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एनपीटी समझौते पर ईरान और इस्राएल भिड़े

३० मई २०१०

मध्यपूर्व को परमाणु हथियारों से मुक्त क्षेत्र बनाने के एनपीटी के समझौते पर ईरान और इस्राएल में तकरार तेज हो गई है. समझौते में इस्राएल को निशाना बनाए जाने पर अमेरिका चिंतित है.

तस्वीर: AP

संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में एनपीटी की समीक्षा बैठक में शुक्रवार को सभी 189 सदस्य देश इस बात के लिए राजी हुए कि मध्य पूर्व को परमाणु हथियारों से मुक्त करने के लिए कदम उठाए जाएं. इस बारे में एक समझौता हुआ है और इस मकसद से 2012 में मध्यपूर्व के देशों की एक बैठक कराने पर भी सहमति बनी है.

अमेरिका ने इस कदम का स्वागत किया है. हथियार नियंत्रण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामलों पर अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री एलेन टाउशर का कहना है, "हम परमाणु हथियार मुक्त क्षेत्र बनाने का स्वागत करते हैं. लेकिन इसे हासिल करने के लिए पहले सभी जरूरी कदम उठाए जाएं. हम यह भी कहेंगे कि ऐसा करने की हमारी क्षमता को गंभीर झटका लगा है क्योंकि अंतिम दस्तावेज में सिर्फ इस्राएल को ही निशाने पर रखा गया है. अमेरिका इस पर चिंतित है."

समझौते में इस्राएल के एनपीटी में शामिल होने की जरूरत पर जोर दिया गया है. साथ ही यह भी कहा गया है कि इस्राएल को अपने परमाणु प्रतिष्ठान अंतरराष्ट्रीय निगरानी के लिए खोल देने चाहिए. ईरान ने इस बात का स्वागत किया है. संयुक्त राष्ट्र में ईरान के प्रतिनिधि अली असगर सुल्तानिए कहते हैं, "हम चाहते हैं कि पूरी दुनिया से परमाणु हथियारों के खात्मे के लिए 2025 तक की समयसीमा निश्चित की जाए. तभी सब की यह इच्छा पूरी हो पाएगी कि दुनिया परमाणु हथियारों से मुक्त हो जाए."

यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख कैथरीन एश्टन ने इस समझौते का स्वागत किया है. लेकिन इस्राएल ने दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए इसे खारिज कर दिया है. इस्राएल का कहना है कि सिर्फ उसी से परमाणु हथियार त्यागने को क्यों कहा गया है. समझौते में भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों का जिक्र क्यों नहीं है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एस गौड़

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