कीरा ग्रुनबर्ग का दूसरा जीवन
३० दिसम्बर २०१५![Österreich Kira Grünberg im Rehabilitationszentrum Bad Häring](https://static.dw.com/image/18936064_800.webp)
जुलाई 2015 में कीरा ग्रुनबर्ग पोल वोल्ट के दौरान गिरीं और ऐसी गिरीं कि उन्हें कमर से नीचे लकवा मार गया. तब से वे अपनी जिंदगी को सामान्य बनाने में लगीं हैं. और उनकी उम्मीद है घने बालों वाला कुत्ता 'बालू'. कीरा ने हाल ही में अपने फेसबुक अकाउंट में लिखा कि वह फिलहाल ट्रेनिंग ले रहा है और उसके बाद वह उनका सहायक बन जाएगा. अपनी जिंदगी की सबसे कठिन चुनौती कीरा को अकेले नहीं निबटानी होगी.
ऑस्ट्रिया की 22 साल की एथलीट को वह पल ठीक ठीक याद है जिसने उसकी पूरी दुनिया बदल दी थी. "मैंने दौड़ते समय डंडे को बहुत कम स्विंग किया जिसकी वजह से मैं मैट पर वापस नहीं लौट पाई." एक बहुत ही छोटी गलती लेकिन बड़ी दुर्घटना, जिसके बाद कुछ भी पहले जैसा नहीं रहा. देश की सर्वोत्तम पोल वोल्टर अंतरराष्ट्रीय चोटी से सिर्फ एक छलांग दूर थी, लेकिन उस घातक छलांग के बाद से वह व्हीलचेयर की मोहताज है. इसकी कोई उम्मीद नहीं कि वे फिर कभी सामान्य रूप से चल फिर पाएंगी.
बीजिंग में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप से पहले 30 जुलाई को ट्रेनिंग का अंतिम दिन था. दरअसल रूटीन छलांग. इस तरह की छलांग कीरा ग्रुनबर्ग साल में सौ से ज्यादा बार लगा रही थीं. आंख मूंद कर भी वे छलांग लगा सकती थीं. लेकिन वह छलांग कुछ और ही थी. "कोई तनाव नहीं था, ये दिन की पहली छलांग थी." और यह छलांग सचमुच ट्रेनिंग छलांग थी, छोटी दूरी की दौड़, कम ऊंची छलांग, लेकिन ग्रुनबर्ग सुरक्षित गद्दे पर नहीं गिरीं, वे इंट्रेंस बॉक्स में सिर के बल गिरीं और उनकी रीढ़ की पांचवीं हड्डी टूट गई.
कीरा के पिता उस क्षण की याद कर बताते हैं, "कीरा ने फौरन कहा, मां डॉक्टर को बुलाओ, और पापा मुझे हिलाओ मत. मुझे लगता है कि मुझे लकवा मार गया है." उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया और ऑपरेशन किया गया. मुख्य मकसद था जीवन के लिए जरूरी अंगों को बचाया जा सके, रीढ़ की हड्डी टूटने पर लकवे की स्थिति में ठीक होने की कोई संभावना नहीं होती. सामान्य जिंदगी में वापस लौटने का खर्च भी कम नहीं. लेकिन खेल बिरादरी कीरा की मदद को सामने आया है. इनकी जिंदगी को जितना हो सके सामान्य बनाने के लिए ये लोग काफी कुछ कर रहे हैं.
दुर्घटना के करीब पांच महीने बाद कीरा अपनी जिजीविषा का परिचय दे रही हैं. उन्होंने अपनी आश्चर्यजनक मानसिक शक्ति को दिखाया है. उनके हाथों में ताकत लौट आई है, अंगुलियां अभी भी नियंत्रण से बाहर हैं, लेकिन रैकेट हाथ से बांध देने पर वे टेबिल टेनिस खेलने की कोशिश करती हैं. वे कहती हैं, "मैं जानती हूं कि अब में शारीरिक रूप से अपंग हूं. लेकिन मेरा दिमाग सचेत है और मैं हारने वाली नहीं हूं. मैं हालात से निबटूंगी."
एमजे/आरआर (एसआईडी)