शादी का झांसा देकर भाग जाने वाले या पत्नियों को प्रताड़ित करने वाले एनआरआई पुरुषों के खिलाफ भारत में शिकायतों का अंबार लगता जा रहा है. महिला उत्पीड़न के ऐसे मामलों पर कानूनी उपाय आधेअधूरे हैं और सामाजिक जागरूकता गायब.
विज्ञापन
2018-19 में भगौड़े एनआरआई पतियों की शिकायतों के मामले पिछले कुछ साल से लगातार बढ़ते पाए गए हैं. इस दौरान भगौड़े एनआरआई पतियों की कुल 828 शिकायतें मिली हैं. सबसे ज्यादा 96 शिकायतें दिल्ली में, 95 पंजाब में, 94 उत्तरप्रदेश में और 68 हरियाणा में दर्ज हुई हैं. इसी तरह दक्षिण भारतीय राज्यों से भी शिकायतों में कमी नहीं है. तमिलनाडु से 65, तेलंगाना से 64 और आंध्रप्रदेश से 54 शिकायतें हैं. पश्चिमी भारत की बात करें, तो महराष्ट्र से 63 और गुजरात से 48 शिकायतें मिली हैं. 2017 में महिला आयोग को कुल 528 शिकायतें मिली थीं और सबसे ज्यादा उस समय क्रमशः यूपी, दिल्ली, महाराष्ट्र और पंजाब से थीं.
यह आंकड़ा राष्ट्रीय महिला आयोग का है जिसने दस साल पहले सितंबर 2009 में एनआरआई सेल का गठन किया था. 2008 में महिला सशक्तीकरण पर गठित संसदीय समिति की सिफारिशों पर एनआरआई शादियों से जुड़े मुद्दों के लिए आयोग को कोऑर्डिनेटिंग एजेंसी बनाया गया था. तबसे कुल उसके पास ऐसे पतियों की 4274 शिकायतें आ चुकी हैं जो शादी कर चंपत हो जाते हैं और अपनी नवविवाहिता पत्नी को ससुराल वालों और रिश्तेदारों के पास या अपने हाल पर छोड़ जाते हैं. महिला आयोग के पास उपलब्ध सूचना के मुताबिक विदेश मंत्रालय ने पिछले साल से अब तक 61 पुरुषों के पार्सपोर्ट या तो स्थगित या रद्द कर दिए हैं. अन्य 14 मामलों की जांच जारी है.
ये सही है कि महिलाएं अब लोकलाज के डर से रिपोर्ट कराने में संकोच नहीं कर रही हैं लेकिन जैसी आपबीती इन शिकायतों के जरिए सामने आ रही हैं उनसे पता चलता है कि महिलाओं को आखिर घर हो या बाहर कितनी भयानक यातनाओं, मुसीबतों और असुरक्षाओं का सामना करना पड़ रहा है. महिला आयोग तो दस साल से ऐसे मामलों को देख रहा है लेकिन तमाम संसदीय कवायदों के बावजूद केंद्र सरकार इस मामले पर देर में जागी. इसी साल फरवरी में बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में "द रजिस्ट्रेशन ऑफ मैरेज ऑफ नॉन रेजिडंट इंडियन बिल 2019" पेश किया गया था. कड़े प्रावधानों के बावजूद यह बिल जहां का तहां ही अटका रह गया है.
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल अक्टूबर में एनआरआई पतियों के खिलाफ पीड़िताओं ने एक याचिका कोर्ट में डाली थी. हिंसा और परित्यक्तता के अलावा अदालती समन की पतियों द्वारा अनदेखी, भारत आने पर अपनी पत्नियों के वीजा रद्द कराने, कोई संपर्क न रखने, शादी कर विदेश लौट जाने वाले और वहां पहुंचकर पत्नी से सारे संपर्क काट देने, उसे वीजा न दिलाने जैसी शिकायतें भी सामने आती रही हैं. जाहिर है इस बारे में कोई निश्चित और ठोस कानूनी उपचार महिलाओं को उपलब्ध नहीं है, लिहाजा एनआरआई पुरुष कमजोर सिस्टम का फायदा उठा लेते हैं. महिला अधिकारों से जुड़े एक्टिविस्टों और संगठनों का आरोप है कि बाजदफा इन एनआरआई शादियों की आड़ में विदेशी जमीन पर देह व्यापार और मानव तस्करी जैसे अपराधों को अंजाम भी दिया जाता है.
इन देशों में मुश्किल है तलाक
इन देशों में मुश्किल है तलाक
शादी का बंधन दो लोगों को आपस में जोड़ने का प्रतीक माना जाता है लेकिन अगर कोई व्यक्ति इससे निकलना चाहे तो वह उसकी पसंद होना चाहिए. लेकिन दुनिया में अब भी ऐसे कुछ देश हैं जहां शादी तोड़ना आसान नहीं है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Aljibe
फिलीपींस
यह एशियाई देश दुनिया का इकलौता ऐसा मुल्क हैं जहां तलाक पर प्रतिबंध है. लेकिन लंबी कोशिशों के बाद तलाक से जुड़ा एक विधेयक देश की संसद में पेश किया गया है जिसके पारित होने पर संशय बरकरार है. मौजूदा कानून के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति किसी विदेशी से विदेशी धरती पर तलाक लेता है तो वह दोबारा शादी कर सकता है. लेकिन अगर कोई देसी जोड़ा देश के बाहर तलाक लेता है, तब भी उसे शादीशुदा ही माना जाएगा.
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Aljibe
माल्टा
यूरोपीय देश माल्टा भी तलाक को कानूनी रूप से लागू करने में काफी पीछे रहा है. देश के संविधान में तलाक को गैरकानूनी करार दिया गया था. लेकिन साल 2011 में इसमें बदलाव किया गया और तलाक के कानून को पहली बार लागू किया गया. नए कानून के तहत पति-पत्नी दोनों या इनमें से कोई एक अब तलाक के लिए अर्जी दे सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/Johanna Hoelzl
चिली
चिली में तलाक लिया तो जा सकता है लेकिन उसके लिए जरूरी है कि पति-पत्नी 1 से 3 साल तक अलग रह रहे हों. साथ ही तलाक लेने का उनके पास कोई कारण हो. मसलन उन्हें सामने वाले के आचरण में दुर्व्यवहार, धोखा जैसे बातों को साबित करना पड़ता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Mario Ruiz
मिस्र
मिस्र में बिना-गलती (नो-फॉल्ट) तलाक साल 2000 में लागू किया गया था. लेकिन अब भी देश की महिलाओं के लिए अदालतों तक पहुंचना आसान नहीं है. मौजूदा कानून के मुताबिक मुस्लिम पुरूष अपनी पत्नियों को बिना किसी कानूनी मशविरे के तलाक दे सकते हैं. लेकिन मुस्लिम महिलाएं अपने पति की सहमति से अदालत में जाकर ही तलाक ले सकती हैं.
तस्वीर: AP
जापान
जापान में अधिकतर तलाक सीधे-सीधे होते हैं. यहां शादीशुदा जो़ड़ों को बिना अदालत जाए एक पेज के फॉर्म पर दस्तखत कर तलाक तो मिल जाता है लेकिन जापान के कानून में बच्चे की कस्टडी से जुड़ा कोई प्रावधान नहीं है. यहां तक कि औरत को अगली शादी के लिए तलाक के छह महीने बाद तक का इंतजार करना पड़ता है लेकिन पुरुषों पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/D. Kurokawa
5 तस्वीरें1 | 5
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में एक जनहित याचिका भी दायर दी की गई थी, जिसमें नवब्याहताओं के मूल अधिकारों की हिफाजत की मांग की गई थी. इसमें कुछ महत्वपूर्ण संभावित उपायों और सिफारिशों का उल्लेख भी किया गया था. केंद्र और अन्य प्राधिकरणों के लिए बाध्यकारी दिशानिर्देशों का सुझाव है कि वे ऐसे मामलों पर न सिर्फ तत्काल कार्रवाई करें, बल्कि पीड़िताओं की हर किस्म की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाए और कड़ी सजा का प्रावधान रखा जाए. इसमें जाहिर है इमीग्रेशन सेवाओं, पासपोर्ट कार्यालय और भारतीय दूतावासों या उच्यायोगों को भी निर्देश दिए जाने की जरूरत बताई गई है. पुलिस तत्काल प्रभाव से एफआईआर दर्ज कर जांच करे.
भगौड़े पतियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होते ही लुकआउट सर्कुलर जारी होना चाहिए. अभियुक्त के खिलाफ फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामला चलाया जाए. विदेशों में रहने वाले आरोपी पुरुषों के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी होना चाहिए ताकि वे इसकी अनदेखी न कर सकें. परित्यक्त स्त्री की आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए और अगर बच्चे हैं तो उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और आवासीय मदद भी दी जानी चाहिए. जाहिर है इसके लिए कोर्ट के आदेश के बाद आर्थिक राशि दंड के तौर पर पति या उसके घरवालों से वसूली जा सकती है.
कानूनी और अन्य प्रावधानों के अलावा सामाजिक और शैक्षिक जागरूकता भी जरूरी है. शादी की इच्छुक लड़कियों और उनके परिजनों की तसल्ली और सुविधा के लिए आधिकारिक या वैधानिक एजेंसी होनी चाहिए जो सभी तरह की जरूरी पूछताछ के जवाब दे सकने या जांच करा सकने में समर्थ हो. सरकार और कानून द्वारा निर्धारित एजेंसी की देखरेख में ही ऐसी शादियां कराई जाएं, तो ये भी एक चेकप्वाइंट की तरह हो सकता है. ऐसी स्थितियों मे एनआरआई पुरुषों का डाटा सहज उपलब्ध होना चाहिए और वधु पक्ष को इसके लिए कानूनी संरक्षण मिलना चाहिए.
ऑनलाइन सेवाओं में भी पारदर्शिता की जरूरत है ताकि कोई लड़की किसी तरह के झांसे में न आने पाए. यह सही है कि परिवार, घर की चारदीवारी, विवाह जैसी अवधारणाएं और निजी और सार्वजनिक स्पेस की दलीलें भारतीय समाज में बहुत गहरे पैठी हैं और अकसर कानूनी प्रावधानों के दायरे से अलग ही रही हैं. ऐसे में औरतों के लिए स्थितियां दुष्कर भी हैं. यह तभी सही हो सकता है जब सरकारें और अन्य आधिकारिक संस्थाएं स्त्रीसम्मत नजरिए से ऐसे मामलों को सुलझाने की कोशिश करें.
बॉलीवुड स्टार जिन्होंने कभी शादी नहीं की
बॉलीवुड स्टार जिन्होंने कभी शादी नहीं की
कई बॉलीवुड स्टारों की शादियां धूमधाम से होती हैं. लेकिन कई ऐसे भी सितारें हैं जिन्होंने शादी का लड्डू नहीं चखा. चलिए डालते हैं इन्हीं पर एक नजर.
तस्वीर: Wikipedia/Filmindia
आशा पारेख
हिंदी सिनेमा में आशा पारेख 1960 और 1970 के दशक में चोटी की अभिनेत्रियों में शामिल रहीं. लेकिन उन्होंने कभी शादी नहीं की. हालांकि अपनी आत्मकथा में उन्होंने माना कि उन्हें निर्देशक नासिर हुसैन से प्यार था.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times
नंदा
अभिनेत्री नंदा की निर्माता मनमोहन देसाई से सगाई हुई थी. लेकिन शादी से पहले ही मनमोहन देसाई एक हादसे में मारे गए. इसके बाद नंदा ने कभी शादी नहीं की. यहां नंदा (सबसे बाएं) वहीदा रहमान, हेलन और साधना के साथ दिख रही हैं.
तस्वीर: Wikipedia/bollywoodhungama.com
सुरैया
मशहूर अभिनेत्री सुरैया और जाने माने एक्टर देवानंद के इश्क के किस्से बहुत मशहूर हुए, लेकिन बताया जाता है कि सुरैया की मां ने उन्हें देवानंद से शादी नहीं करने दी. इसके बाद सुरैया ने कभी शादी नहीं की.
तस्वीर: Wikipedia/Filmindia
परवीन बाबी
70 और 80 के दशक की सबसे कामयाबी अभिनेत्रियों में शुमार परवीन बाबी के कई लोगों से संबंध रहे हैं, लेकिन उन्होंने शादी कभी नहीं की. सुपरस्टार अभिताभ बच्चन के साथ भी उनका नाम जोड़ा गया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
जयललिता
राजनीति में कदम रखने से पहले जयललिता तमिल फिल्मों की एक मशहूर अभिनेत्री थीं. वह तमिल सुपरस्टार और बाद में राजनेता बने एमजी रामचंद्रन की करीबी थी और बाद में उनकी उत्तराधिकारी भी बनी. लेकिन जयललिता आजीवन सिंगल रहीं.
तस्वीर: Dibyangshu Sarkar/AFP/Getty Images
अनु अग्रवाल
1990 में आई फिल्म 'आशिकी' से अनु अग्रवाल रातों रात बड़ी स्टार बन गईं. लेकिन फिर कभी उन्हें ऐसी कामयाबी नहीं मिली. बाद में एक हादसे में उनके चेहरे को बहुत नुकसान हुआ. आज तक उन्होंने शादी नहीं की है.
तस्वीर: Wikipedia/India-FM
नगमा
नगमा फिल्म इंडस्ट्री का जाना माना नाम है. राजनीति में भी उन्होंने कदम रखा. लेकिन शादी अब तक नहीं की है. हालांकि भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली के साथ उनके अफेयर की अफवाहें खूबी चलीं.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times/S. Mehta
सुष्मिता सेना
मिस यूनिवर्स रह चुकीं सुष्मिता सेन भी शादी न करने वाली बॉलीवुड हस्तियों में शामिल हैं. हालांकि कई लोगों से उनके संबंध रहे हैं. उन्होंने दो बेटियों को गोद लिया हुआ है और सिंगल पेरेंट के तौर पर उनकी परवरिश कर रही हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/R. Gacad
तब्बू
रिपोर्टों के मुताबिक अभिनेत्री तब्बू की सगाई फिल्म निर्माता साजिद नाडियाडवाला से हुई थी, लेकिन निजी मतभेदों के कारण बात बन नहीं सकी. तेलुगु सुपरस्टार के साथ भी उनका नाम जोड़ा गया. लेकिन तबू अभी तक सिंगल हैं.
तस्वीर: IANS
संजीव कुमार
गुजरे जमाने के मशहूर अभिनेता संजीव कुमार ने भी कभी शादी नहीं की. बताया जाता है कि उन्होंने 1973 में हेमा मालिनी के सामने शादी की पेशकश रखी थी. सुलक्षणा पंडित के साथ भी उनके अफेयर के किस्से मशहूर हुए. लेकिन दोनों ही हमेशा कुंवारे रहे.
तस्वीर: Mehboob Studio
सलमान खान
यह बॉलीवुड का सबसे बड़ा सवाल है: सलमान खान शादी कब करेंगे? वह 52 साल के हो गए हैं. उनकी जिंदगी में संगीता बिजलानी, सोमी अली, ऐश्वर्या राय और कैटरीना कैफ जैसी कई अभिनेत्रियां आई हैं. लेकिन सलमान अब भी सिंगल हैं.
तस्वीर: DW/S. Zain
करन जौहर
मशहूर बॉलीवुड निर्माता निर्देशक करन जौहर 45 की उम्र को पार कर चुके हैं, लेकिन वह कहते रहे हैं कि शादी नहीं करेंगे. हाल में वह सरोगेसी से जुड़वा बच्चों के पिता बने हैं. वह अपनी लैंगिकता को लेकर भी लगातार सुर्खियों में रहते हैं.