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एफडीआई पर यूपीए सरकार का अहम दिन

२१ सितम्बर २०१२

भारत सरकार में शामिल अहम घटक तृणमूल कांग्रेस के सांसद आज पद से इस्तीफा दे रहे हैं, जबकि सरकार की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस इसके बाद महत्वपूर्ण बैठक करने वाली है, जिसमें अचानक पैदा हुई स्थिति से निपटने पर चर्चा की जाएगी.

तस्वीर: Reuters

तृणमूल कांग्रेस के नेता और भारत के रेल मंत्री मुकुल रॉय ने यूपीए पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने विदेशी निवेश का फैसला हड़बड़ी में किया है. उन्होंने यूपीए-2 को अल्पमत की सरकार बताते हुए कहा, "यह एक अल्पमत सरकार है. संसद को नजरअंदाज करके इस तरह का फैसला करना बेहद गलत है." तृणमूल कांग्रेस के सांसद आज तीन बजे दोपहर बाद अपना इस्तीफा सौंप देंगे.

तृणमूल की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने पिछले हफ्ते ही सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि अगर डीजल के बढ़े हुए दामों और मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मंजूरी को वापस नहीं लिया जाता, तो वह अगला कदम उठाएंगी. सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया, जिसके बाद इस हफ्ते की शुरुआत में बनर्जी ने सरकार से समर्थन वापसी का फैसला किया.

तृणमूल कांग्रेस के 19 सांसद हैं और उनके हट जाने की वजह से यूपीए सरकार बहुमत का आंकड़ा खो देगी. 545 सीटों वाली लोकसभा में बहुमत के लिए 273 सांसद चाहिए, जबकि सरकार के पास अब 250 से कुछ ही ज्यादा सांसद बचे हैं. हालांकि उसे मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी और मायावती की बहुजन समाज पार्टी का बाहर से समर्थन हासिल है. ऐसे में सरकार गिरने की संभावना कम ही नजर आ रही है.

तस्वीर: DW

कोयला घोटाले में बुरी तरह घिरने के दौरान ही भारत सरकार ने पिछले हफ्ते दो अहम फैसले किए. डीजल के दामों में पांच रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई और अगले ही दिन सरकार ने मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को अनुमति दे दी. यह फैसला पिछले साल भी हुआ था लेकिन विपक्षी पार्टियों और तृणमूल कांग्रेस के दबाव की वजह से सरकार ने तब इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था. यूपीए ने इसके अलावा विमानन क्षेत्र को भी विदेशी निवेशकों के लिए खोल देने का फैसला किया है, जिसके बाद भारतीय एयरलाइन कंपनियों में विदेशी कंपनियां पैसा लगा सकेंगी.

इस बीच, कांग्रेस पार्टी ने मौजूदा हालात से निपटने की रणनीति बनाने के लिए आज शाम अहम बैठक करने का फैसला किया है. पार्टी की कोर कमेटी की यह बैठक ममता बनर्जी के मंत्रियों के इस्तीफे के बाद होगी. सरकार ने इस बात का संकेत दे दिया है कि वह एफडीआई के मुद्दे पर पीछे नहीं हटने वाली है.

भारत के प्रमुख विपक्षी गठबंधन एनडीए ने इस फैसले के खिलाफ 20 सितंबर को भारत बंद की अपील की थी, जिसका कई जगहों पर खासा असर देखा गया. लेफ्ट पार्टियों और समाजवादी पार्टी ने भी इस बंद का समर्थन किया. हालांकि इसी दिन सरकार ने एफडीआई का नोटिफिकेशन जारी कर दिया, जिसमें विदेशी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार के नियम कायदों का जिक्र है.

एजेए/एनआर (पीटीआई, एएफपी)

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