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एमनेस्टी: चीन के प्रस्तावित एंटी-टेरर लॉ की कमियां

६ मार्च २०१५

चीनी सरकार को पसंद ना आने वाले किसी भी व्यवहार को इस नए कानून की चपेट में लिए जाने का खतरा है. एमनेस्टी इंटरनेशनल के विलियम नी ने डीडब्ल्यू से चीन के नए आतंकवाद निरोधी कानून के ड्राफ्ट पर बात की.

China Bahnhof Kunming Anschlag
तस्वीर: REUTERS

चीनी सरकार ने अधिकारियों को आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए और मजबूत औजार देने की कोशिश की है. चीन की सर्वोच्च विधान-संबंधी इकाई, नेशनल पीपुल्स कांग्रेस को उम्मीद है कि वह आने वाले कुछ दिनों में इस प्रस्तावित आतंकवाद-निरोधी कानून को पास कर देगी. यह चीन का पहला ऐसा कानून होगा जिससे देश को आतंकी हमलों से सुरक्षित रखने के लिए जरूरी उपाय करने और नियम बनाने पर जोर होगा.

चीनी सरकार के इस कदम से पता चलता है कि वह कई प्रांतो में सक्रिय तमाम सशस्त्र गुटों को बड़े खतरे के रूप में देखती है. डीडब्ल्यू से बातचीत में एमनेस्टी इंटरनेशनल के चीन रिसर्चर विलियम नी ने बताया कि चीनी सरकार को इस एंटी-टेरर लॉ के ड्राफ्ट पर फिर से काम किए जाने की जरूरत है. नी का मानना है कि हर हाल में चीन को देश में मानवाधिकारों की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए.

डीडब्ल्यू: इस नए एंटी-टेरर लॉ असल में क्या शर्तें हैं?

विलियम नी: कुल 106 धाराओं वाले इस कानून का पूरा विश्लेषण करना अभी संभव नहीं है. लेकिन शायद इसमें सबसे महत्वपूर्ण बिंदु इसे कहा जा सकता है कि प्रशासन को किसी भी व्यक्ति को "आतंकी या अतिवादी व्यवहार" के शक पर किसी तरह के सुधारवादी सिस्टम या फिर शायद बिना किसी ट्रायल के हिरासत में लेने की भी अनुमति होगी.

इसके अलावा आतंकवाद से जुड़े होने के शक पर लोगों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाने का अधिकार मिल जाएगा. अंतरराष्ट्रीय मानकों का ख्याल रखते हुए बहुत सावधानी से राष्ट्रीय सुरक्षा विधेयक तैयार किए जाने चाहिए. इसके अलावा, सरकारी नीतियों और खुद सरकार की भी आलोचना करने को अभिव्यक्ति की आजादी के अंतर्गत सुरक्षित रखना चाहिए.

चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेसतस्वीर: Reuters

प्रस्तावित कानून से किसी के धर्म को मानने की आजादी पर कैसे असर पड़ेगा?

अतिवादिता या एक्सट्रीमिज्म की बेदह वृहत परिभाषा के कारण हो सकता है कि किसी व्यक्ति के किसी बर्ताव, बात या विचार को "एक्सट्रीमिस्ट" करार दे दिया जाए और खासकर सरकारी नीतियों की आलोचना करने वाले को भी संभवत: एक्सट्रीमिस्ट करार दे दिया जाए.

अगर आप इस्लाम को देखें, जिसे मानने की चीन में अनुमति है, उस पर भी संबंद्ध सरकारों, इस्लामिक एसोसिएशन ऑफ चाइना जैसे संगठनों का नियंत्रण होता है.

कानून में किस तरह के सुधार किए जाने की जरूरत है?

यह एक अच्छी बात हुई है कि सरकार ने कानून के संशोधित ड्राफ्ट में आतंकवाद-निरोधी कदमों और मानवाधिकारों को सुरक्षित रखने की कोशिश की है. लेकिन इस समय ऐसा नहीं लगता कि ड्राफ्ट में इन संशोधित हिस्सों से भी स्थिति में कोई बड़ा सुधार आएगा या फिर इसके तहत पकड़े गए लोगों को किसी स्वतंत्र और निष्पक्ष इकाई के सामने अपील करने का अधिकार मिलेगा. इसलिए हमारी सरकार से यह गुजारिश है कि वे एक बार फिर इन बातों पर नजर डालें. सरकार को देखना चाहिए कि जो भी कानून बने वह आईसीसीपीआर, जोहानिसबर्ग सिद्धांतों, राबात प्लान ऑफ ऐक्शन जैसे तमाम अंतरराष्ट्रीय कानूनों और मानकों के हिसाब से हो.

इंटरव्यू: गाब्रिएल डोमिंगेज

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