17 जुलाई 2014 को नीदरलैंड की राजधानी एम्सटर्डम से क्वालालंपुर जा रहे एमएच 17 विमान को पूर्वी यूक्रेन की हवाई सीमा में मार गिराया गया था. इसे गिराने के लिए जिम्मेदार लोगों तक पहुंचने के लिए संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में एक विशेष अंतरराष्ट्रीय अदालत की स्थापना का प्रस्ताव पेश किया गया. 15 सदस्यीय परिषद के 11 सदस्यों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मत दिया, जिनमें यूक्रेन, मलेशिया, नीदरलैंड, बेल्जियम और ऑस्ट्रेलिया शामिल थे. चीन, अंगोला और वेनेजुएला वोटिंग में अनुपस्थित रहे.
नियमानुसार किसी प्रस्ताव को पास होने के लिए कम से कम नौ वोटों की जरूरत होती है, बशर्ते स्थायी सदस्यों रूस, अमेरिका, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस में से कोई इसके विरूद्ध वोट ना करे. इस प्रस्ताव के समर्थन में तो नौ से अधिक मत पड़े, लेकिन रूस के इसके खिलाफ वीटो करने के कारण प्रस्ताव पास नहीं हो सका. दूसरे स्थायी सदस्यों अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने प्रस्ताव का समर्थन किया.
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने रूस के कदम को "क्रूर" बताया, तो वहीं यूएन में अमेरिकी राजदूत सैमैंथा पावर ने कहा कि वह इस वोट से "आहत और बेहद निराश" हैं. विमान हादसे की जांच नीदरलैंड के नेतृत्व में चल रही है. ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, मलेशिया और यूक्रेन जांच में सक्रिय भूमिका में हैं. एमएच 17 दुर्घटना में मारे गए कुल 298 लोगों में से ज्यादातर यात्री और विमान चालक दल के सदस्य नीदरलैंड के ही थे.
रूस के इस कदम की उम्मीद पहले से ही जताई जा रही थी. एक हफ्ते पहले ही रूस ने मामले की "पूर्ण, विस्तृत, पारदर्शी और स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच" का एक वैकल्पिक प्रस्ताव पेश किया था जिसमें किसी अंतरराष्ट्रीय न्यायिक अदालत का प्रस्ताव नहीं था. रूसी ड्राफ्ट में इस बात पर जोर था कि "हवाई घटना से जुड़े लोगों को न्याय दिलाने के लिए इसके सही कारणों का पता लगाया जाना बेहद जरूरी है."
पश्चिमी देशों और यूक्रेन ने हादसे के पीछे रूस-समर्थक अलगाववादियों का हाथ होने का संदेह जताया था. रूस इससे इंकार करता आया है और उसका मानना है कि एमएच 17 को गिराने में यूक्रेनी मिसाइल या मिलिट्री जेट का इस्तेमाल हुआ था.
दूसरी ओर, मार्च 2014 में लापता हुए मलेशियन एयरलाइंस के ही दूसरे यात्री विमान एमएच 370 के मलबे के हिंद महासागर में पाए जाने की खबर है. विमान पर सवार 239 लोगों के साथ एमएच 370 अचानक लापता हो गया था. विमान के मलबे की जांच के लिए मलेशिया ने एक खास टीम भेजी है जो जांच करेगी कि मलबा एमएच 370 का है या नहीं.
आरआर/एमजे (एएफपी)
17 जुलाई 2014 को मलेशियन एयरलाइंस का विमान मार गिराया गया. मारे गए लगभग 300 लोगों को छोड़ पूरा मामला राजनीति में उलझ गया. यहां तक कि शवों को लेकर भी बवाल मचा. देखते हैं कि कब क्या हुआ.
तस्वीर: picture-alliance/dpaनीदरलैंड्स की राजधानी एम्सटरडम से क्वालालंपुर जा रहा मलेशियाई एयरलाइंस जब यूक्रेन के ऊपर से उड़ रहा था, तभी इसे मार गिराया गया. इसमें सवार 298 यात्री और चालक दल के सदस्य मारे गए.
तस्वीर: Reutersहवा में विमान के परखच्चे उड़ गए और यह इसके टुकड़े कई किलोमीटर दूर तक फैल गए. इसके बाद शुरू हुआ आरोप प्रत्यारोप का दौर. इस इलाके में यूक्रेन के रूस समर्थक विद्रोहियों का कब्जा है.
तस्वीर: imago/Xinhuaहवाई जहाज में कुछ ऐसे रिसर्चर थे, जो एड्स पर काफी गहन रिसर्च में लगे थे. विमान के साथ वे भी नष्ट हो गए. वैज्ञानिक जगत ने इस पर खास तौर पर शोक जताया और कहा कि एड्स के इलाज के लिए हो रहे रिसर्च को भारी झटका पहुंचा.
तस्वीर: picture-alliance/dpaयूक्रेन का आरोप है कि इस हमले के पीछे रूस का शह काम कर रहा था. अमेरिका का तो यह भी दावा है कि उनके पास इस बात के सबूत हैं कि हमला रूसी मिसाइल से किया गया, जो जमीन से हवा में मार कर सकने में सक्षम है.
तस्वीर: Reutersरूसी राष्ट्रपति ने इसके लिए यूक्रेन को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि अगर उसने इस इलाके में 28 जून को सैनिक कार्रवाई शुरू नहीं की होती, तो शायद मलेशियाई एयरलाइंस के इस विमान को इस तरह नष्ट नहीं होना पड़ता.
तस्वीर: Reutersइसके बाद जांचकर्ताओं के लिए मुश्किल खड़ी हुई. उन्हें सुरक्षित जाने की जगह नहीं मिल रही थी, जिसके बाद रूस ने दखल देते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय जांचकर्ताओं को हादसे की जगह तक पहुंचने के लिए सुरक्षित रास्ते की गारंटी देनी चाहिए.
तस्वीर: Reutersविमान में सबसे ज्यादा 193 मुसाफिर नीदरलैंड्स के थे. वह इस मामले की जांच अपने स्तर पर करना चाहता है. इसमें अड़चन आती देख हॉलैंड के प्रधानमंत्री ने संसद में कहा, "इस काम के लिए हमने सभी विकल्पों को खुला रखा है." फिर डच जांचकर्ता वहां पहुंचे.
तस्वीर: Getty Imagesइस बीच चार दिनों में शवों के साथ खराब बर्ताव के भी आरोप लगे. लेकिन विश्व बिरादरी के बीच बचाव करने के बाद शवों को खास रेफ्रिजरेटेड रेलगाड़ी में डाल कर भेजने की व्यवस्था की गई.
तस्वीर: Getty Imagesखास ठंडे डिब्बों में इन शवों को डाला गया. अब नीदरलैंड्स के विशेष फॉरेंसिक प्रयोगशाला में इनकी जांच की जाएगी. इस बीच मलेशिया से भी विशेष जांच अधिकारी यूक्रेन पहुंच चुके हैं. चार महीने के अंदर दूसरी बार कोई मलेशियाई विमान हादसे का शिकार हुआ है.
तस्वीर: Getty Imagesहॉलैंड में अपनों की याद में लोगों ने मोमबत्तियां जलाईं और दुआ प्रार्थना की. मार्च में मलेशिया एयरलाइंस का एक विमान लापता हो गया, जिसका आज तक कोई पता नहीं लग पाया है.
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