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समाज

एचआईवी से होने वाली मौत में बीते 8 साल में एक तिहाई की कमी

१७ जुलाई २०१९

युवा पुरुषों और महिलाओं के बीच एचआईवी के नए संक्रमण दर में असमानता बनी हुई है. उम्र में समानता के बावजूद महिलाओं में संक्रमण की संभावना पुरुषों की तुलना में 60 प्रतिशत अधिक होती है.

HIV Aids Symbol Schleife
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Pleul

संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के अनुसार पिछले 8 साल में एचआईवी की वजह से होने वाली मौत में 33 प्रतिशत की कमी आई है. वर्ष 2010 में जहां एजआईवी की वजह से करीब 12 लाख लोगों की मौत हुई थी, वहीं 2018 में यह आंकड़ा कम होकर 7 लाख 70 हजार पर पहुंच गया. 2017 में 8 लाख लोगों की मौत हुई थी. हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पैसे की कमी की वजह से बीमारी को जड़ से मिटाने के वैश्विक प्रयास कम हुए हैं.

यूएनएड्स ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि एक अनुमान के मुताबिक वर्तमान में पूरी दुनिया में करीब 3 करोड़ 79 लाख लोग एचआईवी से प्रभावित हैं. इनमें से 2 करोड़ 33 लाख लोग एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) ले रहे हैं. यद्यपि पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में अभी भी दुनिया के सबसे ज्यादा एचआईवी प्रभावित लोग हैं लेकिन यहां एड्स से संबंधित मौतें इस दशक में कम हो गई हैं. दूसरी ओर पूर्वी यूरोप में मृत्यु दर 5 प्रतिशत तथा मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में 9 प्रतिशत बढ़ी है. रिपोर्ट में पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में नए संक्रमण बढ़ने की ओर इशारा किया गया, जहां एचआईवी के मामलों में 29% की वृद्धि हुई है.

यूएनएड्स की कार्यकारी निदेशक गुनिला कार्लसन कहती हैं कि इस बीमारी को मिटाने के लिए तत्काल अधिक राजनीतिक नेतृत्व की आवश्यकता है. वे कहती हैं, "इसकी शुरूआत पर्याप्त रूप से और स्मार्ट तरीके से निवेश करने से होती है. साथ ही यह देखना होगा कि कैसे कुछ देश इसमें सफल हो रहे हैं. एड्स का खात्मा उस स्थिति में संभव है, जब रोग की जगह लोगों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. एक रो़ड मैप बनाकर एचआईवी से सबसे ज्यादा प्रभावित लोगों के बीच पहुंचना होगा."

साल 2018 में एड्स पर काम करने के लिए 19 अरब डॉलर उपलब्ध कराया गया था, जो कि 2020 तक अनुमानित 26.2 अरब डॉलर की तुलना में 7 अरब कम है. यह अंतर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दान में कमी और घरेलू निवेश में कमी की वजह से हुआ.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 में एचआईवी के आधे से अधिक नए मामले ज्यादा जोखिम वाले समूहों में से सामने आए हैं, जिनके पास एड्स की रोकथाम की सेवाएं मौजूद नहीं है. इसमें यौनकर्मी, ड्रग का सेवन करने वाले, पुरुषों के साथ संबंध बनाने वाले, ट्रांसजेंडर, कैदी और इनके यौन साथी शामिल हैं. दशकों के शोध और उपचार में प्रगति के बावजूद, एचआईवी या एड्स का इलाज अभी तक विकसित नहीं हुआ है. एचआईवी और एड्स से लगभग 8 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं. 1980 के दशक की शुरुआत से अब तक 3.5 करोड़ से अधिक लोगों की मौत हुई है.

आरआर/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी, डीपीए)

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