एप्पल को खाता एंड्रायड
१९ नवम्बर २०१२![](https://static.dw.com/image/16211837_800.webp)
दुनिया भर में जितने स्मार्टफोन बन रहे हैं, उनके तीन चौथाई में एंड्रायड का ऑपरेटिंग सिस्टम लग रहा है. इंडस्ट्री पर नजर रखने वाली संस्था आईडीसी के मुताबिक, "एंड्रायड 2008 में शुरू होने के बाद स्मार्टफोन बाजार में सबसे तेजी से बढ़ने वाला इंजन है."
आईडीसी के रिसर्च मैनेजर रामोन लामास ने कहा, "उसके बाद से हर साल एंड्रायड ने हर साल बाजार पर राज किया और प्रतियोगिता में बाजी मारी." उनके आंकड़े बताते हैं कि टैबलेट बाजार में एप्पल की हिस्सेदारी पिछली तिमाही तक 65 फीसदी थी, जो घट कर 50 फीसदी हो गई है.
एनपीडी ग्रुप के विश्लेषक स्टीफेन बेकर का कहना है, "बहुत से लोग बहुत सी जगहों पर बहुत सी चीजें बना रहे हैं. इससे बाजार में बहुत फर्क आ रहा है."
आईडीसी की रिपोर्ट है कि एंड्रायड का बाजार 13.6 करोड़ फोन का हो गया है, जो पिछली तिमाही में 90 फीसदी का विकास है. सैमसंग गैलेक्सी एस3 अब दुनिया का सबसे ज्यादा बिकने वाला स्मार्टफोन बन चुका है. इसने पहली बार आईफोन 4एस को पछाड़ दिया है. इस तरह दक्षिण कोरियाई कंपनी का इस कारोबार में बोलबाला हो गया है.
मोबाइल की बारीकियों वाली कंपनी गार्टनर के वाइस प्रेसिडेंट केन डुलाने कहते हैं, "एंड्रायड में बदलाव और सृजनशीलता की गति एप्पल से कहीं तेज है." एंड्रायड को गूगल को भी फायदा मिल रहा है और यह एक खुले बाजार की तरह है.
दूसरी तरफ एप्पल अपने उत्पादों को बेहद गुप्त तरीके से तैयार करता है. उसके सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बारे में किसी को जानकारी नहीं मिलती है और यहां तक कि म्यूजिक, किताबों और गेम्स के ऑनलाइन शॉप पर भी ज्यादा जानकारी साझा नहीं करता.
डुलाने का कहना है, "एंड्रायड में डेवलपर, सॉफ्टवेयर बनाने वाले, ग्राहकों डिजाइनरों के फीडबैक आते रहते हैं. एप्पल में अगर अंदर के किसी शख्स के पास शानदार विजन है, तब तो ठीक है लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो उन्हें फीडबैक नहीं मिलता." हालांकि उनका कहना है कि सैमसंग के अलावा एंड्रायड से अगर कोई पैसे बना पा रहा है, यह कहना मुश्किल है. एंड्रायड में गूगल की कई सर्विस मुफ्त है.
शुरू में स्मार्टफोन लेने वाले पैसों से ज्यादा तकनीक की चाह रखते थे. लेकिन अब स्मार्टफोन आम बात हो गई है और इसमें कीमत का महत्व बढ़ने लगा है. फॉरेस्टर के विश्लेषक चार्ल्स गोलविन कहते हैं, "लोग एंड्रायड की तरफ बढ़ रहे हैं क्योंकि अब उनके सामने कई विकल्प हैं और ज्यादातर विकल्प कम पैसों में हासिल है."
एजेए/एएम (एएफपी)