एयर फ्रांस के मलबे की फिर से खोज
२६ मार्च २०११![](https://static.dw.com/image/4295593_800.webp)
एक जून 2009 को रियो डि जिनेरियो से पैरिस से उड़ा विमान ब्राजील और सेनेगल के बीच में अचानक क्रैश होकर अटलांटिक में समा गया. हादसे में 228 लोगों की मौत हुई. हादसा कैसे हुआ, यह अभी तक पता नहीं चला है. दुर्घटना के कारणों का पता लगाने में अहम भूमिका निभाने वाले विमान के ब्लैक बॉक्स और फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर अब भी नहीं मिले हैं.
विमान के मलबे से भी क्रैश के कारणों का पता चल सकता है. इसीलिए एक विशेष अमेरिकी खोजी जहाज एलुसिया दुर्घटनास्थल पर पहुंचा है. जहाज में रेमुस नाम की पनडुब्बियां हैं, जो समुद्र की छाती टटोलेंगी.
हालांकि खोजी अभियान से जुटे अधिकारियों का कहना है कि सफलता की कोई गारंटी नहीं है. फ्लाइट का मलबा 10 से 13,000 फुट की गहराई में गिरा है. अधिकारियों के मुताबिक व्यापक पैमाने पर चलाए जा रहे तीसरे खोजी अभियान में जहाज के मलबे को सतह पर लाने की कोशिश की जाएगी.
हादसे को लेकर अब तक विमान कंपनी एयरबस और एयरलाइन कंपनी एयर फ्रांस के बीच आरोपों का दौर चला है. आरोप है कि एयरबस के विमान ए330 के स्पीड सेंसरों में गड़बड़ी थी. एयर फ्रांस के मुताबिक स्पीड सेंसरों से जुड़ी उसकी शिकायतों पर एयरबस ने तुरंत जवाब भी नहीं दिया. एयरबस इन आरोपों का खंडन करती है.
दोनों कंपनियों के आरोप प्रत्यारोपों से दूर विमान जगत की सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञों की AF-447 के हादसे को किसी भी तरह सुलझाना चाहते हैं. इस बीच एयर फ्रांस और एयरबस पर नरसंहार के आरोप लगे हैं. दोनों कंपनियां आरोपों से बचने के लिए 1.27 करोड़ डॉलर खर्च कर मलबा निकालने में जुटी हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य