आई फोन पर एफबीआई की सेंध
२९ मार्च २०१६अमरीकी सरकार और मोबाइल फोन निर्माता कंपनी एप्पल के बीच पिछले कुछ समय से चल रहा विवाद अप्रत्याशित रूप से खत्म होता दिख रहा है. अमरीकी जांच एजेंसी एफबीआई का कहना है कि उसने एप्पल की मदद के बिना ही कैलिफोर्निया में हुए गोलीकांड के अभियुक्त के आईफोन को हैक करने और डाटा पाने का तरीका ढूंढ लिया है.
सरकारी वकील ने इस मामले की सुनवाई कर रहे संघीय न्यायाधीश से कहा है कि वे एप्पल पर आईफोन से जानकारी जुटाने के लिए दबाव डालने वाले अपने फैसले को वापस ले सकते हैं क्योंकि अब इसकी कोई जरूरत नहीं है. वहीं अमरीकी न्याय विभाग का कहना है कि अधिकारी फोन से प्राप्त हुई जानकारी का निरीक्षण कर रहे हैं.
यह मामला दिसंबर 2015 में कैलिफोर्निया के सैन बेरनाडीनो इलाके में हुए एक गोलीबारी कांड से जुड़ा है. सरकारी जांच एजेंसी एफबीआई ने इस मामले में जानकारी जुटाने के लिए कंपनी से इस गोलीकांड के अभियुक्त सैयद रिजवान फारूक के लॉक्ड आईफोन 5सी के डाटा तक पहुंचने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने की मांग की थी.
लेकिन कंपनी ने इसे अपने उसूलों के खिलाफ बताते ऐसा करने से इनकार कर दिया था. एप्पल के सीईओ टिम कुक का कहना था, "यह मामला एक फोन या एक जांच से काफी बढ़ कर है. यहां उन करोड़ों कानून का पालन करने वाले लोगों के डाटा की सुरक्षा दांव पर लगी है और इससे एक खतरनाक मिसाल कायम होगी जिससे सब नागरिकों की आजादी पर खतरा पैदा हो जाएगा."
सरकार ने कैलिफोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट को सौंपे दस्तावेजों में इस बात की जानकारी नहीं दी है कि वे आईफोन की जानकारी जुटाने में कैसे कामयाब हुए. उस गैर सरकारी संस्था के बारे में भी नहीं बताया गया है जिसने आईफोन के सुरक्षा मानकों को तोड़ने में मदद की. इससे पहले एफबीआई का कहना था कि केवल एप्पल ही आईफोन को अनलॉक कर सकता है.
एफबीआई के इस दावे ने डाटा सुरक्षा के लिहाज से बेहतरीन माने जाने वाले एप्पल की डाटा सुरक्षा तकनीक पर भी प्रश्न चिन्ह लगा दिया है. एप्पल ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि कंपनी अपने उत्पादों की और अधिक सुरक्षा बढ़ाने पर ध्यान देगी. अपने एक बयान में कंपनी ने कहा है, ''हम कानून की जांच करने में लगातार मदद करते रहेंगे, जैसा कि हम हमेशा करते आए हैं.'' साथ ही कंपनी ने यह भी कहा है कि सरकार का एप्पल से इस तरह मांग करना गलत था.
हालांकि एफबीआई के सहायक निदेशक डेविड बोडिच ने कहा है कि आईफोन की जांच करना भी इस पड़ताल का एक हिस्सा है, '' मुझे इस बात की संतुष्टि है कि अब हमारे पास इस घटना से जुड़ी और अधिक जानकारी है.''
एफबीआई के इस दावे से यह विवाद तो थमता दिखाई दे रहा है लेकिन इसने इंटरनेट के इस दौर में डिजिटल निजता के अधिकारों और राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था की चिंताओं को आमने सामने ला खड़ा किया है. निजी दायरे में सरकारी दखल को गलत बताने वाले लोग और संगठन सवाल उठा रहे हैं कि क्या हर किसी की निजी जानकारियों तक सरकार की पहुंच क्या जायज है?
आरजे/एमजे (एपी)