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एपेक में एशिया को लुभाएगा अमेरिका

१२ नवम्बर २०११

अमेरकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की विदेश नीति मध्य पूर्व के आस पास केंद्रित दिखाई देती है, लेकिन वह एशिया को संदेश देना चाहते हैं कि वह इस क्षेत्र को भूले नहीं हैं. इसके लिए ओबामा एपेक सम्मेलन के मंच का इस्तेमाल करेंगे.

तस्वीर: AP

शनिवार और रविवार को होने वाले एपेक सम्मेलन में ओबामा हवाई में एशिया पैसिफिक के 21 देशों के नेताओं से मिलेंगे. अमेरिका चाहता है कि एशिया पैसिफिक क्षेत्र के साथ संबंधों की एक व्यवस्था तैयार की जाए. विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि यूरोप के साथ ट्रांस अटलांटिक सिस्टम की तर्ज पर एशिया के साथ ट्रांस पैसिफिक सिस्टम बनेगा.

भारत और इंडोनेशिया पर नजर

होनोलूलू के ईस्ट वेस्ट सेंटर में एक भाषण में क्लिंटन ने कहा, "21वीं सदी अमेरिका के लिए पैसिफिक की सदी होगी." क्लिंटन एशिया पैसिफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन (एपेक) की बैठक में हिस्सा लेने पहुंची हैं. उन्होंने कहा कि एशिया पैसिफिक में क्षेत्रीय एकता मजबूत होगी, व्यापार व निवेश बढ़ेगा और द्विपक्षीय व बहुपक्षीय गठबंधन होंगे. ऐसे में जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस और थाईलैंड क्षेत्र में अमेरिका के पांच प्रमुख सहयोगी के रूप में अपनी भूमिका निभाते रहेंगे. लेकिन अमेरिका की नजर भारत और इंडोनेशिया पर है. क्लिंटन ने कहा कि उनका देश इन दो दो सबसे अहम और गतिशील लोकतांत्रिक देशों के साथ संबंध बढ़ाने पर काम करेगा.

तस्वीर: AP

अमेरिका वियतनाम, चीन और म्यांमार के बारे में भी विचार कर रहा है लेकिन क्लिंटन ने कहा कि इन देशों को कहा जाएगा कि वे अपने आर्थिक और राजनीतिक सुधार जारी रखें. उन्होंने कहा, "म्यांमार एक दशक में पहली बार कुछ बदलाव के संकेत दे रहा है. अगर उसकी सरकार अपने नागरिकों की सुविधा के लिए ईमानदार और टिकाऊ सुधार जारी रखती है तो उसे अमेरिका के रूप में एक सहयोगी मिल सकता है." लेकिन क्लिंटन ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया कि चीन की आर्थिक, कूटनीतिक और सैन्य तरक्की अमेरिका के लिए खतरा है. उन्होंने कहा, "हम मानते हैं कि आगे बढ़ता चीन खुद चीन के लिए अच्छा है, और अमेरिका के लिए भी अच्छा है. अपने साझे हितों को आगे बढ़ाना जरूरी है."

चीन को नसीहत

अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि चीन को मानवाधिकार, शुल्क के अलावा अन्य व्यापार बाधाएं और मुद्रा दर जैसे कई मुद्दों पर ध्यान देना होगा. उन्होंने कहा, "चीन को अपनी मुद्रा को और ज्यादा तेजी से बढ़ाना होगा. चीन की सरकार को अमेरिकी कंपनियों के लिए मौजूद बाधाओं को दूर करके प्रतिद्वन्द्विता के लिए बराबरी की जमीन तैयार करनी होगी."

लेकिन क्लिंटन का ज्यादा जोर मानवाधिकारों पर ही रहा. उन्होंने कहा कि अमेरिकी अधिकारी चीन को नया रास्ता चुनने के लिए कहते रहेंगे, "जब हम वकीलों, कलाकारों या अन्य नागरिकों के गिरफ्तार होने या लापता होने की खबरें सुनते हैं तो अमेरिका निजी तौर पर भी और सार्वजनिक तौर पर भी बात करता है."

व्यापार सबसे ऊपर

गुरुवार को अमेरिकी वित्त मंत्री टिमोथी गाइथनर ने एपेक के वित्त मंत्रियों से मुलाकात की. गाइथनर ने कहा कि चीन और अन्य एशियाई देशों को अपनी मुद्राओं का सही मूल्य निर्धारण करना होगा ताकि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था संतुलित हो सके.

एपेक सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा चीनी राष्ट्रपति हू जिन ताओ से इन सभी मुद्दों पर बात कर सकते हैं. शनिवार को वह जिन ताओ से मिलेंगे. शनिवार और रविवार को ओबामा की विभिन्न देशों के नेताओं से मुलाकात होंगी.

एपेक की स्थापना 1989 में हुई. इसमें ऑस्ट्रेलिया, ब्रूनई, कनाडा, चिली, चीन, हॉन्ग कॉन्ग, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, मेक्सिको, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, पेरू, फिलीपींस, रूस, सिंगापुर, ताईवान, थाईलैंड, वियतनाम और अमेरिका शामिल हैं. 21 देशों का यह संगठन दुनिया के 2.7 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करता है.

रिपोर्टः रॉयटर्स/एएफपी/वी कुमार

संपादनः ओ सिंह

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