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समाज

एवरेस्ट की चोटी पर 23 बार चढ़ने वाले शेरपा

१५ मई २०१९

गिने चुने शूरवीर ही एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने के खतरे और चमत्कारों का सामना करने का साहस जुटा पाते हैं, लेकिन कामी रीता शेरपा के लिए यह रोजमर्रा की बात है. बुधवार को वो 23वीं बार हिमालय की चोटी पर थे जो एक रिकॉर्ड है.

Sherpa Kami Rita
तस्वीर: picture-alliance/Pacific Press/M. Adhikari

49 साल के शेरपा ने बुधवार को अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा जो उन्होंने बीते साल बनाया था. बीते दो दशक से वह गाइड के रूप में काम कर रहे हैं. 8,848 मीटर ऊंची चोटी पर उनके कदम पहली बार 1994 में पड़े थे. पिछले महीने बेस कैम्प से हिमालय की चढ़ाई शुरू करते वक्त उन्होंने कहा था, "मैं वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए चढ़ाई नहीं करता, मैं तो सिर्फ काम कर रहा था. मैं तो यह भी नहीं जानता था कि रिकॉर्ड बन सकता है."

तस्वीर: picture alliance/dpa/XinHua/Zhang Rufeng

जाने माने नेपाली पर्वतारोही ने 8 हजार मीटर की कई दूसरी चोटियों पर भी चढ़ाई की है. इनमें पाकिस्तान का के2 भी शामिल है जो दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है. पिछले साल उन्होंने 22वीं बार एवरेस्ट पर चढ़ाई की और पिछला रिकॉर्ड तोड़ा. 21वीं बार की चढ़ाई में उनके साथ दो और शेरपा भी थे.

एवरेस्ट की घाटियों में रहने वाले शेरपाओं का नाम ऊंची चोटियों पर चढ़ाई के लिए विख्यात है. नेपाल में पर्वतारोहण का उद्योग काफी फलता फूलता रहा है. छोटे से गरीब देश में हर साल 40 लाख डॉलर से ज्यादा का राजस्व सिर्फ पर्वतारोहण से आता है. कम ऑक्सीजन और ऊंचाई वाले वातावरण में भी आराम से काम करने की उनकी अनोखी क्षमता के कारण शेरपा इस उद्योग की रीढ़ हैं. वे अपने ग्राहकों को रास्ता दिखाने के साथ ही हिमालय की ऊंची चोटियों तक सामान भी पहुंचाते हैं.

तस्वीर: picture alliance/Joker

नेपाल पर्वतारोहण संघ के पूर्व अध्यक्ष आंग त्शेरिंग शेरपा कहते हैं, "बहुत से विदेशी पर्वतारोहियों के लिए शेरपा की मदद के बगैर चोटी पर पहुंचना नामुमकिन है. ये नेपाल के पर्वतारोहण के लिए बेहद जरूरी हैं और भारी खतरा उठा कर इस उद्योग को जिंदा रखे हुए हैं." इसके साथ ही उन्होंने इस ओर ध्यान दिलाया कि सरकार ना तो उनके काम को पहचान देती है ना ही कोई आर्थिक सुरक्षा, जिसके वो हकदार हैं.

नेपाल ने इस साल रिकॉर्ड संख्या में 378 परमिट जारी किए हैं. एक परमिट की कीमत करीब 11 हजार डॉलर है. इस वजह से अगर मौसम खराब हुआ तो चढ़ाई वाले दिन घट जाएंगे और फिर रास्तों में भीड़ भी लग सकती है.

एवरेस्ट पर ज्यादा चढ़ने वाले लोग आम तौर पर नेपाली गाईड साथ ले कर जाते हैं. इसका मतलब है कि आने वाले हफ्तों में कम से कम 750 लोग उस रास्ते पर चलेंगे. इसके अलावा एवरेस्ट के उत्तरी सिरे यानी तिब्बत की ओर से भी कम से कम 140 और लोग चढ़ाई करेंगे. दोनों को मिला दें तो पिछले साल एवरेस्ट पर जाने वाले 807 लोगों का आंकड़ा भी इस बार पीछे रह जाएगा. पिछले साल इन पर्वतों में 5 लोगों की मौत भी हुई थी.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/N. Shrestha

1953 में एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नोर्गे के पहली बार एवरेस्ट पर चढ़ने के बाद से पर्वतारोहण एक आकर्षक व्यवसाय बन गया. हालांकि इस बीच बढ़ती संख्या के कारण खतरनाक भीड़ के साथ ही कूड़े की समस्या और पर्यावरण को नुकसान का डर भी पैदा हुआ है.

एनआर/एमजे (एएफपी) 

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