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एटीएम से निकलते कपकेक

२ अप्रैल २०१४

कहते हैं अमेरिका का न्यूयॉर्क शहर कभी नहीं सोता. जाहिर है अगर कोई जागता रहेगा तो कभी न कभी भूख तो लगेगी ही. इसीलिए बाजार बंद होने के बाद भी भूख मिटाने का इंतजाम है, स्प्रिंकल्स के 'कपकेक एटीएम' में.

Cupcake Bäckerei Automat Gebäck New York
तस्वीर: Reuters

न्यूयॉर्क में मंगलवार को पहला कपकेक वाला एटीएम खुला. पेस्ट्री और मीठे के शौकीनों के लिए तो यह किसी सपने के सच होने जैसा ही है. 'कपकेक्स' नामकी इस पेस्ट्री बनाने वाली चेन ने इससे पहले अमेरिका में ऐसे ही पांच एटीएम खोले हैं जहां चौबीसों घंटे चलने वाली वेंडिंग मशीन से लजीज कपकेक निकलते हैं.

दुनिया में इस करह की पहली मशीन इसी कंपनी ने कैलिफोर्निया के बेवर्ली हिल्स में लगाई थी. कंपनी आगे और भी ऐसे एटीएम लगाने की योजना बना रही है. इस एटीएम को बनाने वाली 'स्प्रिंकल्स' कंपनी की संस्थापक कैंडेस नेल्सन कहती हैं, "मुझे एक ऑटोमेटिक कपकेक मशीन का आइडिया तब आया जब मैं गर्भवती थी और मेरा दूसरा बेटा होने वाला था. तब देर रात मुझे कुछ मीठा खाने का बहुत मन होता था."

कई रंगों में आते हैं कपकेकतस्वीर: Fotolia/ArenaCreative

इस मशीन में कुल 760 कपकेक आ सकते हैं और एक बार में चार ऐसी पेस्ट्रियां निकाली जा सकती हैं. लोग इस मशीन से कपकेक निकाल कर खाने के लिए लंबी कतारों में देर तक खड़े रहने से भी नहीं चूक रहे. शहर में पहले से ही रात भर खुले रहने वाले कई दूसरे स्टोर भी हैं. लेकिन ग्राहकों को लगता है कि इस तरह का एटीएम अपने आप में एक अनोखा अनुभव है.

दूसरी ओर दुनिया में आधे अरब से ज्यादा लोग मोटापे की बीमारी का शिकार हैं और डायबिटीज की बीमारी तेजी से बढ़ रही है. फास्ट फूड और केक, पेस्ट्री जैसे प्रोसेस्ड फूड में चीनी की मात्रा आमतौर पर ज्यादा होती है जिससे रिस्क और भी बढ़ जाता है. कम और औसत आमदनी वाले देशों में इसका खतरा और भी ज्यादा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार स्वस्थ रहने के लिए लोगों को चीनी का सेवन आधा करना होगा. हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर लोग मधुमेह, दांतों की सड़न और मोटापे की बीमारी का शिकार होने से बचना चाहते हैं तो उन्हें दिन भर में छह चम्मच से कम चीनी ही लेनी चाहिए.

एटीएम के बाहर ग्राहकों की लंबी कतारेंतस्वीर: Reuters

पश्चिमी देशों में ही नहीं, विकासशील देशों में भी इस बीमारी के शिकार हो रहे लोगों की संख्या बढ़ रही है. डायबिटीज के हर पांच में से चार मरीज विकासशील और गरीब देशों में रहते हैं.

रिपोर्ट: ऋतिका राय (डीपीए, रॉयटर्स)

संपादन: ईशा भाटिया

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