दिल्ली का एम्स भारत के बेहतरीन अस्पतालों में गिना जाता है. एम्स के निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा ने बताया, "दिल्ली ही नहीं, अन्य राज्यों से भी लोग एम्स में इलाज के लिए आते हैं. इसलिए मौजूदा सुविधाओं को और बढ़ाने की जरूरत है." उन्होंने बताया कि अगले पांच से दस साल में बिस्तरों की संख्या चार हजार बढ़ाई जाएगी. इसमें हरियाणा के झज्जर में बनाया जा रहा एम्स कैंसर इंस्टीट्यूट भी शामिल है जिसमें 750 बिस्तर होंगे.
20 अरब रुपये की लागत
मिश्रा ने बताया कि इसके लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल चुकी है. 20 अरब 36 करोड़ रुपये की लागत से 45 महीने में इसका निर्माण पूरा किया जाएगा. इसके अलावा दिल्ली स्थित परिसर में सर्जिकल ब्लॉक, मदर एंड चाइल्ड केयर, इमरजेंसी वॉर्ड और एम्स ट्रॉमा सेंटर का भी विस्तार कर तकरीबन 2,500 बिस्तर बढ़ाने की योजना है. इसमें ऑपरेशन थिएटर और ओपीडी का विस्तार शामिल है.
तस्वीर: Fotolia/st-fotograf जन्म के समय जिन बच्चों का वजन चार किलोग्राम या उससे ज्यादा होता है, वह बड़े हो कर मोटापे का शिकार हो सकते हैं. इसीलिए इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि गर्भवती महिलाएं अत्यधिक खानपान से दूर रहें, कसरत करती रहें और उन्हें डायबिटीज न हो.
बच्चे मां का स्पर्श, उसकी खुशबू को पहचानते हैं. अक्सर कहा जाता हैं कि मां बच्चे की रुलाई पिता से बेहतर पहचानती है. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं, मां और बाप दोनों अपने बच्चे की रोने की आवाज यकीन के साथ और समान रूप से पहचान सकते हैं.
तस्वीर: Fotolia/Marcitoहर बच्चे की नींद का पैटर्न अलग होता है, लेकिन कुल मिला कर नवजात शिशुओं को करीब 16 घंटे की नींद की जरूरत होती है. जैसे जैसे उम्र बढ़ती है यह कम होती जाती है.
तस्वीर: Gabees/Fotoliaसंयुक्त राष्ट्र के अनुसार जन्म के बाद छह महीने तक तो बच्चे को केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए. थाईलैंड में सिर्फ पांच फीसदी महिलाएं बच्चों को अपना दूध पिलाती हैं. भारत अभी भी इससे बचा है. यूनिसेफ ने कहा कि इस मामले में दुनिया को भारत से सीख लेनी चाहिए.
तस्वीर: AFP/Getty Imagesइन दिनों बहुत कम उम्र के बच्चों के लिए भी कंप्यूटर और स्मार्टफोन पर ऐप उपलब्ध हैं, जो बच्चों के विकास में मददगार हैं. पहले दो सालों में दिमाग का आकार तीन गुना बढ़ जाता है, जो कि चीजों को छूने, फेंकने, पकड़ने, काटने, सूंघने, देखने और सुनने जैसी गतिविधियों से मुमकिन होता है.
तस्वीर: Fotolia/bellaगर्भावस्था के समय कई बातों का सीधा असर पैदा होने वाले बच्चे और उसके आगे के जीवन पर पड़ता है. यदि गर्भवती महिला तनाव में है तो बच्चे तक पोषक तत्व नहीं पहुंचते. इसी तरह जन्म के बाद भी मां का अपनी सेहत पर ध्यान देना जरूरी है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaछोटे बच्चों को अक्सर दवाओं से दूर रखने की कोशिश की जाती है. खास तौर से एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बच्चों के लिए हानिकारक होता है. इनसे शरीर के फायदेमंद जीवाणु मर जाते हैं. मोटापा, दमा और पेट की बीमारियां बढ़ती हैं.
तस्वीर: Fotowerk - Fotolia.comबच्चों के लिए दुनिया बेहतर बन रही है. पिछले एक दशक में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में 50 फीसदी तक की गिरावट आई है.
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डॉ. मिश्रा ने बताया कि सर्जिकल खंड के विस्तार के लिए तकरीबन एक अरब रुपये, मदर एंड चाइल्ड केयर के लिए ढाई अरब और आपातकालीन खंड के लिए करीब दो अरब रुपये की जरूरत होगी. उन्होंने बताया कि अभी अंतिम एस्टीमेट तैयार किया जाना बाकी है.
डॉ. मिश्रा के अनुसार एम्स ट्रॉमा सेंटर के पीछे दिल्ली विकास प्राधिकरण की 100 एकड़ जमीन खाली पड़ी है. इसे भी ट्रॉमा सेंटर में मिलाने का प्रयास किया जा रहा है. यदि यह जमीन ट्रॉमा सेंटर को मिल जाती है तो वहां कई नए केंद्र खोले जा सकेंगे जिनमें विशेष उपचार सुविधाएं उपलब्ध होंगी.
आईबी/एएम (वार्ता)