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एप्पल और एफबीआई के बीच डाटा की लड़ाई

२३ फ़रवरी २०१६

अमेरिका में एप्पल और एफबीआई की लड़ाई में अन्य ऑनलाइन कंपनियां भी कूद पड़ी हैं. एफबीआई की फोन एनक्रिप्शन की मांग को एप्पल डाटा सुरक्षा के लिहाज से गलत मानता है.

Symbolbild Apple
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Davey

एप्पल का यह मामला अमेरिका में दिसंबर 2015 में हुई शूटिंग से जुड़ा है. कैलिफोर्निया के सैन बेरनारडीनो इलाके में हुई गोलीबारी में 14 लोगों की जान गयी थी और 22 घायल हुए थे. यह हमला पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी सैयद रिजवान फारूक और उसकी पत्नी तशफीन मलिक ने किया था. फारूक सैन बेरनारडीनो इलाके में स्वास्थ्य अधिकारी का काम करता था और इस लिहाज से उसे एक सरकारी फोन भी मिला हुआ था. यह आईफोन 5सी था, जिसके लॉक होने के कारण एफबीआई फोन में मौजूद सारे डाटा तक नहीं पहुंच पा रही है.

उसूलों की जंग

ऐसे में एफबीआई ने एप्पल से ऐसा सॉफ्टवेयर बनाने को कहा है जिससे लॉक्ड फोन को खोला जा सके. आईफोन इसे डाटा सुरक्षा के लिहाज से गलत कदम बता रहा है और इस तरह के किसी भी सॉफ्टवेयर को बनाने के हक में नहीं है. एप्पल के सीईओ टिम कुक ने सोमवार सुबह कंपनी के नाम एक ईमेल लिखा जिसमें उन्होंने समझाया है कि मामला एक फोन को खोलने का नहीं, बल्कि उसूलों का है. उन्होंने लिखा, "यह मामला एक फोन या एक जांच से काफी बढ़ कर है. यहां उन करोड़ों कानून का पालन करने वाले लोगों के डाटा की सुरक्षा दांव पर लगी है और इससे एक खतरनाक मिसाल कायम होगी जिससे सब नागरिकों की आजादी पर खतरा पैदा हो जाएगा."

इसके विपरीत एफबीआई के निदेशक जेम्स कॉमी ने रविवार को राष्ट्र सुरक्षा के आधिकारिक ब्लॉग "लॉफेयर" पर लिखा कि यह मामला एक नई कानूनी मिसाल पेश करने का नहीं है, बल्कि "पीड़ितों और न्याय" से जुड़ा है. उन्होंने लिखा, "चौदह लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया और बहुत से लोगों का जीवन और उनके शरीर बर्बाद हो गए. हम उन्हें कानून के तहत एक विस्तृत और पेशेवर जांच देने के लिए जिम्मेदार हैं."

गेट्स बनाम जकरबर्ग

माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स ने इस पर एफबीआई का पक्ष लेते हुए कहा है कि आतंकी गतिविधियों की जांच में तकनीकी कंपनियों को सरकार का साथ देने के लिए बाध्य होना चाहिए. फायनेंशियल टाइम्स अखबार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "यह एक विशेष मामला है जिसमें सरकार आपके जरिए सूचना तक पहुंचना चाह रही है. वह आपसे कोई सामान्य नियम बदलने को नहीं कह रही है, बल्कि एक खास मामले में ऐसा कर रही है."

गेट्स से अलग फेसबुक के मार्क जकरबर्ग, ट्विटर के जैक डॉरसी और गूगल के सुंदर पिचाई ने एप्पल का समर्थन किया है. मार्क जकरबर्ग ने बार्सिलोना में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "मुझे नहीं लगता कि एनक्रिप्शन के इन तरीकों से सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है और ना ही मेरे अनुसार यह सही तरीका है." जकरबर्ग ने कहा कि वे मानते हैं कि बड़ी नेट्वर्किंग कंपनियों के पास आतंकी या अन्य किस्म के हमलों को रोकने की जिम्मेदारी भी है, "अगर हमारे पास सरकार के साथ मिल कर आतंवाद के खिलाफ काम करने का मौका होगा, तो हम उन मौकों का जरूर इस्तेमाल करेंगे."

राजनीतिक दबाव

इस बीच एप्पल का कहना है कि सरकार उस पर राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश कर रही है. कानून मंत्रालय ने अदालत के उस फैसले को भी सार्वजनिक किया है, जिसमें लिखा गया है कि एप्पल को एफबीआई का साथ देते हुए फोन को एनक्रिप्ट करना होगा. एप्पल का आरोप है कि अदालत के फैसलों को आम तौर पर सील लगा कर रखा जाता है और इसे सार्वजनिक करना केवल दबाव बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा है. एप्पल अपने बयान पर अटल है कि एक फोन का एनक्रिप्शन करने से सभी फोनों की सुरक्षा में सेंध लग सकती है.

आईबी/आरपी (रॉयटर्स,एएफपी)

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