए हमले में अब तक 300 आम लोगों की जान गई है. इस बीच चार लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन से रूस गए हैं. पोलैंड पहुंचे जो बाइडेन.

कीव के पास पड़ा रूसी टैंक का मलबा
कीव के पास पड़ा रूसी टैंक का मलबातस्वीर: Serhii Nuzhnenko/AP/picture alliance

रूसी सेना ने शुक्रवार को बताया कि यूक्रेन पर हमले में अब तक उसके 1,351 सैनिकों की मौत हुई है. रूसी समाचार एजेंसी इंटरफैक्स ने यह जानकारी दी है. इसके अलावा 3,825 सैनिक घायल भी हुए हैं. इससे पहले मार्च की शुरूआत में रूसी सेना ने 498 सैनिकों के मौत की जानकारी दी थी. हालांकि, जानकार इस युद्ध में मरने वाले रूसी सैनिकों की संख्या 6,000 से 15,000 के बीच बता रहे हैं.

यूक्रेनी सेना ने अपने सैनिकों को कीव के पश्चिम में तैनात कर दिया है. खबर यह भी आ रही है कि तेज हुई लड़ाई में उन्होंने रूसी सैनिकों को पीछे धकेलने में कामयाबी पाई है. पश्चिम की ओर मौजूद याश्नोहोरोदका गांव में पत्रकारों ने भारी लड़ाई की खबर दी है. इस गांव की चर्च का टावर भी इस लड़ाई की भेंट चढ़ गया.

यह भी पढ़ेंः यूक्रेन में क्यों मर रहे हैं रूसी सेना के कर्नल और जनरल

पूरब की तरफ खारकीव के बाहरी इलाके शुक्रवार को धुएं की चादर में लिपटे रहे. सुबह से ही यहां भारी गोलीबारी चल रही है. शहर के एक अस्पताल में कई घायल सैनिक आए हैं. एक तरफ डॉक्टर उनका इलाज कर रहे हैं और उसी दौरान गोलीबारी की आवाजें अस्पताल में गूंज रही हैं.

खारकीव की यूनिवर्सिटी पर मिसाइल हमलातस्वीर: AA/picture alliance

थिएटर पर हमले में अब तक 300 मरे

यूक्रेन के अधिकारियों का कहना है कि पिछले हफ्ते मारियोपोल के थिएटर पर हुए रूसी हमले में मरने वालों की संख्या 300 तक पहुंच गई है. अभी यह साफ नहीं है कि थिएटर से लोगों को निकालने में जुटी राहत एजेंसियों का काम खत्म हुआ है या नहीं. एक महीने से चल रहे युद्ध में यह आम लोगों पर सबसे बड़ा हमला था.

16 मार्च को जिस थिएटर पर हमला किया गया, उसमें 1,300 से ज्यादा लोग छिपे हुए थे. थिएटर के बाहर बड़े-बड़े अक्षरों में चिल्ड्रेन भी लिखा गया था, ताकि उसे हमले से बचाया जा सके, लेकिन फिर भी हमला हुआ.

बीते हफ्तों में मारियोपोल से लाखों लोग भागकर दूसरे शहरों या यूक्रेन से बाहर गए हैं. हालांकि, रूसी सेना अब भी शहर को पूरी तरह कब्जे में नहीं ले पाई है.

रूस गए यूक्रेनी

यूक्रेन के अधिकारियों का कहना है कि रूसी सैनिकों का जिन इलाकों में नियंत्रण है, वहां यूक्रेनी लोगों के पासपोर्ट जब्त किए जा रहे हैं. फिर उन्हें अलगाववादियों के नियंत्रण वाले इलाकों में बने शिविरों में ले जाया जा रहा है. अब तक 4,02,000 लोगों को रूस ले जाने की खबर आ रही है, जिनमें 84,000 बच्चे भी हैं. हालांकि, स्वतंत्र रूप से इन आंकड़ों की पुष्टि नहीं हो सकती है.

उधर रूसी कर्नल जनरल मिखाइल मिजिन्त्सेव का कहना है कि युद्ध शुरू होन के बाद लगभग 4 लाख लोगों को रूस ले जाया गया है. ये लोग पूर्वी यूक्रेन के दोनेत्स्क और लुहांस्क इलाके के हैं. यहां रूस समर्थित अलगाववादी इलाके पर कब्जे के लिए 8 साल से लड़ रहे हैं.

मेडिका में बच्चों का मनोरंजन करते इस्राएल के ड्रीम डॉक्टर्स एसोसिएशन के सदस्यतस्वीर: Sergei Grits/AP/picture alliance

लड़ाई में घिरे इलाकों की मुश्किल

यूक्रेनी सरकार के एक स्थानीय अधिकारी ने बताया है कि उत्तरी शहर चेर्निहीव में भारी संकट पैदा हो गया है, क्योंकि रूसी सैनिकों ने जानबूझकर ऐसे ठिकानों को निशाना बनाया, जहां खाने का सामान रखा गया था. हवाई हमले में यहां का एक अहम पुल भी ध्वस्त हो गया. इसके बाद से राजधानी कीव से इसका संपर्क कट गया है.

नगर परिषद के सचिव ने बताया कि 2,85,000 की आबादी वाले इस शहर में अब बस 1,30,000 लोग बचे हैं. हालांकि, शहर अब भी यूक्रेन के नियंत्रण में है.

संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी आयुक्त फिलिप्पो ग्रांडी ने शुक्रवार को बताया कि रूस का हमला शुरू होने के बाद से अब तक यूक्रेन के एक करोड़ से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है. यह यूक्रेन की आबादी का करीब एक चौथाई है. तकरीबन 37 लाख लोग देश छोड़कर बाहर गए हैं और दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में पहली बार इतनी बड़ी शरणार्थी समस्या सामने आई है. तकरीबन 65 लाख लोग यूक्रेन में ही इधर-उधर हो गए हैं. इसके अलावा करीब 1.3 करोड़ लोग भारी गोलीबारी वाले इलाकों में या तो फंसे हुए हैं या फिर वहां से निकल पाने में असमर्थ हैं.

पोलैंड पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेनतस्वीर: Brendan Smialowski/Getty Images/AFP

रूस पर दबाव बनाने की कोशिश

इस बीच पश्चिमी देश रूस पर दबाव बनाने के लिए अब भी नए तरीकों से प्रतिबंधों को आगे बढ़ा रहे हैं. जर्मनी के वित्तमंत्री ने शुक्रवार को बताया कि नए आपूर्तिकर्ताओं से से करार किए जा रहे हैं, ताकि तेल, गैस और कोयले के लिए रूस पर निर्भरता को आने वाले हफ्तों में बड़े पैमाने पर घटाया जा सके. जर्मन मंत्री ने यह भी कहा कि उनका देश 2024 के मध्य तक रूसी गैस से पूरी तरह मुक्त होने की उम्मीद कर रहा है. इसके लिए तीन फ्लोटिंग टर्मनिल का इस्तेमाल किया जाएगा. इनके जरिए शिप से आने वाली गैस को देश तक पहुंचाया जाएगा. इसके साथ ही एलएनजी के लिए स्थायी टर्मिनल भी बनाए जाएंगे.

हालांकि, पश्चिमी देशों में हंगरी ने यूक्रेनी राष्ट्रपति की हथियारों की मांग को खारिज कर दिया है. हंगरी को यूरोपीय संघ में पुतिन का सबसे बड़ा साथी कहा जाता है. हंगरी का कहना है कि यूक्रेनी राष्ट्रपति की मांग "हंगरी के हितों के खिलाफ" है.

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पोलैंड में जो बाइडेन

नाटो के महासचिव येंस स्टोल्टेनबर्ग ने शुक्रवार को एक बार फिर दोहराया कि यूक्रेन युद्ध में परमाणु या रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल "युद्ध की प्रकृति को पूरी तरह से बदल देगा और इसे बिल्कुल स्वीकार नहीं किया जाएगा."

इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पोलैंड पहुंच गए हैं. इस यूरोप यात्रा में यह उनकी आखिरी मंजिल है. इसके जरिए वह दिखाना चाहते हैं कि नाटो के सदस्य के रूप में पोलैंड की हिफाजत उनका परम कर्तव्य है. इसके साथ ही पोलैंड ने यूक्रेनी शरणार्थियों की जिस तरह से मदद की है, उसके लिए वह उसके प्रति आभार भी जताना चाहते हैं.

पुतिन ने पश्चिमी देशों पर भेदभाव करने का आरोप लगाया हैतस्वीर: Mikhail Klimentyev/Sputnik Kremlin/AP Photo/picture alliance

पुतिन ने लगाया भेदभाव का आरोप

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों पर रूसी संस्कृति के खिलाफ भेदभाव बरतने का आरोप लगाया है. उन्होंने रूसी कलाकारों और लेखकों पर लग रहे प्रतिबंधों की तुलना नाजी समर्थकों के हाथों 1930 के दशक में किताबें जलाए जाने से की.

पुतिन ने शुक्रवार को टीवी पर प्रसारित भाषण में कहा, "मैं रूस से जुड़ी हर चीज के प्रति प्रगतिशील भेदभाव के बारे में बात कर रहा हूं. कई पश्चिमी देशों में यह चलन शुरू हो रहा है, जिसमें पश्चिमी कुलीनों की पूरी सहभागिता है और कई बार प्रोत्साहन भी."

पुतिन का कहना है कि रूसी संगीतकारों को कॉन्सर्ट से बाहर किया जा रहा है और लेखकों पर पाबंदियां लगाई जा रही है. रूसी राष्ट्रपति ने कहा, "पिछली बार अवांछित संस्कृति तो मिटाने का बड़ा अभियान लगभग 90 साल पहले नाजियों ने चलाया था. किताबें चौराहों पर जलाई गई थीं."

यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. इनके दायरे में रूसी राजनेता, ओलिगार्क, कारोबार के अलावा खेल और संस्कृति भी है.

एनआर/वीएस (एपी, रॉयटर्स, डीपीए)

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