मानवाधिकारों का हनन करने वाले पुराने कानूनों को बदलने के वादे के साथ मई 2018 में मलेशिया में नई सरकार बनी थी. एक साल बाद उनका क्या हाल है और क्या वाकई कुछ बदला है?
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9 मई 2018 को हुए पिछले आम चुनाव में प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक हारे और मलेशिया में नए प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कमान संभाली. लेकिन एक साल बाद महातिर मोहम्मद की सरकार को आलोचनाएं झेलनी पड़ रही हैं. जिन दमनकारी कानूनों को बदलने और मानवाधिकार की स्थिति सुधारने के वादों के साथ वे सत्ता में आए थे, उन्हें पूरा नहीं करने से जनता नाराज है.
मलेशिया में एक साल से एक बार फिर अनुभवी और दुनिया के सबसे उम्रदराज राष्ट्र प्रमुख महातिर मोहम्मद के नेतृत्व वाली सरकार है. सन 1957 में ब्रिटिश शासन से देश की आजादी के बाद 1981 से लेकर 2003 तक भी मलेशिया में उनकी ही सरकार थी. उनके बाद सत्ता में आई सरकारों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे. पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक के नौ सालों के शासनकाल में उन पर 1 मलेशिया डेवलपमेंट बरहाद का सरकारी फंड लूटने समेत भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे.
इसी के चलते 2018 में महातिर मोहम्मद के नेतृत्व में पैक्ट ऑफ होप एलायंस बना, जिसने शपथ ली कि वे देश को औपनिवेशिक काल की बुराइयों से बाहर निकालेंगे. वहां अब भी देशद्रोह का कड़ा कानून है, जिसका राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए गलत इस्तेमाल करने के आरोप लगते रहे हैं. ऐसे कानून भी हैं जिनके अनुसार किसी व्यक्ति को सुनवाई का मौका दिए बिना अनिश्चितकाल के लिए हिरासत में रखा जा सकता है. ये कानून अब भी जस के तस हैं.
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मृत्युदंड खत्म करने के अपने वादे से तो प्रशासन चुनाव के बाद ही मुकर गया था. महातिर ने सत्ता में आने पर अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत से जुड़ने की बात की थी लेकिन बाद में विरोध प्रदर्शनों के चलते इससे भी पलट गए. मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच के उप एशिया निदेशक, फिल रॉबर्टसन कहते हैं, "सरकार को समझना चाहिए कि ऐसे अपमानजनक तरीकों और कानूनों को हटाने में और देरी करने का मतलब मलेशियाई लोगों को और नुकसान पहुंचाना है."
महातिर मोहम्मद को सन 1981 से लेकर 2003 तक के उनके पहले शासनकाल में निरंकुश राज के लिए जाना जाता है. अब भी वे यह कह रहे हैं कि देश का बहुमत इन सुधारों के समर्थन में नहीं है. एक प्रेस कांफ्रेंस में 93 साल के महातिर मोहम्मद ने कहा, "यह एक लोकतांत्रिक देश है. लोगों के विचार अलग हैं. हमें उनके विचारों का सम्मान करना है." उन्होंने कहा, "ये उन लोगों का मानवाधिकार है कि वे उन चीजों का विरोध करें जो उन्हें अच्छी न लगती हों."
चुनाव जीतने के बाद से लगातार नई सरकार की लोकप्रियता में गिरावट देखी गई है. आलोचकों का मानना है कि नई सरकार ने जनता का जीवन सुधारने की कोशिशें नहीं की हैं और इसी लिए एक एक करके कई स्थानीय चुनाव हारते गए हैं.
आरपी/एमजे (एएफपी)
प्रलय से पहले पर्यटन
खत्म होती सबसे बड़ी मूंगा चट्टान से लेकर पिघलते ग्लेशियरों तक, पर्यटक ऐसी जगहों को देखने भारी तादाद में पहुंच रहे हैं, जिन पर अस्तित्व खोने और गायब होने का खतरा मंडरा रहा है.
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ग्रेट बैरियर रीफ - ऑस्ट्रेलिया
हर साल करीब 20 लाख लोग इसे देखने पहुंचते हैं. संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन पर काम करने वाली एजेंसी का कहना है कि अगर हम वैश्विक तापमान को दो डिग्री बढ़ने तक सीमित भी कर लें, तब भी इस कोरल रीफ का 99 फीसदी खो देंगे. इतनी बड़ी संख्या में पर्यटकों के छूने से यह और जल्दी खत्म हो सकती है.
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ध्रुवीय भालू - कनाडा
कनाडा के चर्चिल इलाके में ध्रुवीय भालू दिखाने के लिए सफारी का आयोजन होता है. 2010 में हुई एक स्टडी से पता चला कि सफारी के कारण यहां का कार्बन फुटप्रिंट कई गुना बढ़ जाता है. पर्यटक हवाई यात्रा कर वहां पहुंचते हैं, जो कि कार्बन डाय ऑक्साइड के उत्सर्जन के बोझ को और बढ़ाता है.
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अंटार्कटिक की यात्रा
ध्रुवीय भालू की ही तरह जलवायु परिवर्तन का नाम लेते ही पिघलते ग्लेशियरों की तस्वीर जेहन में आती है. इनको पास से देखने जाने वाले पर्यटक न केवल क्रूज जहाजों को भारी कीमत चुकाते हैं बल्कि ग्लेशियर को भी नुकसान पहुंचाते हैं. 1990 के दशक में सालाना केवल 5,000 लोग पहुंचे थे वहीं 2018 में करीब 46,000 लोग.
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अफ्रीकी नेशनल पार्क
यहां के नेशनल पार्कों में सवाना मैदानों के पीछे किलिमंजारो पर्वत की बर्फीली चोटियां देखी जा सकती हैं. हर साल यहां केवल पर्यटन से 5 करोड़ डॉलर की कमाई होती है. कई पर्यटक फर्टवेंगलर ग्लेशियर पर भी चढ़ते हैं. पिछले 100 सालों में इसकी करीब 85 फीसदी बर्फ पिघल चुकी है. बाकी बची बर्फ भी इसी सदी के मध्य तक गल जाएगी.
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मोंटाना ग्लेशियर नेशनल पार्क
सन 1920 में खुले मोंटाना पार्क में तब 100 से भी ज्यादा बर्फीली संरचनाएं थीं. आज दो दर्जन से भी कम बची हैं. इतनी तेजी से बर्फ खोने के कारण यह पार्क जलवायु परिवर्तन पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों का केंद्र बन गया है. हर साल इसे देखने करीब 30 लाख पर्यटक पहुंचते हैं.
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मालदीव के डूबते द्वीप
मालदीव में सफेद रेतीले तटों वाले करीब 1,200 कोरल द्वीप हैं. नीले समुद्री पानी से ये द्वीप करीब 2.5 मीटर की ही ऊंचाई पर हैं. 2017 में नए हवाई अड्डे और कई मेगा-रिजॉर्ट बना कर यहां पर्यटकों की तादाद सात गुना बढ़ाने की योजना बनी. राष्ट्रपति इसकी कमाई से नए द्वीप बसा कर डूब रहे द्वीपों के लोगों को वहां बसाना चाहते थे. लेकिन सत्ता से बाहर हो चुके पूर्व राष्ट्रपति अब भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे हैं.
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खारे पानी के दलदल
केवल द्वीप ही नहीं बल्कि दलदल वाले इलाकों पर भी खतरा है. फ्लोरिडा के एवरग्लेड वेटलैंड तेजी से गायब हुए हैं. पिछली सदी में इसके आधे हिस्से को सुखा कर वहां खेती की जाने लगी है. बाकी बचे प्राकृतिक दलदल में नमकीन पानी घुस रहा है. विश्व धरोहरों में शामिल एवरग्लेड दलदल गंभीर खतरे में है.
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गालापागोस की भंग होती शांति
डार्विन के नाम से जुड़े गालापागोस के द्वीप भी भारी बदलाव से गुजर रहे हैं. इसके उलट डार्विन के समय उनकी खासियत ही यही थी कि वे बाकी दुनिया से कटा होने के कारण काफी जैवविविधता संरक्षित किए हुए थे. वहां इतने पर्यटक पहुंचते हैं कि वातावरण में तेज बदलाव हो रहे हैं. समुद्र का तापमान बढ़ने से यहां के खास समुद्री इगुआना जीव भूखे मरने लगे हैं. (रुबी रसेल/आरपी)