विश्व की प्रमुख सत्ताओं ने एक सप्ताह के भीतर सीरियाई युद्ध को रोकने के लिए सहमति बना ली है. इसके अलावा वहां फंसे लोगों को मानवीय मदद पहुंचाने और सीरिया शासन और विपक्ष के बीच वार्ता शुरु कराने का भी लक्ष्य है.
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जर्मन शहर म्यूनिख में अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की मुलाकात से सीरिया की स्थिति के बदलने की नई आशा जगी है. सीरियाई संकट का राजनयिक तोड़ निकालने और वहां पूर्ण संघर्ष विराम के लिए प्रयास करने पर सभी पक्षों ने सहमति जताई है. कैरी ने इस समझौते को "महात्वाकांक्षी" बताया है तो वहीं रूस के साथ करीब एक दर्जन वैश्विक शक्तियों के साथ आने से एक हफ्ते में सीरिया में "पूर्ण संघर्ष विराम" लागू किए जाने की उम्मीद जगी है. केरी ने भी माना कि समझौते की असली परीक्षा तो उसे लागू किए जाने में ही सामने आएगी.
लावरोव और सीरिया में संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि स्ताफान दे मिस्तुरा ने बताया कि वार्ता में शामिल सभी पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि सीरियाई सरकार और विपक्ष को आपस में बातचीत करनी होगी. पिछले हफ्ते ये वार्ता शुरु हो सकती थी लेकिन विपक्ष ने उससे पहले बहुत सी शर्तें रख दी थीं. उन्होंने रूसी बमबारी को तुरंत रोकने, मानवीय मदद का रास्ता खोलने और बंधकों की तुरंत रिहाई की मांग रखी थी. शर्तें न मानी जाने पर वार्ता रद्द हो गई थी और रूसी हवाई हमलों का समर्थन पा रहा सीरियाई शासन अलेप्पो जैसे शहरों में काफी बढ़त बनाता गया.
रूस और अमेरिका में एक तरह के समझौते के बावजूद इसे लागू किए जाने की समय सीमा पर सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं. लावरोव ने साफ किया कि कोई तारीख तय करने के बजाए शत्रुता और संघर्ष को रोकने के "तौर तरीके" अपनाए जाएं और एक सप्ताह के भीतर मानवीय सहायता पहुंचाने की कोशिश की जाए.
लावरोव ने सीरियाई विपक्ष पर अब तक कोई सकारात्मक भूमिका ना निभाने का आरोप लगाया. लावरोव का मानना है कि सीरिया के असद शासन के साथ विपक्ष को बिना शर्त बातचीत करने के लिए तैयार होना चाहिए. रूस पहले भी कह चुका है कि इन वार्ताओं में सीरिया के ज्यादा से ज्यादा विपक्षी गुटों को शामिल करना चाहिए, जिनमें कुर्द लड़ाके भी शामिल हैं.
रूस ने सीरिया में सऊदी अरब और तुर्की समर्थित समूहों की मौजूदगी पर सख्त ऐतराज जताते हुए उन्हें आतंकवादी करार दिया है. ये कहना मुश्किल है कि इस्लामिक स्टेट और अल कायदा समर्थित अल-नुसरा फ्रंट के अलावा कौन सी आतंकी ताकतें सीरिया में सक्रिय हैं. लावरोव ने दोहराया कि सीरिया में इन आतंकी गुटों के खिलाफ रूस अपनी हवाई कार्रवाई जारी रखेगा. म्यूनिख सुरक्षा वार्ता में हिस्सा ले रहे जर्मन विदेश मंत्री फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर ने कहा है कि यह समझौता कितना बड़ा है इसका पता आने वाले कुछ ही दिनों में लग जाएगा.
सीरिया में शक्ति प्रदर्शन
यूरोप शरणार्थी संकट और आतंकी हमलों की आशंका से जूझ रहा है तो सीरिया में विश्व और स्थानीय ताकतें शक्ति प्रदर्शन में लगी हैं. तुर्की का रूसी बमवर्षक को गिराना इसी प्रहसन का हिस्सा है.
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रूस का एसयू-24 विमान नीचे से उड़ते हुए बमबारी कर सकता है. तुर्की की सेना ने ऐसे ही रूसी बमवर्षक को सीमा के उल्लंघन का आरोप लगाकर गिरा दिया. विमान तुर्क सीमा से चार किलोमीटर दूर सीरिया के अंदर गिरा.
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तुर्की ने 24 नवंबर को रूस का एक बमवर्षक मार गिराया. तुर्की का आरोप है कि उसने रूसी लड़ाकू विमान को दस बार चेतावनी दी जिसे पाइलट ने नजरअंदाज कर दिया. उसके बाद तुर्की ने हमले की प्रक्रिया को सक्रिय किया.
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विदेशी विमान के तुर्की की सीमा के 20 किलोमीटर के अंदर आने पर उन्हें चेतावनी दी जाती है. आठ किलोमीटर करीब आने पर एफ-16 को तैयार कर दिया जाता है. सीमा के हनन पर विदेशी विमान को गिरा दिया जाता है.
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रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने तुर्की की कड़ी आलोचना की है और उसे आतंकवाद का समर्थक बताया है. पुतिन ने विदेश मंत्रालय द्वारा नागरिकों को तुर्की की यात्रा पर न जाने की सलाह का समर्थन किया है. उन्होंने इसे आवश्यक कदम बताया.
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रूस और तुर्की के रिश्तों में खटास का आर्थिक असर भी होगा. हर साल करीब 33 लाख रूसी तुर्की जाते हैं. विदेश मंत्री लावरोव की चेतावनी के बाद विमान कंपनी एयरोफ्लोत का शेयर भाव भी गिरा है जो रूसी पर्यटकों को तुर्की ले जाता है. अंताल्या में क्रेमलिन पैलेस होटल.
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रूसी बमवर्षक तुर्की-सीरिया सीमा पर सीरिया के उस इलाके में गिरा जहां तुर्क मूल के तुर्कमान जाति के लोग रहते हैं. वे सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार का विरोध कर रहे हैं. तुर्की उन्हें समर्थन देता है. रूस का कहना है कि वह आईएस के ठिकानों पर बमबारी कर रहा है.
मार गिराए गए विमान में दो पाइलट थे. वे हमले के बाद इजेक्ट हो गए. उनमें से एक की मौत हो गई जबकि दूसरे पाइलट को रूसी और सीरियाई स्पेशल फोर्स ने रात की कार्रवाई के बाद बचा लिया. वह लताकिया में रूसी हवाई चौकी पर सुरक्षित पहुंच गया है.
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रूसी विमान को गिराए जाने के बाद तुर्की के राष्ट्रपति एरदोवान और प्रधानमंत्री दावोतोग्लू अपनी हवाई सीमा की रक्षा के तुर्की के अधिकार पर जोर दे रहे हैं. उन्हें अमेरिका सहित नाटो के दूसरे सदस्यों का समर्थन भी मिला है.
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पेरिस पर आतंकी हमले के बाद रूस और पश्चिमी देशों के बीच आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहमति के संकेत दिख रहे थे. पुतिन और एरदोवान अंताल्या में मिले थे. लेकिन तुर्की द्वारा रूसी बमवर्षक को गिराए जाने के बाद इस बात की उम्मीद कम हुई है कि सीरिया में सहमति संभव होगी.
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जर्मन विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने मॉस्को और अंकारा से समझदारी की अपील की है. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस घटना का असर सीरिया समस्या के समाधान के लिए हाल ही में शुरू हुई बातचीत पर नहीं पड़ेगा.