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एक हज़ार बाग़ियों पर हत्या का केस दर्ज

१ मार्च २००९

बांग्लादेश की पुलिस ने कहा है कि एक हज़ार बीडीआर बाग़ी जवानों पर हत्या का केस दायर किया गया है. बांग्लादेश में बीडीआर विद्रोहियों के मामलों की सुनवाई विशेष अदालतें करेंगी.

बीडीआर का विद्रोह बांग्लादेश के सबसे बड़े संकटों में एक माना जा रहा हैतस्वीर: AP

ढाका में पुलिस अधिकारी ने बताया कि खिसा पुलिस थाने में हज़ार बाग़ी जवानों के ख़िलाफ़ हत्या का केस दर्ज किया गया है.

उधर इस विद्रोह की जांच के लिये ख़ास अदालत बनाने का फ़ैसला लिया गया है. इस बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी लेकिन इस ट्रिब्युनल की प्रमुख बांग्लादेश की गृहमंत्री शहारा ख़ातून होंगी. जांच की पहली रिपोर्ट इस सप्ताह के आख़िर तक पेश की जाएगी.

उधर हसीना सरकार ने कहा है कि बीडीआर के इस सशस्त्र संघर्ष में मारे गए लोगों के परिजनों को दस लाख टका की राशि दी जाएगी. बांग्लादेश की सेना ने इसे सेना पर अब तक की सबसे बड़ा हत्याकांड बताया है.

सरकार और सेना में जानकारों का कहना है कि यह विद्रोह हसीना सरकार को अस्थिर करने का षडयंत्र था. रविवार को भी लापता अधिकारियों की तलाश जारी रही उधर ढाका में बीडीआर मुख्याल में तीन और सामूहिक क़ब्रें मिली हैं जिनसे मिले शवों के बाद मृतकों की संख्या 77 हो गई है. 72 अफ़सर अब भी लापता है.

बांग्लादेश के ग्रामीण विकास और सहकारिता मंत्री सैयद अशरफ़ुल इस्लाम ने शनिवार को कहा, ''क़ानून मंत्रालय से कहा गया है कि वह हत्यारों और लुटेरों के ख़िलाफ़ तेज़ी से क़ानूनी कार्रवाई करने के लिए क़ानून बनाए. इन क़ानूनों को संसद से मंज़ूर कराया जाएगा.'' प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस बारे में भी ग़ौर किया गया कि विद्रोह के इस पूरे प्रकरण के पीछे बाहरी तत्वों का भी हाथ हो सकता है.

इससे पहले शनिवार को ढाका में बीडीआर मुख्यालय में तीन और क़ब्रें मिली. वहां से निकाली गई लाशों में बीडीआर के प्रमुख मेजर जनरल शकील की पत्नी नाज़नीन का शव भी शामिल है. सेना ने कहा है कि दो दिन तक चले विद्रोह में मरने वालों की संख्या कम से कम 76 हो गई है जबकि 72 अफ़सर अब भी लापता है.

इस बीच प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने विद्रोहियों के ख़िलाफ़ कड़ा रुख़ अख़्तियार कर लिया है. गुरुवार को उन्होंने विद्रोहियों से यह कहते हुए हथियार डालने की अपील की थी कि उन्हें माफ़ी दे दी जाएगी. राष्ट्रीय टीवी पर अपने संबोधन में उन्होंने यह भी कहा था कि अगर विद्रोहियों ने हथियार नहीं डाले तो सेना को उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करनी होगी. इस संबोधन के कुछ देर बाद ही विद्रोहियों ने आत्मसमर्पण कर दिया था. अब हसीना ने कहा है कि विद्रोहियों को ऐसी सज़ा दी जाए, जो आगे के लिए भी एक मिसाल बने.

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