एथलीट अरुणिमा पर राजनीति
१९ अप्रैल २०११
फिलहाल दिल्ली के एम्स में भर्ती कराई जा चुकी अरुणिमा को मलाल है उसके साथ हुई बर्बरता का. उसे ये भी मलाल है कि उसके इलाज में इतनी लापरवाही हुई. हालांकि लखनऊ के छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्विद्यालय के डाक्टरों का कहना है कि उसका सही इलाज किया गया है. डाक्टरों के इसी बयान पर सभी का सवाल है कि जब उसका यहां सही इलाज हो रहा था तो उसे दिल्ली क्यों भेज दिया गया.
दूसरी तरफ उसकी बहन लक्ष्मी और मां ज्ञानवती को इस मामले पर हो रही सियासत का अफसोस है. अरुणिमा को अब तक रेलवे, यूपी सरकार, केन्द्रीय खेल मंत्रालय और विभिन्न संगठनों की ओर से पांच लाख की सहायता का प्रस्ताव दिया गया है साथ ही रेलवे और यूपी सरकार ने नौकरी का प्रस्ताव रखा है. क्रिकेटर हरभजन सिंह और युवराज सिंह ने भी एक एक लाख रूपये की सहायता देने का ऐलान किया है. एम्स में उसके इलाज का खर्च केंद्र सरकार ने वहन करने की भी घोषणा की है.
चुप हैं रेल मंत्री
अरुणिमा सिन्हा पिछले हफ्ते लखनऊ से दिल्ली जाने के लिए पद्मावत एक्सप्रेस के जनरल कोच में सवार हुई थी. वह नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जा रही थी कि बरेली स्टेशन से पहले कुछ बदमाशों ने उसकी चेन खीचने की कोशिश की . इन लुटेरों का विरोध करने पर सोनू को उन लोगों ने चलती ट्रेन से नीचे फेंक दिया. जब तक वह अपने आप को संभालती दूसरे ट्रैक पर आ रही ट्रेन से उसका एक पैर कट गया. आस पास के गांव वालों ने उसे एक टेम्पो पर लादकर बरेली के जिला अस्पताल पहुंचाया. जहां वह तीन दिन तक भर्ती रही. वहीं उसके पैर का आपरेशन हुआ.
जब मामला मीडिया में आया कि एक राष्ट्रीय स्तर कि एथलीट के साथ ऐसा हुआ है तो रेल मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय ने यूपी सरकार और जीआरपी से रिपोर्ट तलब की . रेलवे के अधिकारियों ने साफ कहा की हर ट्रेन में पुलिस तैनात नहीं कि जा सकती . इस पर काफी बवाल हुआ. लेकिन रेल मंत्री ममता बैनर्जी ने बंगाल के चुनाव में व्यस्त होने के कारण कुछ बोलना तक मुनासिब नहीं समझा और न ही कोई लुटेरा पकड़ा जा सका. पुलिस ने 12 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ जरूर की लेकिन नतीजा नहीं निकला. इस बीच सोनू को बरेली से लखनऊ लाया गया.
यहां भी सियासत
यूपी की बसपा सरकार की मुखिया मायावती ने हमेशा की तरह इस बार भी केंद्र सरकार को कोई मौका नहीं दिया और जैसे ही केन्द्रीय खेल मंत्री अजय माकन का लखनऊ आने का कार्यक्रम पहुंचा कि मायावती सरकार हरकत में आई और उसके दो मंत्री राम अचल राजभर और अयोध्या पाल अरुणिमा से मिलने पहुंच गए. राज्य खेल मंत्री अयोध्या पाल ने मायावती की ओर से नौकरी का प्रस्ताव रखा और एक लाख रूपये का चेक दिया. इसके बाद प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा कपिल देव मेडिकल यूनिवर्सिटी पहुचे और वीसी से बंद कमरे में बात की. इसी के बाद मायावती की ओर से एलान किया गया कि अरुणिमा को दिल्ली के एम्स असपताल में ले जाया जा रहा है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता जोशी के दखल देने के बाद ही उसे केन्द्रीय खेल मंत्री अजय माकन के आने तक रोका गया. अजय माकन अपने साथ सफदरजंग अस्पताल के हड्डी रोग स्पेशलिस्ट डाक्टर विनीत को भी लाए थे.
नेताओं ने फैलाया इन्फेक्शन
करीब दो दिन तक मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रॉमा सेंटर में नेताओं, मंत्रियों , अफसरों और पत्रकारों की इतनी भीड़ जमा हुई कि डाक्टर भी घबरा गए. बार बार चेतावनी देने के बावजूद कि इन्फेक्शन फैल जाएगा कोई नहीं माना. ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी डाक्टर महदी दबी जबान से स्वीकार भी करते हैं कि इन्फेक्शन फैलने का एक कारण भीड़ हो सकती है. अरुणिमा को नेक्रोसिस नाम का इन्फेक्शन हुआ. इसी के बाद कहा गया कि उसका पैर अब ऊपर तक काटा जा सकता है. बरेली के बाद ट्रॉमा सेंटर में भी उसका एक आपरेशन हुआ. उसे देखने वालों की भीड़ इतनी बढ़ी कि सोनू की मां ज्ञानवती ने तंग आकर हाथ जोड़ लिए और नेताओं पत्रकारों से कहा की अन्दर न जाएं.
राष्ट्रीय एथलीट होने पर विवाद
लखनऊ से करीब 250 किलोमीटर दूर अंबेडकर नगर जिले के शहजादपुर कस्बे के खतराना मोहल्ले की रहने वाली अरुणिमा सिन्हा ने कब और किस राष्ट्रीय स्पर्धा में हिस्सा लिया कोई नहीं जानता. उससे जब बरेली में इस बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि उसके सारे सर्टिफिकेट इसी दुर्घटना में गिर गए हैं. शहजादपुर के लोग उसके किसी राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में शामिल होने की बात पर मौन रहते हैं. कोई उसके बारे में कुछ भी बोलने से इनकार कर रहा है. वह किस प्रतिस्पर्धा में राष्ट्रीय स्तर पर खेली कोई नहीं जानता. उसके परिवार वाले उसे वॉलीबोल का खिलाड़ी बता रहे हैं.
रिपोर्टः सुहेल वहीद,लखनऊ
संपादनः आभा एम