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एशियाई फुटबॉल को मजबूत कर गया 2011

२८ दिसम्बर २०११

पूरा साल भले ही मैच फिक्सिंग, आत्महत्या और इस तरह की बुरी खबरों से भरा रहा हो लेकिन फिर भी विदा लेता साल 2011 एशियाई फुटबॉल को मजबूत कर गया. कतर इस साल भी सुर्खियों में रहा.

तस्वीर: AP

पिछले साल कतर ने वर्ल्ड कप की मेजबानी लेकर सुर्खियां बटोरी थीं. इस साल कतर ने एशियाई कप का आयोजन करके सबका ध्यान खींचा. 11 साल बाद वर्ल्ड कप की तैयारी के लिहाज से इस टूर्नामेंट को अहम माना जा रहा है. हालांकि ज्यादातर स्टेडियम आधे खाली थे. लेकिन इस दौरान जापान, कोरिया और ऑस्ट्रेलिया के उच्च स्तरीय खेल की लोगों ने खूब सराहना की.

जापान ने फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को पराजित कर कप जीता. इसी साल जापान की महिला टीम ने वर्ल्ड कप जीत कर जर्मनी का वर्चस्व तोड़ा और एशियाई फुटबॉल में चार चांद लगा दिए. जापान फुटबॉल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष कोजो ताशिमा का कहना है, "जापान ने फुटबॉल में 2011 में जो कामयाबी हासिल की है, हम उससे बेहद खुश हैं. एशिया के स्तर पर जनवरी में और फिर विश्व स्तर पर जुलाई में हमने अपना परचम फहरा दिया. हालांकि इस दौरान हमें बुरे दौर से भी गुजरना पड़ा." जापान को इस साल आए सूनामी के लिए भी याद किया जाएगा. मार्च में हुए इस हादसे में साढ़े पांच हजार लोग मारे गए, जबकि फुकुशीमा परमाणु संयंत्र से रेडियोधर्मी पानी लीक होने से भयानक त्रासदी का खतरा बन गया था.

तस्वीर: AP

खुदकुशी भी हुई

अप्रैल में दक्षिण कोरिया का फुटबॉल भी हेडलाइंस में नजर आया. लेकिन इस बार मामला मैच फिक्सिंग का था. एक दो नहीं, कुल 60 खिलाड़ियों पर आरोप लगे कि उन्होंने लीग के फुटबॉल मैच पैसे लेकर फिक्स कर दिए. इसके बाद एक पूर्व राष्ट्रीय कोच और देश के लिए खेल चुके एक फुटबॉल खिलाड़ी ने खुदकुशी कर ली.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके जापान और कोरिया के फुटबॉल टीमों ने अपने युवा खिलाड़ियों को यूरोप के महत्वपूर्ण टीमों में भेजने का सिलसिला इस साल भी जारी रखा. शिनजी ओकाजाकी और ताकाशी उसामी ने जर्मन फुटबॉल लीग बुंडसलीगा में कदम रखा, जबकि कोरिया के स्ट्राइकर जी-डोंग वोन इंग्लैंड जाकर संडरलैंड की टीम में शामिल हो गए. अब वह प्रतिष्ठित इंग्लिश प्रीमियर लीग खेलने वाले खिलाड़ी बन गए हैं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

स्टार भी पहुंचे एशिया

लेकिन यह कोई एकतरफा मामला नहीं रहा. एशियाई देशों ने यह भी साबित कर दिया कि अब उनके पास इतना पैसा है कि वे अंतरराष्ट्रीय स्टार खिलाड़ियों को भी अपने यहां बुला सकते हैं. जर्मनी के राष्ट्रीय खिलाड़ी और इंग्लिश लीग में खेल चुके असमोआ ग्यान ने अचानक संयुक्त अरब अमीरात के अल ऐन टीम में शामिल हो गए. फ्रांस के राष्ट्रीय खिलाड़ी निकोलस एनेल्का दिसंबर में चेल्सी छोड़ कर चीन के शंघाई शेनहुआ पहुंच गए. उन्हें सालाना डेढ़ करोड़ डॉलर की फीस मिलेगी. इससे पहले अर्जेंटीना के डारियो कोनका भी चीन के ग्वांगझो क्लब पहुंच चुके हैं, जहां उन्हें एक करोड़ डॉलर सालाना मिल रहे हैं.

तस्वीर: AP

एशियाई फुटबॉल परिसंघ के कार्यकारी अध्यक्ष झांग जीलोंग का कहना है, "हमेशा यह देखना अच्छा लगता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी एशिया पहुंच रहे हैं. यह एशियाई फुटबॉल और विश्व स्तरीय फुटबॉल के फासले को भी भर रहा है."

राष्ट्रीय स्तर पर एशियाई फुटबॉल टीमों ने वर्ल्ड कप 2014 के लिए क्वालीफाइंग मुकाबले शुरू कर दिए. अभी इस क्रम के मैच बाकी हैं लेकिन चीन, उत्तर कोरिया और संयुक्त अरब अमीरात होड़ में आगे निकल गए हैं. इसी दौरान फलीस्तीन ने पहली बार किसी वर्ल्ड कप क्वालिफाइंग मुकाबले में अपनी टीम उतारी. उसने पहले मैच में अफगानिस्तान को हरा दिया. बाद में लेबनान ने दक्षिण कोरिया को 2-1 से हरा कर तहलका मचा दिया. कोरिया के कोच को नौकरी छोड़नी पड़ी.

तस्वीर: AP

कोच भी आते जाते रहे, जिनमें सबसे बड़ा नाम नीदरलैंड्स के फ्रांक रिजकार्ड का रहा. वह सऊदी अरब के कोच बन गए हैं. इसी दौरान कतर के मोहम्मद बिन हम्माम भी चर्चा में रहे, जिन्होंने फीफा अध्यक्ष जेप ब्लाटर को चुनौती दे दी. लेकिन बाद में चुनाव से नाम वापस ले लिया. हालांकि बाद में उन्हें आरोपों में फंसा पाया गया और उन पर जीवन भर के लिए पाबंदी लगा दी गई.

रिपोर्टः एपी/ए जमाल

संपादनः एन रंजन

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