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एड्स का टीका तैयार करने का दावा

२४ सितम्बर २००९

वैज्ञानिक एड्स से बचाव का अब तक का सबसे कारगर टीका बना लेने का दावा कर रहे हैं. थाइलैंड में कई हज़ार लोगों पर परीक्षण के बाद पाया गया कि वह 31 प्रतिशत मामलों में एचआई वायरस के संक्रमण से बचाव करने में सफल रहा.

एड्स से इलाज में बड़ी कामयाबी का दावातस्वीर: AP

इस सफलता को एड्स के विरुद्ध 25 वर्षों से चल रही लड़ाई की सबसे बड़ी सफलता बताया जा रहा है. एड्स के इलाज की दवाइयां या उससे बचाव के टीके बना लेने में भारी सफलता के पहले भी कई दावे हो चुके हैं. पर वे ऊंची दूकान, फीके पकवान से अधिक नहीं निकले. इसलिए बहुत-से विशेषज्ञ निराश हो चले थे कि एड्स से बचाव का टीका कभी बन भी सकता है. यह अब भी नहीं कहा जा सकता कि थाइलैंड से जो ख़बर आई है, वह एक क्रांतिकारी सफलता है. तब भी, वह एड्स के मोर्चे पर मील का पत्थर तो साबित हो ही सकती है.

थाइलैंड के स्वास्थ्य मंत्रालय और अमेरिकी सेना के प्रतिनिधियों ने आज बैंकॉक में बताया कि नये टीके का 16000 थाइलैंडवासियों पर प्रयोग किया गया. ये लोग अपनी मर्ज़ी से प्रयोग में हिस्सा लेने के लिए तैयार हुए. अमेरिकी सेना के एड्स शोध कार्यक्रम की ओर से कर्नल जोरोमी किम ने वीडियो लिंक के माध्यम से बड़े उत्साह के साथ कहा, "पहली बार दिखाया जा सका है कि टीका एड्स से बचाव कर सकता है."

एड्स के टीके पर काफ़ी लंबे अर्से से काम चल रहा है.तस्वीर: AP

दो टीकों का मेल

यह टीका वास्तव में पहले से ही मौजूद दो ऐसे टीकों के मेल से बना है, जो अपने अलग अलग रूप में प्रभावकारी नहीं सिद्ध हो पाए. वे हैं दवा निर्माता सानोफ़ी-अवेंतीस का अलवाक (ALVAC) और वैक्सजीन का एड्सवैक्स (AIDSVAX). नए टीके का परीक्षण अक्टूबर 2003 में बैंकॉक के पास के दो थाई प्रदेशों में शुरू हुआ था.

परीक्षण करने वालों का दावा है कि नया टीका 31.2 प्रतिशत मामलों में एड्स के एचआईवी का संक्रमण रोकने में सफल रहा है. यह कोई पूर्ण सफलता नहीं है, तब भी कर्नल किम का कहना है, "यह इस बात का पहला प्रमाण है कि हम एक सुरक्षित और कारगर टीका पा सकते हैं."

रास्ते का अंत नहीं

दूसरी ओर इस परीक्षण को समर्थन दे रहे अमेरिका के राष्ट्रीय एलर्जी और संक्रामक रोग संस्थान एनआईएआईडी के डॉ. एंथनी फ़ाउसी ने आगाह किया है कि इस आंशिक सफलता का यह अर्थ नहीं लगाना चाहिए कि हमारे "रास्ते का अंत" आ गया है. उन्होंने कहा कि वे इस समाचार से चकित हैं और खुश भी. लेकिन अब भी आशावाद के साथ साथ संयम की भी ज़रूरत है कि एक कारगार टीका बन ही जाएगा.

अफ्रीकी महाद्वीप में एड्स के काफ़ी मामले सामने आते हैं और वहां जागरूकता फैलाने की कोशिशतस्वीर: AP

हर दिन 7500 संक्रमण

एड्स रोग का पहली बार 1981 में पता चला. तब से वह यह दुनिया भर में ढाई करोड़ लोगों की जान ले चुका है. तीन करोड़ तीस लाख लोग इसके वायरस के साथ जी रहे हैं और हर दिन 7500 लोगों को नया संक्रमण लगता है. एड्स का वायरस बीमारी से लड़ने की शरीर की क्षमता को इतना कमज़ोर कर देता है कि बाद में हमें हर तरह की बीमारी आसानी से हो सकती है और किसी मामूली बीमारी से भी मौत हो सकती है.

एड्स से बचाव का टीका बनाने के प्रयास में अब तक 50 टीकों के मनुष्यों पर परीक्षण हो चुके हैं. केवल दो टीके परीक्षण के सभी चरणों को पार कर सके लेकिन कुल मिलाकर बेकार सिद्ध हुए. कोई 30 अलग अलग टीके अब भी प्रयोगशालाओं में विकसित किए जा रहे हैं.

होते रहते हैं एड्स पर सम्मेलनतस्वीर: AP

थोड़ा थोड़ा शक

नए टीके का परीक्षण थाइलैंड के स्वास्थ्य मंत्रालय की देखरेख में केवल थाइलैंड में हुआ है. उस के सीरम के लिए एचआई वायरस के उस प्रकार का उपयोग किया गया, जो थाइलैंड में मिलता है. इसलिए वैज्ञानिक यह भी कह रहे हैं कि अभी यह नहीं कहा जा सकता कि नया टीका वायरस के उन प्रकारों के मामले में भी प्रभावी सिद्ध होगा, जो अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका व अन्य जगहों पर पाये जाते हैं.

एड्स वायरस के कई प्रकार हैं. देखा गया है कि अलग-अलग जगहों के लोग आम तौर पर अलग अलग तरह के वायरस से पीड़ित होते हैं. कुछ लोग एड्स का वायरस शरीर में होते हुए भी कभी बीमार नहीं पड़ते. वैज्ञानिक यह गुत्थी अभी तक सुलझा नहीं पाए हैं कि वे संक्रमण के बावजूद एड्स से बीमार क्यों नहीं पड़ते. यदि यह गुत्थी सुलझ जाए तो टीका बनाने का वह सबसे कारगर फ़ॉर्मूला सिद्ध हो सकती है.

रिपोर्टः एजेंसियां/राम यादव

संपादनः अनवर जे अशरफ़

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