लोकतंत्र में एक-एक वोट की कीमत होती है. तभी तो आगामी आम चुनाव में अरुणाचल प्रदेश के एक वोट की खातिर चुनाव कर्मियों की टीम मीलों पैदल चलकर चुनाव में उसकी भागीदारी सुनिश्चित करेगी.
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इस वोटर का नाम है सोलेका तायांग और उम्र है 39 साल. वह अरुणाचल प्रदेश के एक दूर दराज के इलाके में रहती हैं. उनका गांव चीन की सीमा के बिल्कुल पास है. सोलेका भी अपना वोट डाल पाएं, इसके लिए चुनाव कर्मियों की एक टीम लंबा सफर करके उनके गांव में जाएगी.
एक स्थानीय चुनाव अधिकारी दागबोम रीगा ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि 15 से 18 चुनाव कर्मियों की टीम को सोलेका के गांव तक पहुंचने के लिए मुश्किल रास्तों पर लगभग छह किलोमीटर पैदल चलना होगा. वह कहते हैं, "हम एक एक वोटर तक पहुंचना चाहते हैं, इसलिए हमारे लिए यह कोई चुनौती वाली बात नहीं है." अलजा जिले में बनने वाले इस अनोखे मतदान केंद्र पर भले ही सोलेका अकेली वोटर हों. लेकिन नियमों के हिसाब से मतदान केंद्र को सुबह से लेकर शाम तक खुला रहना होगा.
भारत का जनमानस तय करेगा कि वह फिर पीएम नरेंद्र मोदी को बागडोर सौंपेगा या उसके मन में कुछ और है. जो भी हो, यहां पेश हैं भारतीय आम चुनाव के कुछ दिलचस्प आंकड़े.
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कितनी सीटें
आम चुनाव में लोकसभा की कुल 545 सीटों में से 543 पर चुनाव होता है. दो सीटों पर राष्ट्रपति एंग्लो इंडियन समुदाय के लोगों को नामांकित करते हैं. ये ऐसे यूरोपीय लोगों का समुदाय है जिन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान भारतीय लोगों से शादी की और यहीं रह गए.
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कितने वोटर
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भारत में 83 करोड़ से ज्यादा वोटर थे, जो अमेरिका की आबादी का तीन गुना हैं. लेकिन इनमें से 66 प्रतिशत यानी 55.3 करोड़ लोगों ने ही अपना वोट डाला था.
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कितनी पार्टियां
पिछले आम चुनाव में कुल 8,251 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे और कुल पार्टियों की संख्या थी 460. भारत में चुनाव का सारा काम केंद्रीय चुनाव आयोग देखता है. दिल्ली में उसके मुख्यालय में तीन सौ से ज्यादा अधिकारी काम करते हैं.
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कितने उम्मीदवार
पिछले लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के आधार पर देखें तो हर निर्वाचन क्षेत्र में औसतन 15 उम्मीदवार थे. चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं एक सीट पर सबसे ज्यादा 42 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे.
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कितने बूथ
चुनाव आयोग ने 2014 के चुनाव में कुल 9,27,553 मतदान केंद्र बनाए थे और हर केंद्र पर वोट डालने वालों की औसतन संख्या 900 थी. चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार किसी भी वोटर के लिए मतदान केंद्र दो किलोमीटर से दूर नहीं होना चाहिए.
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कितने कर्मचारी
पिछले आम चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि चुनावी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 50 लाख सरकारी कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था जो पैदल, सड़क मार्ग, ट्रेन, हेलीकॉप्टर, नौका या फिर कभी कभी हाथी पर चढ़ कर भी निर्वाचन क्षेत्रों तक पहुंचे थे.
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एक वोटर के लिए मतदान केंद्र
2009 के लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने गुजरात में गीर के जंगलों में सिर्फ एक वोटर के लिए मतदान केंद्र बनाया था. यह जंगल एशियाई शेरों का अहम ठिकाना है और इसके लिए यह दुनिया भर में मशहूर है. (फोटो सांकेतिक है)
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मतदान और मतगणना
भारत के आम चुनाव कई चरणों में होता है और आम तौर पर इसमें एक महीने से ज्यादा का समय लगता है. लेकिन सभी सीटों पर वोटों की गिनती एक ही दिन होती है. पहले मतपत्रों की वजह से नतीजा आने में कई दिन लगते थे, लेकिन ईवीएम आने के बाद एक दिन में ही परिणाम आ जाते हैं.
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चुनाव का खर्च
भारत जैसे विशाल देश में चुनाव पर खर्चा भी बहुत आता है. केंद्रीय चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि 2014 के आम चुनावों पर कुल 38.7 अरब रुपये यानी साढ़े पांच करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च हुए थे.
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ईवीएम
2014 के आम चुनाव में कुल 18 लाख ईवीएम मशीनें इस्तेमाल की गई थीं. ईवीएम से चुनाव प्रक्रिया आसान तो हुई है लेकिन कई विपक्षी पार्टियां यह कह कर इनकी आलोचना करती हैं कि ईवीएम से गड़बड़ी होती है. कई पार्टियां बैलेट के जरिए चुनाव की मांग करती हैं. लेकिन फिलहाल ऐसी संभावना नहीं दिखती है.
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रिबा कहते हैं, "भले ही वह अपना वोट सवेरे ही डाल दें, लेकिन चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार मतदान केंद्र शाम पांच बजे तक खुला रहेगा." चुनाव आयोग के नियम कहते हैं कि किसी भी वोटर से उसका मतदान केंद्र दो किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर नहीं होना चाहिए.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार 2014 में इस जगह पर दो वोटर हुआ करते थे, जिनमें सोलेका के अलावा उनके पति का भी नाम था. लेकिन इस बार उन्होंने अपने आपको अन्य जगह पर रजिस्ट्रर करा लिया, जिससे अब वहां सिर्फ सोलेका अकेली वोटर बची हैं.
अरुणाचल प्रदेश में कई ऐसी जगहें हैं जहां पर गिने चुने वोटर हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक इस पूर्वोत्तर राज्य में कम से कम आठ मतदान केंद्र ऐसे हैं, जहां वोटरों की संख्या 10 से कम है. भारत जैसे विशाल देश में चुनाव प्रक्रिया किसी चुनौती से कम नहीं है. राजस्थान जैसे राज्य के रेगिस्तानों इलाकों में जाने के लिए चुनाव कर्मियों को ऊंटों की सवारी करनी पड़ती है, तो ठंडे इलाकों में उन्हें याकों का सहारा लेना पड़ता है. कई जगहों पर नौका के जरिए ही पहुंचा जा सकता है.
भारत में 11 अप्रैल से लेकर 19 मई तक सात चरणों में आम चुनाव होंगे, जिनमें कुल 90 करोड़ लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं. वोटों की गिनती 23 मई को होगी.