मोदी सरकार का एक साल पूरा होने पर भाजपा देश भर में 200 रैलियां निकाल रही है. शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मथुरा में एक जनसभा के साथ कर रहे हैं. इनमें पार्टी सरकार की साल भर की उपलब्धियों के बारे में बताएगी.
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मोदी सरकार के एक साल पूरा होने पर तारीफ से ज्यादा आलोचना के स्वर प्रखर हो रहे हैं. पार्टी को लगता है सरकार की छवि पर जनविरोधी होने के जो दाग लग रहे हैं इन रैलियों द्वारा उन्हें मिटाया जा सकेगा. पार्टी ने चुनाव पूर्व कार्यक्रमों की तर्ज पर व्यापक स्तर पर लोगों तक पहुंच बनाने की कवायद में 200 रैलियों और 5,000 जनसभाओं का आयोजन करने की योजना बनाई है.
अधूरी उम्मीदें
मोदी के एक साल में हुई उपलब्धियों और नाकामियों पर आम जनता के अलावा विश्लेषकों की भी राय बंटी हुई है. अच्छे दिन लाने के नारे के साथ मोदी सरकार पिछले साल स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में आई थी. वादों के मुताबिक सरकार से उम्मीदें भी भारी लगाई गईं.
भूले हुए वादों में एक अहम वादा था देश के आर्थिक विकास और नई नौकरियों का. इकोनॉमिक थिंक टैंक आरपीजी के प्रमुख डीएच पाइ पानंदिकर मानते हैं, "मोदी से भारी उम्मीदें थीं जो कि 30 सालों में पहली बार बहुमत से प्रधानमंत्री पद पर आने वाले राजनेता हैं, उम्मीद थी कि वे बड़े और तीव्रगामी परिवर्तन लाएंगे. ऐसा अब तक नहीं हुआ है."
चंडीगढ़ की मुनिंद्रा सूपिया कहती हैं, "हम अभी तक उन अच्छे दिनों का इंतजार कर रहे हैं. सरकार नौकरियों की संभावनाएं लाने पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रही है." हालांकि ऊपरी सतह पर आर्थिक स्थिति खराब नहीं दिखती है. पिछले वित्तीय वर्ष में जीडीपी में 6.9 फीसदी विकास हुआ है जिसके अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक इस साल 7.5 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद की जा रही है, यानि चीन से भी ज्यादा. मुद्रास्फीति जो कि मोदी की प्राथमिकताओं में से एक है, 5 फीसदी से कम रही. आलोचकों का मानना है कि गणना के आधिकारिक तरीके बदलने के कारण पिछले साल की जीडीपी में 2 फीसदी की उछाल रही. उनका मानना है कि मुद्रास्फीति में स्थिरता की बड़ी वजह तेल और गैस की कीमतों के अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में अन्य सामग्री के दामों में आई गिरावट है.
विदेश नीति
विदेश नीति के मोर्चे पर अपने कार्यकाल के पहले वर्ष में मोदी काफी सक्रिय रहे. उन्होंने भारत के मेक इन इंडिया कैम्पेन का विदेश में बढ़ चढ़ कर प्रचार किया और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को भारत आकर निर्माण करने की दावत दी. फॉरेन पॉलिसी थिक टैंक की नीलम देव के मुताबिक विदेशी निवेश को भारत लाने की सोच के जरिए मोदी भारत की आर्थिक कूटनीति में भारी परिवर्तन लाए हैं.
मोदी ने 12 महीनों में 18 देशों की यात्रा की जिनमें फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका भी शामिल हैं. लेकिन करीबी पड़ोसी पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों में कोई सुधार नहीं हुआ है. हालांकि प्रधानमंत्री पद संभालते समय पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को दावत देकर उन्होंने अच्छे संबंधों की उम्मीद जगाई थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं. लेकिन उनके कूटनीतिक प्रयासों ने बांग्लादेश और म्यांमार के साथ संबंधों को बेहतर बनाया और चीन के साथ आर्थिक संबंध भी मजबूत होते दिखाई दे रहे हैं.
आलोचकों का यह भी मानना है कि गुजरात दंगों के दाग पीछे छोड़ कर प्रधानमंत्री पद संभालने वाले नरेंद्र मोदी अभी तक मुसलमानों और अल्पसंख्यकों का विश्वास नहीं जीत पाए हैं. हाल में अपने कई भाषणों में उन्होंने कहा कि "समय बदल रहा है". उन्होंने लोगों से धैर्य रखने को कहा. उनकी उम्मीद है कि अगले साल इस समय तक वे भारत को यह कहने की स्थिति में होंगे कि अच्छे दिन आ गए.
एसएफ/एमजे (डीपीए)
हवा में मोदी, कब कब कहां कहां गए
प्रधानमंत्री पद संभालने के पहले साल में नरेंद्र मोदी ने 365 में से 55 दिन विदेश में बिताए. साल भर में उन्होंने कुल 18 देशों का दौरा किया. यह संख्या अब 28 हो चुकी है. गिनती जारी है..
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भूटान
जून 2014 में बतौर प्रधानमंत्री अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए मोदी ने भूटान को चुना. पड़ोसी देश भूटान के साथ भारत के दशकों से अच्छे संबंध रहे हैं.
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ब्राजील
इसके बाद जुलाई में मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मलेन के लिए ब्राजील पहुंचे. यहां चीन, ब्राजील, रूस और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्षों से उनकी मुलाकात हुई.
तस्वीर: Reuters
नेपाल
अगस्त 2014 में मोदी नेपाल पहुंचे. संसद में भाषण देने के बाद वे पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन करने पहुंचे. नवंबर में वे सार्क शिखर सम्मलेन के लिए एक बार फिर नेपाल आए. नेपाल एकमात्र ऐसा देश है जहां प्रधानमंत्री मोदी दो बार जा चुके हैं.
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जापान
अगस्त के अंत ने मोदी ने जापान का दौरा किया. राजधानी टोक्यो के अलावा वे क्योटो भी गए और दो बुद्ध मंदिरों के दर्शन करने भी पहुंचे.
तस्वीर: UNI
अमेरिका
सितंबर में मोदी ने अमेरिका का रुख किया, जहां ना केवल उन्होंने राष्ट्रपति ओबामा से मुलाकात की, बल्कि संयुक्त राष्ट्र महासभा को भी संबोधित किया. अमेरिका में मोदी का किसी रॉकस्टार जैसा स्वागत हुआ.
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म्यांमार
अक्टूबर में मोदी भारत में ही रहे लेकिन नवंबर में उनके कई दौरे हुए. म्यांमार में वे आसियान शिखर सम्मलेन के लिए पहुंचे. यहां से वे ऑस्ट्रेलिया, फिर फिजी और उसके बाद नेपाल गए.
तस्वीर: Reuters/Soe Zeya Tun
ऑस्ट्रेलिया
मोदी 28 साल में पहली बार ऑस्ट्रेलिया पहुंचने वाले भारतीय प्रधानमंत्री हैं. यहां उन्होंने जी20 शिखर सम्मलेन में शिरकत की और सिडनी क्रिकेट ग्राउंड भी गए.
तस्वीर: Reuters/R. Stevens
श्रीलंका
दिसंबर और जनवरी भी मोदी का समय घर पर ही बीता. मार्च 2015 में सेशेल्स और मॉरिशस होते हुए वे श्रीलंका पहुंचे. 1987 में राजीव गांधी के बाद श्रीलंका जाने वाले वे पहले प्रधानमंत्री हैं. मार्च के अंत में वे सिंगापुर भी गए.
तस्वीर: Reuters/D. Liyanawatte
फ्रांस
अप्रैल में मोदी तीन देशों की यात्रा पर निकले. सबसे पहले फ्रांस में उन्होंने राफाल लड़ाकू विमानों का सौदा तय किया. फ्रेंच स्पेस एजेंसी में उन्होंने भारतीय छात्रों के साथ सेल्फी ली.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Blumberg
जर्मनी
इसके बाद वे जर्मनी पहुंचे जहां उन्होंने चांसलर अंगेला मैर्केल के साथ हनोवर मेले का उद्घाटन किया. राजधानी बर्लिन में उन्होंने जर्मनी में रह रहे भारतीयों को संबोधित किया. यहां से वे कनाडा गए.
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चीन
मई में मोदी ने एक और तीन देशों का दौरा किया. चीन के म्यूजियम में चश्मा लगाए पुतलों के बीच खड़े मोदी की तस्वीरों ने सबका ध्यान खींचा. मोदी ने अपना दौरा राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शहर शियान से शुरू किया.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMA Press
दक्षिण कोरिया
चीन के बाद वे मंगोलिया और फिर दक्षिण कोरिया पहुंचे. दक्षिण कोरिया के साथ उन्होंने सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए.
तस्वीर: Reuters/C. Sung-Jun
बांग्लादेश
जून की शुरुआत में मोदी बांग्लादेश पहुंचे. प्रधानमंत्री शेख हसीना के अलावा वे राष्ट्रपति अब्दुल हामिद से भी मिले. इस दौरान मोदी की शेख हसीना पर महिला होने "के बावजूद" सफल होने की टिप्पणी आलोचनाओं में घिरी रही.
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रूस
जुलाई में वे रूस और पांच अन्य एशियाई देशों का दौरे पर गए. इनमें कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. मोदी ने रूस में सातवें ब्रिक्स सम्मलेन में भाग लिया.
तस्वीर: Reuters/S. Karpukhin
यूएई
अगस्त के मध्य में प्रधानमंत्री ने संयुक्त अरब अमीरात का दो दिवसीय दौरा किया. यात्रा के पहले दिन वे शेख जायद मस्जिद गए. यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद है. माना जाता है कि मोदी ने जीवन में संभवत: पहली बार किसी मस्जिद में कदम रखा.
तस्वीर: UNI
संयुक्त राष्ट्र
सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी ने जी-4 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया. यह ब्राजील, जापान, जर्मनी का भारत का संगठन है जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के दावेदार हैं.
तस्वीर: Agencia Brasil
ब्रिटेन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चिरप्रतीक्षित ब्रिटेन दौरा. इस दौरे पर प्रधानमंत्री ने महारानी एलिजाबेथ और शाही परिवार के साथ भोजन किया, प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के साथ बातचीत की और बेंबली स्टेडियम में भारतीय मूल के हजारों लोगों को संबोधित किया.
तस्वीर: Reuters/D. Lipinski
तुर्की
तुर्की के अंताल्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया. इस सम्मेलन को मुख्यतः पर्यावरण सम्मेलन होना था लेकिन पेरिस पर आतंकी हमले के बाद मुख्य ध्यान आतंकवाद और आईएस से लड़ने पर रहा.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Walsh
अब आगे क्या?
अमेरिका, ब्रिटेन और तुर्की के बाद रिपोर्टों के अनुसार नवंबर में ही प्रधानमंत्री मोदी की इस्राएल, फलीस्तीन और सिंगापुर जाने की भी योजना है.