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एशियाई कहानियों का दौर आने को

३१ अक्टूबर २०१२

पश्चिमी देशों की कहानियों का बड़े दिनों तक बोलबाला रहा अब वहां संवेदनाओं का समंदर सूख चुका है. अब वक्त आ गया है कि एशिया अपनी कहानियां दुनिया तक पहुंचाए.

तस्वीर: Twentieth Century Fox

ताईवान में जन्मे अमेरिकी फिल्मकार आंग ली मानते हैं कि आने वाला दौर एशियाई कहानियों का ही होगा. उन्होंने अपनी फिल्म में लाईफ ऑफ पाय में सच्चे भारत को दिखाने की कोशिश की है. उनका यह भी कहना है कि अब वक्त आ गया है जब एशियाई लोग हॉलीवुड को कुछ नए और सब पर लागू हो सकने वाले विचार दें. ली की मानें तो पश्चिमी समाज से भावनाओं का सागर सूख चुका है. हॉलीवुड पर मुख्य रूप से यूरोप और अमेरिकी लोगों का कब्जा है और अब एशियाई लोगों को अपनी कहानियां अपनी बातें लेकर आना चाहिए. ली के मुताबिक सिनेमा का बाजार हमेशा नई सोच और विशिष्ट चीजों के बारे में उत्सुक रहता है.

लाइफ ऑफ पायतस्वीर: AP

भारतीय फिल्मों के बारे में ली का कहना है, "भारतीय फिल्में एकदम ताजी और नई हैं लेकिन हॉलीवुड में फिल्म बनाने के लिए थोड़ा अलग और व्यापक हो कर सोचना होगा. यह इसी तरह से काम करता है." 58 साल के ली ने जोर दे कर कहा कि भारत को बढ़ा चढ़ा कर या फिर उसके काले पक्ष को दिखाने से बचना होगा. यह कहते वक्त उनका इशारा डैनी बॉल के स्लमडॉग मिलियनेयर की तरफ था. ली ने कहा, "मेरे ख्याल में दोनों गलत है क्योंकि भारत इनके मध्य में कहीं है. अगर कोई बाहर से आता है तो वह वही दिखाता है जो उसे पसंद आता है. मैं वास्तविकता के साथ थोड़ा न्याय करना चाहता हूं, सचमुच का भारत दिखाना चाहता हूं."

ऑस्कर विजेता फिल्म निर्देशक अपनी भारत आधारित फिल्म के प्रमोशन के लिए इन दिनों मुंबई आए हैं. इस फिल्म में प्रमुख रूप से भारतीय कलाकारों ने भी भूमिकाएं निभाई हैं. फिल्म में इरफान खान के अलावा तब्बू और सूरज शर्मा की प्रमुख भूमिका है. सूरज शर्मा को 3000 किशोरों के बीच से इस फिल्म के लिए चुना गया है. फिल्म थ्रीडी में शूट हुई है और ली ने पुडुचेरी, मन्नार के बाजार, मंदिर, केरल का एक प्रमुख हिल स्टेशन इन सब को दिखाया है. लाइफ ऑफ पाय कनाडाई लेखक यान मार्टेल के बुकर विजेता उपन्यास पर आधारित है.

लाइफ ऑफ पाय फिल्म का दृश्यतस्वीर: AP

उपन्यास के लेखक भी इस फिल्म को लेकर काफी उत्साहित हैं और वो फिल्म निर्माण में पूरी तरह से शामिल रहे हैं. फिल्म की कहानी पीसाइन मोलिटर पटेल (पाय) के इर्द गिर्द घूमती है जो पुडुचेरी में पला बढ़ा है. उसका परिवार एक चिड़ियाघर चलाता है. बाद में यह परिवार कनाडा जा कर बसने की ठान लेता है और वह अपने सारे जीव जंतुओं को साथ ले कर एक बड़े जहाज में कनाडा के लिए रवाना होते हैं. रास्ते में कठिन मुश्किलें आती हैं और उससे पाई की जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है. फिल्म में तकनीक का कमाल भी खूब है और इसमें पानी के भीतर बाघ की शूटिंग जैसे कुछ बेहद दिलचस्प दृश्य समेटे गए हैं. फिल्म एक साथ हिंदी, अंग्रेजी, तमिल और तेलुगु में रिलीज हो रही है जो 23 नवंबर को पर्दे पर उतरेगी.

एनआर/एएम (पीटीआई)

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