एचआईवी की दवा के खिलाफ क्यों है मरीजों का संगठन
८ अगस्त २०१९मरीजों के ये संगठन आमतौर पर नई दवाओं को इंश्योरेंस में शामिल करने की वकालत करते रहे हैं भले ही वो चाहे जितनी महंगी हो. हालांकि इस बार ऐसा नहीं है. कम से कम तीन अमेरिकी संगठनों ने सवाल उठाया है कि क्या जिलियड का डिस्कोवी जोखिम का सामना कर रहे लोगों के लिए सबसे अच्छा विकल्प है. वर्तमान में जो इलाज की जो गोली मौजूद है उसका नाम है ट्रुवाडा. इसका जेनेरिक वर्जन सितंबर 2020 में बाजार में आएगा और तब उसकी कीमत काफी कम होगी. इन लोगों का कहना है कि इस दवा से इलाज ज्यादातर लोगों की पहुंच में होगा. इन लोगों के विरोध की गूंज इंश्योरेंस कंपनियों की आवाज में भी सुनाई दे रही है. इंश्योरेंस कंपनियां ऐसे संकेत दे रही हैं कि डिस्कोवी की ऊंची कीमत की वजह से उसे इंश्योरेंस कवरेज में शामिल करना मुश्किल होगा.
नेशनल अलायंस ऑफ स्टेट एंड टेरिटोरियल एड्स डायरेक्टर्स के निदेशक टिम होर्न का कहना है, "अब तक जो विज्ञान हमने देखा है उससे इस बात का कोई संकेत नहीं मिलता कि हर किसी को डेस्कोवी की जरूरत है." ट्रुवाडा भी जिलियड साइंसेज ने ही बनाई है. इसका इस्तेमाल एचआईवी संक्रमित लोगों के इलाज में 2004 से हो रहा है. इसे 2012 में बचाव के लिए दैनिक गोली के रूप में मंजूरी दी गई और यह अमेरिकी बाजार में एड्स से बचाव की अकेली दवा है. इसके इस्तेमाल से एचआईवी के संक्रमण को स्थायी बनने से रोका जा सकता है. इस दवा को प्री एक्सपोजर प्रोफीलैक्सिस या फिर संक्षेप में पीआरईपी कहा जाता है.
क्लिनिकल ट्रायल में डेस्कोवी ट्रुवाडा की तुलना में किडनी और हड्डियों के लिए कम जहरीली साबित हुई. इसे 2016 में उन लोगों के लिए मंजूरी दी गई जो पहले से ही एचआईवी से संक्रमित हैं. इसके इस्तेमाल से एचआईवी के संक्रमण को स्थायी बनने से रोका जा सकता है. अमेरिकी भोजन और दवा प्रशासन जल्दी ही इस पर विचार करने वाला है कि डेस्कोवी को पीआरईपी के रूप मंजूरी दी जाए या नहीं. इस साल के आखिर तक इस दवा को पीआरईपी के रूप में मंजूरी मिल जाने के आसार हैं.
जिलियड साइंसेज से जब मरीज संगठनों के विरोध के बारे में पूछा गया तो कंपनी का कहना है कि डेस्कोवी ट्रुवाडा की तुलना में ज्यादा सुरक्षित है. इसके साथ ही यह वायरस को रोकने में ज्यादा दक्ष है जिसका नतीजा एचआईवी से संक्रमण की आशंका वाली कोशिकाओं में दवा के ज्यादा जमाव के रूप में सामने आता है. रोग नियंत्रण और बचाव केंद्र का अनुमान है कि अमेरिका में करीब 11 लाख लोगों को पीआरईपी से फायदा हो सकता है. सबसे ज्यादा जोखिम उन लोगों के लिए रहता है जो किसी एचआईवी संक्रमित शख्स के साथ सेक्स करते हैं या फिर इंजेक्शन की सूई साझा करते हैं.
जिलियड का कहना है कि इस साल की दूसरी तिमाही में 2 लाख 13 हजार लोग एचआईवी से बचने के लिए ट्रुवाडा की गोली ले रहे हैं. कंपनी ने ट्रंप प्रशासन के एक दशक के भीतर अमेरिका में एचआईवी का संक्रमण रोकने के लक्ष्य में मदद करने की शपथ ली है. इसी साल मई में जिलियड ने कहा कि कंपनी हर साल 2 लाख ऐसे लोगों को पीआरईपी की सप्लाई देगी जिनके पास इंश्योरेंस नहीं है, जब तक कि डेस्कोवी को मंजूरी नहीं मिल जाती. नई दवा को मंजूरी मिलने के बाद यह ट्रुवाडा की जगह ले लेगी.
कीमतों का खेल
एचआईवी की दवा बनाने वाली कंपनियों को पहले से ही जेनेरिक दवाओं की होड़ से अभयदान मिला हुआ है. जब भी किसी इलाज से पेटेंट संरक्षण खत्म होने का खतरा दिखता है, ये कंपनियां वैज्ञानिक खोजों के आधार पर एक नई दवा पेश कर देती हैं जो पिछली दवा से अच्छी होती है और जिसकी कीमत भी ज्यादा होती है. ट्रुवाडा और डेस्कोवी दोनों की कीमत 21000 डॉलर सालाना है. इस कीमत के बाद सरकारी और निजी इंश्योरेंस कंपनियां इस पर छूट देती हैं. इस साल के पहली छमाही में ट्रुवाडा की बिक्री 1.3 अरब डॉलर की रही. डेस्कोवी की बिक्री 70 लाख डॉलर की रही जो 2024 तक 3 अरब डॉलर सालाना पहुंचने की उम्मीद है. टेवा फार्मास्यूटिकल्स इंडस्ट्रीज अगले साल तक ट्रुवाडा का एक जेनरिक संस्करण पेश करने जा रही है. 2021 में जब और ज्यादा प्रतिद्वंद्वी कंपनियां होंगी तो कीमतों में होड़ तेज होगी.
मरीजों की बात करने वाले प्रमुख संगठनों का कहना है कि जिलियड ने अभी यह साबित नहीं किया है कि नई दवा किडनी और हड्डियों के लिए ज्यादा सुरक्षित होने के अलावा पर्याप्त रूप से फायदेमंद है. जब दवा की कीमतें बढ़ रही हैं तो उनकी सोच इंश्योरेंस कंपनियों के रुख को मजबूत कर सकती है जो नियमित रूप से जेनरिक ड्रग का इस्तेमाल करने को बढ़ावा देते हैं ताकि खर्च घटाया जा सके. मरीजों के संगठन ट्रीटमेंट एक्शन ग्रुप (टीएजी) के एचआईवी प्रोजेक्ट डायरेक्टर जेरेमिया जॉनसन का कहना है कि वह ऐसे हेल्थ प्लान पर बात कर सकते हैं जिसमें किसी शख्स के लिए डेस्कोवी दवा का इस्तेमाल शुरू करने से पहले जेनरेरिक दवा को आजमाना जरूरी हो. टीएजी और पीआरईपी फॉर ऑल ने इस साल की शुरुआत में जिलियड के परीक्षण आंकड़ों और कीमतों को लेकर चिंता जताते हुए खाद्य और दवा प्रशासन से मांग की कि डेस्कोवी की फिर से समीक्षा की जाए.
हालांकि कई विशेषज्ञ मान रहे हैं कि डेस्कोवी में "सुरक्षा का अंतर भले ही थोड़ा है लेकिन सच है." हालांकि ट्रुवाडा का कवर देने वाली इंश्योरेंस कंपनियां इस बात पर रजामंद नहीं दिखतीं कि डेस्कोवी ज्यादा फायदेमंद नहीं है.
एनआर/एमजे(रॉयटर्स)
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