फुटबॉल फीवर के उतरने के बाद अब यूरोपीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप शुरु हो चुकी है. लोगों में एथलेटिक्स को लेकर फुटबॉल जैसी दीवानगी नहीं दिखती. आयोजकों की कोशिश है कि लोग पारंपरिक खेलों से जुड़ाव महसूस करें और खेल देखने आएं.
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बर्लिन के एथलेटिक्स स्टेडियम में इन दिनों बच्चों की चहलपहल है. कोई ट्रैक पर दौड़ रहा है तो कोई शॉटपुट को उठाने की कोशिश में लगा है. यूरोपियन चैंपियनशिप की मेजबानी कर रहे इस शहर में खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने के लिए लोग पहुंचने लगे हैं. बर्लिन के मशहूर ब्राइटशाइड स्क्वॉयर पर आयोजकों ने यूरोपीय माइले बनाया है जहां खेलकूद की पूरी व्यवस्था है. आम लोग यहां आकर एथलेटिक खेलों का हिस्सा बन रहे हैं और प्रतिस्पर्धा हो रही है. यहां बड़ी टीवी स्क्रीनों पर खेल की जानकारी दी जा रही है. लोगों के खाने-पीने के सारे इंतजाम किए गए हैं. ये सब फीफा वर्ल्ड कप के आयोजन की तरह करने की कोशिश की गई है.
शॉटपुट में हाथ आजमाने के लिए फैन डेविड स्रोल ब्राइटशाइड स्क्वॉयर पर पहुंचे हुए हैं. वह कहते हैं, ''यहां खेलकूद का माहौल है. लोगों में खेल के प्रति उत्साह है.'' यहां आए मशहूर जर्मन एथलीट युर्गेन केसिंग कहते हैं, ''हमें बच्चों को खेलने-कूदने और मजे करने की सारी सुविधा देनी चाहिए. हमें बच्चों के सामने एक रोल मॉडल रखना होगा जिससे वे प्रेरित हो. ऐसे वक्त में जब फुटबॉल ने स्पोर्ट्स पर कब्जा कर लिया है, एथलेटिक्स को अपनी जगह बनानी होगी.''
जापान में चलती फिरती मस्जिद
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अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ आईएएएफ के अध्यक्ष सेबेस्टियन को एथलेटिक्स को दोबारा लोकप्रिय बनाना चाहते हैं. 2012 के लंदन ओलंपिक के मुख्य आयोजक रहे सेबेस्टियन को के मुताबिक, ''पोल वॉल्ट और शॉटपुट जैसे इवेंट्स सिटी सेंटर में करवाए जा रहे हैं. पैदल दौड़ और मैराथन को शहर के बाहर आयोजित किया जा रहा है. कुल 48 खेल इवेंट्स में से 38 के पदक भी इसी स्क्वॉयर पर दिए जाएंगे.''
चैंपियनशिप का शेड्यूल भी काफी टाइट है. चोटी के 12 एथलीटों ने 100 मीटर से लेकर 400 मीटर में सीधे सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई कर लिया है. ओलंपिक स्टेडियम के अंदर और बाहर बड़ी स्क्रीनों पर खेल से जुड़ी सारी जानकारी दी जा रही है. बर्लिन में एथलेटिक्स के अलावा यूरोपीय चैंपियनशिप के स्वीमिंग और जिम्नास्टिक जैसे दूसरे खेलों की मेजबानी कर रहे ग्लासगो को भी लोगों का समर्थन मिल रहा है. टीवी स्क्रीनों के जरिए लोग ब्राइटशाइड स्क्वॉयर में बैठकर वहां के खेल को देख सकते हैं.
पूर्व एथलीट और मुख्य आयोजक क्लीमेंस प्रोकप चार साल में एक बार होने वाली इस मल्टी-स्पोर्ट्स चैंपियनशिप को बढ़ावा देना चाहते हैं. आयोजकों का कहना है कि अगर यूरोप में फुटबॉल के अलग दूसरे खेलों को विकसित होना है तो उनके आयोजन साथ में कराने होंगे. यदि एथलेटिक्स को दूसरे खेलों के साथ जोड़ा जाए तो इससे आम लोगों में खेल की समझ पैदा होगी और बच्चों को प्रेरणा मिलेगी.
वीसी/एमजे (डीपीए)
ओलंपिक से भी बड़े पैरालंपिक की 10 खास बातें
ओलंपिक से भी बड़े पैरालंपिक की 10 खास बातें
ओलंपिक खेलों के खत्म होने के करीब कुछ हफ्ते बाद रियो डि जेनेरो में ही आयोजित हुए 15वें पैरालंपिक खेल कई मायनों में उससे भी बड़ा है. ऐसा क्यों है यहां जानिए.
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ओलंपिक से ज्यादा इवेंट्स
रियो ओलंपिक में 17 दिनों के दौरान कुल 306 इवेंट्स हुए जबकि पैरालंपिक के 11 दिनों में ही 528 इवेंट्स होंगे. कुल 23 खेल सामिल किए गए हैं. जिनमें कनूईंग और ट्रायथलन पहली बार पैरालंपिक में शामिल किए गए हैं.
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नए रिकॉर्ड
कुल 4,350 पैरालंपिक एथलीट रियो पहुंचे. 1960 में हुए पहले पैरालंपिक के मुकाबले यह संख्या 11 गुनी है. इस बार 176 देशों के एथलीट का शामिल होना भी एक रिकॉर्ड है.
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उलझन भरा वर्गीकरण
पैरालंपिक में एथलीटों को दस तरह की शारीरिक अक्षमताओं के आधार पर बांटा जाता है. इसका अर्थ ये हुआ कि एक ही इवेंट में कई लोगों को गोल्ड मेडल मिल सकता है. जैसे 2012 लंदन में पुरुषों के 100 मीटर डैश में 15 पैरालंपिक गोल्ड जीते गए.
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टेक्निकल आर्म रेस
पैरालंपिक्स में एथलीट्स को ओलंपिक वाले एथलीटों के मुकाबले कहीं ज्यादा तकनीकी उपकरणों की जरूरत होती है. एक टेक्निकल आर्म में करीब 15,000 छोटे हिस्से फिट होते हैं. इसके अलावा करीब 1,100 व्हीलचेयर टायर और 300 प्रोस्थेटिक पैर भी हैं. आयोजन के दौरान 100 मेकैनिक मौजूद होंगे जिन्हें हर दिन औसतन 2,000 मरम्मत के काम आने की उम्मीद है.
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औद्योगिक देश आगे
ये उपकरण सस्ते नहीं आते. कई देशों की सरकारें तो विशेष रूप से सक्षम लोगों के खेलों को वरीयता भी नहीं देतीं और उनके खेल प्राधिकरण इन मशीनों के लिए पर्याप्त फंडिंग नहीं देते. यही कारण है कि विकसित और औद्योगिक देशों के एथलीट ज्यादा मेडल जीतते हैं.
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सार्वजनिक फंड
खेल आयोजित करना भी बहुत महंगा है. वित्तीय परेशानियों से जूझ रहे ब्राजील को भी अपने सरकारी फंड से करीब 6.2 करोड़ डॉलर आयोजन समिति को देने पड़े. अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक कमेटी (आईपीसी) के प्रेसिडेंट फिलिप क्रावेन ने इसे आज तक के पैरालंपिक अभियान की "सबसे बुरी स्थिति" बताया है.
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टिकटों के खरीदार नहीं
फंड की कमी का एक कारण टिकटों के खरीदार ना होना है. ओलंपिक के खत्म होते होते पैरालंपिक के लिए काफी कम ही टिकट बिके थे. हाल ही में #FillTheSeats अभियान के कारण टिकटों की बिक्री में भी थोड़ा सुधार आया है.
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जर्मनी की उम्मीदें
जर्मनी से 155 एथलीटों को रियो भेजा गया. देश में विशेष रूप से सक्षम लोगों के खेलों के लिए अपेक्षाकृत अधिक फंडिंग है. पैरालंपिक में आज तक अमेरिका ने सबसे अधिक 2,066 मेडल जीते हैं. दूसरे नंबर पर 1,643 मेडलों के साथ ग्रेट ब्रिटेन है और 1,450 मेडल के साथ जर्मनी की तीसरा स्थान है.
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डोपिंग की काली छाया
कुछ साल पहले वाडा की एक स्टडी में करीब 17 फीसदी पैरालंपियंस ने माना था कि उन्होंने प्रदर्शन बेहतर बनाने वाली चीजें लीं हैं. अब तो "टेक-डोपिंग" की चर्चा है और कई एथलीटों पर अपनी शारीरिक अक्षमताओं को बढ़ा चढ़ा कर बताने की बात सामने आई है. आईपीसी ने डोपिंग के आरोप में रूस के एथलीटों को प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से प्रतिबंधित कर दिया है.
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अगिटोस
रियो के कई इलाकों में ओलंपिक रिंग्स को हटा कर उनकी जगह पैरालंपिक का लोगो अगिटोस लगा दिया गया है. लैटिन भाषा के इस शब्द का अंग्रेजी में अर्थ है "आई मूव". एथेंस 2004 से यही पैरालंपिक खेलों का शुभंकर रहा है.