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एमाले के झलनाथ खनाल नेपाल के नए प्रधान

४ फ़रवरी २०११

नेपाल की संसद ने 17वें प्रयास में कम्यूनिस्ट पार्टी एमाले के नेता झलनाथ खनाल को नया प्रधानमंत्री चुन लिया है. पिछले साल जून में सरकार के इस्तीफे के बाद संसद में किसी को प्रधानमंत्री चुने जाने के लिए बहुमत नहीं मिला.

झाला नाथ खनालतस्वीर: AP

गुरुवार को संसद अध्यक्ष सुभाष चंद्र नेमवांग ने घोषणा की कि झलनाथ खनाल को 601 में से 368 मत मिले. खनाल की पार्टी संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है लेकिन उन्हें सबसे बड़ी पार्टी माओवादी कम्यूनिस्ट पार्टी का भी समर्थन मिला. इससे पहले माओवादी नेता प्रचंड ने उम्मीदवारी वापस ले ली और खनाल को समर्थन देने का फैसला लिया.

तस्वीर: picture alliance/landov

1997 में सूचना मंत्री बनने के बाद से झलनाथ खनाल किसी सरकार में नहीं रहे हैं लेकिन पिछले दिनों वे तब सुर्खियों में आए जब एक भूतपूर्व पार्टी सदस्य ने उन्हें यह कहकर तमाचा मारा कि नेपाल के राजनीतिज्ञ देश को बर्बाद कर रहे हैं.

कौन हैं खनाल

झलनाथ खनाल आजीवन कम्यूनिस्ट पार्टी के साथ जुड़े रहे हैं. ग्रामीण पूर्वी नेपाल से आने वाले और सक्रिय राजनीतिक जीवन से पहले साइंस टीचर रहे खनाल कम्यूनिस्ट पार्टी एमाले के संस्थापक सदस्य हैं. नेपाल में लोकतंत्र की बहाली के आंदोलन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और कई साल जेल में काटे हैं.

झलनाथ खनाल नेपाल की दो सरकारों में मंत्री रहे हैं और पिछले चुनावों में अपने कई महत्वपूर्ण साथियों के चुनाव हार जाने के बाद 2009 में पार्टी प्रमुख बने. माओवादियों के साथ सहयोग का समर्थन करने के कारण पार्टी के अंदर उन्हें आलोचना की शिकार बनना पड़ा है लेकिन अंततः उसकी वजह से प्रधानमंत्री चुने जाने के लिए उन्हें माओवादियों का समर्थन मिला है. नए प्रधानमंत्री ने पिछले महीने कहा, "नई सरकार में माओवादियों की अर्थपूर्ण भागीदारी शांति के लिए जरूरी है. उन्हें जो भी साथ लाने में सफल रहता है हमें उसका नेतृत्व स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए."

राजनीतिक विश्लेषक 60 वर्षीय खनाल को सिद्धांतवादी और राजनीतिक भ्रष्टाचार के लिए बदनाम देश में साफ सुथरा राजनीतिज्ञ मानते हैं. लेकिन दूसरे लोगों को माओवादियों के साथ सहयोग पर विभाजित अपनी पार्टी को एक सूत्र में बांधने की उनकी क्षमता पर संदेह है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: वी कुमार

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