एशियन डेवलपमेंट बैंक ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को आठ हजार अरब डॉलर से भी ज्यादा का नुकसान हो सकता है और एक गहरे वित्तीय संकट की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता है.
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एशियन डेवलपमेंट बैंक ने कहा है कि व्यापार के सिमटने और फैलती हुई बेरोजगारी के बीच कोरोना वायरस महामारी वैश्विक अर्थव्यवस्था को 9.7 प्रतिशत तक का नुक्सान पहुंचा सकती है. इस ताजा अनुमान के साथ एडीबी ने अपने ही द्वारा दिए हुए पिछले अनुमान को दोगुना कर दिया है. नए अनुमान के अनुसार नुकसान का मूल्य आठ हजार अरब डॉलर से भी ज्यादा हो सकता है और ये अलग अलग परिदृश्यों पर आधारित है.
लेकिन एडीबी ने ये भी कहा कि सरकारों के हस्तक्षेप से इस नुकसान की भरपाई हो सकती है. वायरस की वजह से 24 करोड़ से भी ज्यादा नौकरियां जा सकती हैं जो कि एक दशक पहले आए वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान गई नौकरियों से सात गुना से भी ज्यादा है. बैंक ने कहा है कि इसकी क्षतिपूर्ति मुश्किल होगी और चेतावनी दी है कि अगर कंपनियों का दिवाला निकलने से पहले महामारी पर तुरंत काबू नहीं पाया गया तो एक गहरे वित्तीय संकट की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है.
एएफपी के आंकड़ों के मुताबिक 15 मई तक कोरोना वायरस ने दुनिया भर में 3,00,140 लोगों की जान ले ली है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि संभव है कि ये वायरस समुदायों में रहने वाला एक और एंडेमिक वायरस बन जाएगा और लोगों को इसके साथ रहना सीखना पड़ेगा. 196 देशों में कोरोनावायरस के संक्रमण के 44 लाख से भी ज्यादा मामले आधिकारिक रूप से दर्ज हुए हैं. मरने वालों की सबसे ज्यादा संख्या अमेरिका में रही है, जहां अब तक 85,906 लोग मारे गए.
आर्थिक नुक्सान को रोकने के लिए, सरकारों ने कई तरह के स्टिमुलस दिए हैं जैसे नौकरियां सलामत रखने के लिए कंपनियों को मदद, कैश ट्रांसफर और टैक्स में छूट. एडीबी का कहना है, "इनकी वजह से कोविड-19 महामारी के कुछ दुष्प्रभावों का मुकाबला करना संभव हो सका." बैंक ने यह भी कहा कि अमेरिका को उसके जीडीपी के दसवें हिस्से के बराबर या 2000 अरब डॉलर से भी ज्यादा का नुकसान हो सकता है जब कि चीन को उसकी जीडीपी के 11वें हिस्से के बराबर या 1,000 अरब डॉलर से ज्यादा का नुक्सान हो सकता है.
उद्योगों की बात करें तो वायरस के फैलाव को रोकने के लिए देशों के अपनी अपनी सीमाओं को सील कर देने और तालाबंदी लागू करने के बीच पर्यटन और विमानन क्षेत्रों को बहुत धक्का लगा. कई एयरलाइन कंपनियों ने या तो अपने कर्मचारियों को निकाल दिया है या उन्हें भुगतान ना होने वाली छुट्टी पर भेज दिया है. एडीबी ने कहा, "रोजगार पर सबसे गंभीर असर हुआ है. अकुशल कामगार जो अमूमन अनियमित आय पर जीते थे उन पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है." यात्रा प्रतिबंधों की वजह से वैश्विक व्यापार को 2600 अरब डॉलर तक का नुकसान हो सकता है.
दुनियाभर में विमान सेवाएं ठप्प हैं. कोरोना वायरस महामारी के कारण विमानन क्षेत्र अभूतपूर्व संकट के दौर से गुजर रहा है. विमान जितनी देर खड़े रहेंगे कंपनियों को उतना नुकसान होगा. एक नजर डालते हैं इस क्षेत्र की चुनौतियों पर.
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विशाल चुनौती
विमानन क्षेत्र एक ऐसे संकट से गुजर रहा है जिससे उबर पाना उसके लिए फिलहाल नामुमकिन है. देशों में लॉकडाउन के कारण हवा में उड़ने वाले विमान जमीन पर खड़े हैं. अंतरराष्ट्रीय एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के मुताबिक एयरलाइंस को वैश्विक स्तर पर 113 अरब डॉलर का नुकसान कोरोना वायरस महामारी के कारण हो सकता है.
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नौकरी पर खतरा
ब्रिटिश कारोबारी रिचर्ड ब्रैनसन ने चेतावनी दी है कि अगर कोरोनो वायरस संकट का सामना करने के लिए ब्रिटेन सरकार से वित्तीय सहायता नहीं मिलती है तो उनकी कंपनी वर्जिन अटलांटिक बंद हो जाएगी. वर्जिन अटलांटिक में हजारों लोग काम करते हैं. भारत में भी बजट एयरलाइंस अपने कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी पर भेज चुकी है. गो एयर ने 90 फीसदी कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी पर भेज दिया है.
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भविष्य की चिंता
अंतरराष्ट्रीय एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) के 290 एयरलाइंस सदस्य हैं. आईएटीए का कहना है कि गुजरते दिनों के साथ "उद्योग की संभावना और अधिक खराब नजर आ रही है." आईएटीए की मांग है कि सरकारें विमान कंपनियों को आर्थिक सहायता दें नहीं तो कंपनियां इस संकट को पार नहीं कर पाएंगी.
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उड़ानें ठप्प
आईएटीए के मुताबिक 2019 की तुलना में अप्रैल 2020 में 80 फीसदी उड़ानें दुनियाभर में रद्द हुईं. जनवरी के अंत में विमानन क्षेत्र के लिए संकट शुरू हुआ जब कंपनियों ने कोविड-19 के कारण चीन जाने वाली उड़ानें बंद करनी शुरू कर दी.
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पर्यटन-विमानन पर गहरा असर
जानकारों का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण नौकरियां पतझड़ की तरह जा सकती हैं. कई विमान कंपनियां लीज पर विमान लेती हैं और उन्हें उसके बदले पैसे चुकाने होते हैं. विमानों के नहीं उड़ने से कंपनियां टिकट नहीं बेच पाएंगी और लीज का पैसा नहीं चुका पाएंगी.
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भारतीय विमानन क्षेत्र का दर्द
भारत में विमानन कंपनियां पहले से ही बहुत अच्छी हालत में नहीं है और अगर कोरोना वायरस का संकट और चलता है तो भारत में सबसे ज्यादा नौकरियां जाने का खतरा है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हालात जल्द नहीं सुधरे तो कंपनियों को मजबूरी में लोगों को नौकरी से निकालना होगा.
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विमान खड़े हैं तो भी खर्च
अगर विमान खड़े हैं तो भी खर्च होते हैं. विमान की देखरेख के लिए इंजीनियर होते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में 16,000 यात्री विमान खड़े हैं. 2020 में इन खड़े विमानों की देखरेख भी बड़ी चुनौती बनकर उभरी है. जब विमान खड़े होते हैं तो उन्हें पक्षियों से भी बचाना होता है क्योंकि वे उन में घोंसला बना सकते हैं.
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पार्किंग फीस
विमान को एयरपोर्ट पर खड़ा रखने का भी शुल्क लगता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अगर कोई विमान खड़ता करता है तो उसे एक दिन के लिए एक हजार डॉलर देने पड़ते हैं.