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एर्दोवान और ट्रंप की मुलाकात में मेल मिलाप या तूतू मैं मैं

१२ नवम्बर २०१९

एर्दोवान अमेरिका जा रहे हैं और राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात करेंगे लेकिन कुल मिला कर नाटो के सहयोगी देशों के बीच माहौल बहुत उत्साहजनक नहीं है. एर्दोवान ने रवानगी से पहले कुछ कड़वी बातें भी कही है.

Japan G20-Gipfel in Osaka
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Zuma/White House

तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैय्यप एर्दोवान की अमेरिका यात्रा शुरू होने से पहले ही यूरोपीय संघ के विदेश मंत्री तुर्की पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने के लिए सोमवार को तैयार हो गए. उनका कहना है कि तुर्की ने विभाजित साइप्रस के इलाके में ड्रिलिंग कर साइप्रस के समुद्री आर्थिक क्षेत्र का उल्लंघन किया है. इस पर राष्ट्रपति एर्दोवान ने कहा कि साइप्रस के समुद्री इलाके में ड्रिलिंग को लेकर उनके देश पर लगाए प्रतिबंध का असर तुर्की के साथ संघ की बातचीत पर हो सकता है. एर्दोवान का यह भी कहना है कि तुर्की पकड़े गए इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों को यूरोप भेज देगा.

तुर्की यूरोपीय संघ में शामिल होना चाहता है, लेकिन मौजूदा हालात देख कर तो लगता है कि कहीं नाटो का संगठन ही ना बिखर जाए. एर्दोवान ने यूरोपीय संघ के फैसले की आलोचना की है और यह भी कहा है कि वह पूर्वी भूमध्यसागर में ड्रिलिंग को बंद नहीं करेंगे. एर्दोवान का कहना है कि तुर्की अपने महाद्वीपीय इलाके में काम कर रहा है जिस पर तुर्क साइप्रसवासियों का हक है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/Turkish Presidential Press Service

वाशिंगटन की यात्रा पर रवाना होने से पहले अंकारा में एर्दोवान ने यूरोपीय संघ के फैसले की आलोचना की और कहा कि तुर्की अंतरराष्ट्रीय कानूनों पर आधारित अपने हकों के मुताबिक काम कर रहा है. एर्दोवान ने पत्रकारों से कहा, "अरे ईयू, तुम जानते हो: तुर्की उन देशों में नहीं है जिनके बारे में अब तक तुम जानते आए हो. हम वह देश हैं जो तुम्हारे साथ बातचीत की मेज पर है. यह बातचीत अचनाक खत्म हो जाएगी."

यूरोपीय संघ तुर्की पर कई मामलों में निर्भर है. तुर्की में 35 लाख से ज्यादा शरणार्थी हैं. वह शरणार्थियों को यूरोप आने से रोकता है, इसके लिए 2016 में एक समझौता हुआ था. इस समझौते में एजियन समुद्री मार्ग को बंद करने की बात थी. एर्दोवान ने बार बार चेतावनी दी है कि अगर तुर्की को यूरोपीय देशों से सहायता नहीं मिली तो वह इन शरणार्थियों को यूरोप भेज देंगे.

मंगलवार को एर्दोवान ने कहा, "आप इसे हल्के में ले सकते हैं, लेकिन (यूरोप के) ये दरवाजे खुल जाएंगे और दाएश के यह सदस्य आप तक भेज दिए जाएंगे. साइप्रस में तुर्की के विकास को रोकने की कोशिश मत कीजिए."

तस्वीर: picture-alliance /dpa/AA/A. Akdogan

साइप्रस में ग्रीस से प्रेरित एक छोटे से विद्रोह के बाद तुर्की ने हमला कर दिया. यह साल 1974 की बात है जिसके बाद साइप्रस दो हिस्सों में बंट गया. इसके बाद से यहां शांति कायम करने की कई कोशिशें हुई लेकिन सब नाकाम रहीं. अब साइप्रस के समुद्री इलाके में संसाधनों की खोज होने के बाद मामला उलझ गया है.

नाटो में शामिल तुर्की के साथ यूरोपीय संघ के रिश्ते इन सालों में खराब होते जा रहे हैं. खासतौर से 2016 में तुर्की में नाकाम विद्रोह के बाद मानवाधिकारों के सवालों पर यूरोपीय देश अकसर तुर्की को घेर लेते हैं. यूरोपीय संघ के कई देशों का मानना है कि लोकतांत्रिक रिकॉर्ड के पैमाने पर तुर्की यूरोपीय संघ में शामिल होने लायक नहीं है.

तुर्की पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने का फैसला तो अब आया है लेकिन पिछले महीने कुर्द लड़ाकों के खिलाफ सीरिया में हमला करने के बाद उसे हथियारों की बिक्री भी रोकी जा चुकी है. पश्चिमी देश कहते हैं कि इस हमले के कारण इस्लामिक स्टेट से लड़ाई पर असर पड़ेगा, हालांकि तुर्की उनकी इस दलील को खारिज करता है.

सोमवार को तुर्की ने कहा कि उसने इस्लामिक स्टेट के जिन लड़ाकों को पकड़ा था उन्हें वह उन यूरोपीय देशों को भेज रहा है जिनके वे नागरिक हैं. इस बात को लेकर भी तुर्की और यूरोप में तनाव है. एर्दोवान ने कहा, "वो चाहे उन्हें स्वीकार करें या नहीं लेकिन हम उन्हें वापस भेजना जारी रखेंगे."

तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/C. May

एर्दोवान वाशिंगटन जा रहे हैं और बुधवार को उनकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से मुलाकात होनी है. इससे पहले उन्होंने यह भी कहा कि सीरिया में युद्ध विराम के लिए कुर्दों से इलाके को खाली कराने की जो शर्त थी वह पूरी नहीं हुई. एर्दोवान का कहना है कि अमेरिका और रूस के साथ हुए समझौते में 30 किलोमीटर के दायरे से कुर्द लड़ाकों के बाहर जाने की बात तय हुई थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. एर्दोवान ने कहा, "ना तो रूस ना ही अमेरिका इस इलाके को आतंकवादी गुटों से उन घंटों या दिनों में खाली करा सके जिस पर सहमति बनी थी."

एर्दोवान ने यह भी माना है कि नाटो के दोनों सहयोगियों (अमेरिका और तुर्की) के बीच कुछ तनाव है. एर्दोवान ने कहा,"हम ऐसे वक्त में यह दौरा कर रहे है जब तुर्की और अमेरिका के रिश्ते तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं." तुर्की और अमेरिका के बीच तनाव पैदा करने वाले मुद्दों में तुर्की का रूसी एडवांस डिफेंस सिस्टम खरीदना भी है. इसके साथ ही एर्दोवान अमेरिका से फेतउल्लाह गुलेन के प्रत्यर्पण की भी मांग करते है. अमेरिका में रहने वाले इस मौलाना पर एर्दोवान ने 2016 में तुर्की में हुए विद्रोह की साजिश रचने का आरोप लगाया था.

अमेरिका का कहना है कि उसने तुर्की को एफ35 लड़ाकू विमान कार्यक्रम से बाहर कर दिया. इस कार्यक्रम के तहत लड़ाकू विमान तुर्की में बेचे और बनाए जाने थे. हालांकि अमेरिका ने तुर्की पर कोई प्रतिबंध अभी तक नहीं लगाया है. अमेरिका कुर्दों के खिलाफ तुर्की के हमले से भी खुश नहीं है आखिरकार कुर्दों ने इस्लामिक स्टेट के साथ जंग में अमेरिका का भरपूर साथ दिया है.

एनआर/एमजे (रॉयटर्स,डीपीए)

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