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एक सचिन, 100 शतक और करोड़ों उम्मीदें

२ अप्रैल २०११

भले ही वह क्रिकेट के सबसे बड़े सितारे हों. भले ही वह इतिहास के सबसे बड़े क्रिकेटर हों लेकिन वर्ल्ड कप फाइनल में सचिन तेंदुलकर जब ग्राउंड पर उतरेंगे तो शायद अपने 22 साल के करियर में सबसे ज्यादा तनाव और दबाव में होंगे.

तस्वीर: AP

सचिन तेंदुलकर पर अपने जीवन का सबसे बड़ा सपना पूरा करने का दवाब होगा. उन पर वर्ल्ड कप के अंदर अपने शतकों का शतक पूरा करने का प्रेशर होगा और साथ में होगी एक अरब से ज्यादा जनता की हसरतें, जो उन्हें उनके ही ग्राउंड पर कुछ ऐसा कर गुजरता देखना चाहती हैं, जो आज से पहले कभी नहीं हुआ और बाद में कब होगा, कोई नहीं जानता.

वर्ल्ड कप में जितनी चर्चा भारत की कामयाबी की है, शायद उससे कहीं ज्यादा सचिन तेंदलुकर की है. खिताबी मुकाबले से पहले ही टीम इंडिया का एक एक सदस्य उनके लिए कप जीतने की बात करने लगा और मुकाबले में उन्होंने ही भारत की तरफ से अब तक सबसे ज्यादा दो शतक बनाए हैं.

भारत की टीम सबसे अब तक की सबसे मजबूत टीम समझी जा रही है. यहां तक कि 1983 का वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम से भी ज्यादा मजबूत. तभी तो मोहिंदर अमरनाथ कह रहे हैं कि अगर इस बार खिताब नहीं जीता, तो शायद वह भारत को वर्ल्ड कप के साथ नहीं देख पाएंगे. इस बात को टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी जानते हैं और क्रिकेट देखने समझने वाला आम भारतीय क्रिकेट प्रेमी भी.

तस्वीर: AP

और सबको पता है कि यह टीम किस वजह से मजबूत है. एक अकेले सचिन तेंदुलकर दो टीमों के बीच जमीन आसमान का फासला पैदा कर देते हैं और यह उनके क्रिकेटिंग करियर का आखिरी वर्ल्ड कप होना लगभग तय माना जा रहा है. सचिन के हटने के बाद टीम इंडिया भले ही बहुत मजबूत बनी रहे लेकिन ऐसी मजबूत नहीं रह पाएगी. सचिन को भी इस बात का कहीं न कहीं अहसास तो जरूर होगा.

भारत की सबसे बड़ी गायिका लता मंगेशकर उनके लिए व्रत रख रही हैं. कहीं पूजा की जा रही है तो कहीं क्रिकेट के भगवान के लिए मन्नतें मानी जा रही हैं. इन सबसे सचिन की शख्सियत तो बड़ी बनती है. लेकिन साथ ही प्रेशर भी बढ़ जाता है.

ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के खिलाफ नॉक आउट मैचों में सचिन अच्छी पारियां खेल चुके हैं और लगातार तीसरे ऐसे मैच में उनका लय में बना रहना आसान नहीं. लेकिन सचिन हैं, तो कुछ भी संभव है.

वानखेड़े स्टेडियम में आज उनकी जंग किसी लसित मलंगा से नहीं, किसी मुथैया मुरलीधरन से भी नहीं. उनकी जंग आज खुद अपनी भावनाओं से है, अपने तजुर्बे से है और करोड़ों लोगों की उम्मीदों पर खरे उतरने के दबाव से है. अगर सचिन इन तीनों का आक्रमण झेल जाते हैं तो वह खुद को महानता की उस श्रेणी में पहुंचा देंगे, जहां उनका मुकाबला कम से कम आने वाले 20 सालों में कोई क्रिकेटर नहीं कर सकता. जाहिर है कि यहां तक पहुंचने के लिए किसी को भी 20 साल तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना पड़ेगा. मौजूदा क्रिकेट में ऐसा खिलाड़ी नहीं दिखता.

सचिन के सामने दो लक्ष्य हैं. मैच जीतना और शतक बनाना. दोनों हासिल हो पाएंगे, कहना मुश्किल है लेकिन अगर दूसरा हासिल हो गया तो पहला ज्यादा मुश्किल नहीं. अब तक उन्होंने 48 वनडे शतक बनाए हैं, जिनमें 33 बार भारत जीता है. तो अगर उन्होंने दबाव पर काबू पा लिया तो शतक बनाना मुश्किल नहीं.

सचिन अगर सपनों की पारी खेल लेते हैं और भारत जीत जाता है तो उसके बाद एक सनसनी भी फैल सकती है. सचिन का यह आखिरी वर्ल्ड कप ही नहीं होगा. हो सकता है कि यह उनका आखिरी वनडे हो.

विचारः अनवर जे अशरफ

संपादनः ओंकार सिंह जनौटी

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