चांसलर अंगेला मैर्केल की सरकार में शामिल एसपीडी ने एक नये उम्मीदवार मार्टिन शुल्त्स के साथ चांसलर का मुकाबला करने की घोषणा की है. शुल्त्स ने कहा है कि उनकी कैबिनेट में पुरुषों और महिलाओं की बराबर हिस्सेदारी होगी.
विज्ञापन
मार्टिन शुल्त्स जर्मनी की सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के मनोनीत नेता हैं और अंगेला मैर्केल को सितंबर में होने वाले संसदीय चुनावों में चुनौती देंगे. यूरोपीय संसद के स्पीकर रह चुके मार्टिन शुल्त्स को जब से वामपंथी एसपीडी का चांसलर पद का उम्मीदवार बनाने की घोषणा हुई है, वे अपने लोकलुभावन बयानों के कारण सुर्खियों में हैं. अब उन्होंने कहा है कि यदि उन्हें चुनावों के बाद नई सरकार बनाने का मौका मिलता है तो वे अपनी कैबिनेट में पुरुषों और महिलाओं को बराबर संख्या में मंत्री बनायेंगे.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आयोजित एक समारोह में मार्टिन शुल्त्स ने कहा कि एसपीडी नई सरकार में बराबर महिलाओं और बराबर पुरुषों को नियुक्त करेगी. इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा कि गठबंधन सरकार बनने की स्थिति में वे अपने भावी पार्टनर से भी ऐसा ही करने को कहेंगे. अगर ऐसा होता है तो यह पहला मौका होगा जब इतनी महिलायें जर्मनी में मंत्री पद संभालेंगी.
समय के साथ बदलता काम का स्वरूप
मध्य युग तक काम करने को अच्छा नहीं माना जाता था. उसके बाद चर्च में सुधारों के जनक मार्टिन लूथर आए और उन्होंने काम को ईश्वरीय कर्तव्य बना दिया. अब 500 साल बाद रोबोट हमसे काम छीनने की तैयारी कर रहे हैं.
आदर्श था निकम्मा होना
प्राचीन ग्रीस के दार्शनिकों के बीच काम को निंदनीय माना जाता था. अरस्तू ने काम को आजादी विरोधी बताया तो होमर ने प्राचीन ग्रीस के कुलीनों के आलसीपने को अभीष्ठ बताया. उस जमाने में शारीरिक श्रम सिर्फ महिलाओं, मजदूरों और गुलामों का काम था.
तस्वीर: Imago/Leemage
जश्न करने वालों को काम की जरूरत नहीं
मध्ययुग में भी हालत बेहतर नहीं हुई. उस समय काम का मतलब खेती था और खेतों में काम करना खिझाने वाला कर्तव्य था. जिसे जमींदारों की सेवा करनी थी, उसके पास कोई चारा नहीं था. जिसके पास चारा था वह कमाई की चिंता किए बिना जश्न मनाता था. साल में 100 दिन छुट्टियां होती थीं.
तस्वीर: Gemeinfrei
काम का मतलब ईश्वर का आदेश
16वीं सदी में जर्मनी में धर्मशास्त्री मार्टिन लुथर ने अपने अभियान के तहत आलस्य को पाप घोषित कर दिया. उन्होंने लिखा कि इंसान का जन्म काम करने के लिए हुआ है. काम करना ईश्वर की सेवा भी है और कर्तव्य भी. इंगलिश नैतिकतावादी परंपरा में काम को ईश्वर का चुनाव माना गया. इससे पूंजीवाद के उदय में तेजी आई
तस्वीर: picture-alliance/akg-images
मशीनों की सेवा में
18वीं सदी में यूरो में औद्योगिकीकरण की शुरुआत हुई. आबादी बढ़ने लगी, जमीन कम पड़ने लगी. लोग देहात छोड़कर फैक्ट्रियों और आयरन फाउंड्री में काम करने आने लगे. 1850 के करीब इंगलैंड के ज्यादातर लोग दिन में 14 घंटे और हफ्ते में छह दिन काम करते थे. पगार फिर भी इतनी कम कि जीने के लिए काफी नहीं थी.
घटती कीमतें, बढ़ती मजदूरी
20वीं सदी के शुरू में अमेरिकी उद्यमी हेनरी फोर्ड ने कार उद्योग में एसेंबली लाइन प्रोडक्शन शुरू किया. इस तरह पूरे उद्योग के लिए नया पैमाना तय हुआ. इस नए प्रोडक्शन लाइन के कारण फोर्ड मॉडल टी का उत्पादन 8 गुना हो गया. कारों की कीमतें तेजी से गिरीं और फोर्ड के लिए कर्मचारियों को बेहतर मेहनताना देना संभव हुआ.
काम का नशा और काहिली का हक
कारखानों के खुलने से एक नया सामाजिक वर्ग पैदा हुआ. प्रोलेटैरियेट. इस शब्द को गढ़ने वाले दार्शनिक कार्ल मार्क्स का कहना था कि काम इंसान की पहचान है. उनके दामाद समाजवादी पॉल लाफार्ग ने 1880 में कहा, "सभी देशों के मजदूर वर्ग में एक अजीब सा नशा है. काम के लिए प्यार और थककर चूर होने तक रहने वाला नशा."
वैश्वीकृत काम की दुनिया
20वीं सदी के दौरान दुनिया के समृद्ध देशों में रोजगार मिटने लगे. उद्यमों ने उत्पादन का कम उन देशों में भेजना शुरू किया जहां मजदूर सस्ते थे. बहुत से विकासशील देशों में आज हालात ऐसे हैं जैसे यूरोप में औद्योगिकीकरण की शुरुआत में थे, सख्त शारीरिक श्रम, बाल मजदूरी, कम वेतन और सामाजिक सुरक्षा का पूरी तरह अभाव.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/L.Jianbing
काम की बदलती सूरत
यूरोप में इस बीच नए रोजगार सर्विस सेक्टर में पैदा हो रहे हैं. तकनीकी और सामाजिक बदलाव की प्रक्रिया में नई तरह के काम और रोजगार पैदा हो रहे हैं. बुजुर्गों की तादाद बढ़ने से बुजुर्गों की देशभाल करने वाले नर्सों की मांग बढ़ रही है. काम के घंटे कम हो रहे हैं. 1960 से 2010 के बीच जर्मनी में प्रति व्यक्ति काम 30 फीसदी कम हो गया है.
तस्वीर: DW/V.Kern
फिर कभी काम न करना पड़े
ये औद्योगिक रोबोट हैं, ये हड़ताल नहीं करते, मेहनताना नहीं मांगते और एकदम सटीक तरीके से काम करते हैं. रोबोट काम की दुनिया में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहे हैं. अमेरिकी अर्थशास्त्री जेरेमी रिफकिन का कहना है कि इस समय "तीसरी औद्योगिक क्रांति" हो रही है जो वेतन और मजदूरी वाले ज्यादातर काम को खत्म कर देगी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Stratenschulte
जॉब किलर रोबोट?
ये सवाल पिछले 40 साल से पूछा जा रहा है जब से हाड़ मांस के बदले लोहे और स्टील के मददगार ने कारखानों में प्रवेश किया है.लेकिन पहली बार अब विकास उस चरण में पहुंचता लग रहा है. डिजीटलाइजेशन, इंटरनेट ऑफ द थिंग्स और इंडस्ट्री 4.0 बहुत सारे रोजगार को खत्म कर देंगे और वह भी सिर्फ कारखानों में ही नहीं.
तस्वीर: Daimler und Benz Stiftung/Oestergaard
काम की सुंदर नई दुनिया
मशीनें काम करेंगी और इंसान के पास ज्यादा अहम चीजों के लिए वक्त होगा. अरस्तू की भावना में लोगों को आजादी मिलेगी. पर्यवरण सुरक्षा, बूढ़े और बीमार लोगों की सुश्रुषा और जरूरतमंदों की मदद जैसे काम फिलहाल अवैतनिक लोग करते हैं. भविष्य में काम की नई दुनिया में कर्तव्य फिर से पेशा बन जाएगा.
तस्वीर: Colourbox
11 तस्वीरें1 | 11
चांसलर अंगेला मैर्केल की कैबिनेट में उनके अलावा 15 सदस्य हैं जिनमें 9 पुरुष मंत्री हैं और छह विभागों की जिम्मेदारी महिला मंत्रियों के हाथों है. इनमें योहान्ना वांका शिक्षा मंत्री, उर्सुला फॉन डेय लाएन रक्षा मंत्री, बारबरा बेंडरिक्स पर्यावरण मंत्री, मानुएला श्वेजिष परिवार कल्याण मंत्री, ब्रिगिटे सिप्रीस अर्थनीति मंत्री और आंद्रेया नालेस श्रम मंत्री हैं. महिला मंत्रियों में दो चांसलर मैर्केल की सीडीयू पार्टी की हैं जबकि चार शुल्त्स की एसपीडी की हैं.
मार्टिन शुल्त्स की इस घोषणा का लक्ष्य महिलाओं का समर्थन जीतना भी हो सकता है. 2013 में हुए पिछले संसदीय चुनावों में 44 प्रतिशत महिला वोटरों ने चांसलर की सीडीयू पार्टी का समर्थन किया था जबकि सिर्फ 25 प्रतिशत महिला वोटरों ने एसपीडी को वोट दिया था. जीतने के लिए महिला वोटरों का समर्थन मायने रखता है. जर्मनी की वर्तमान संसद में 631 सदस्य हैं जिनमें महिलाओं की संख्या 230 है. इस समय संसद में 36.5 फीसदी महिला सदस्य हैं जो जर्मन संसद बुंडेसटाग के इतिहास की सबसे बड़ी संख्या है.
एमजे/एके (डीपीए)
सोशल डेमोक्रेसी के 150 साल
डेढ़ सौ साल पहले 23 मई 1863 को लाइपजिष शहर में जर्मनी की सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी की स्थापना हुई. उस समय एक श्रमिक संगठन के रूप में. प्रतिबंध, दमन, निर्वासन, सफलता और विफलताएं एसपीडी के इतिहास से जुड़ी रही हैं.
तस्वीर: picture alliance / dpa
यादों के तहखाने से
खेल खेल में सोशल डेमोक्रैसी का इतिहास जानें. एसपीडी जर्मन श्रमिक आंदोलन की पहली पार्टी थी. सौ साल बाद विली ब्रांट संघीय जर्मनी के पहले एसपीडी चांसलर बने. पार्टी ने कुल तीन चांसलर दिए.
तस्वीर: DW
प्रतिबंधों से बाहर
सदस्यों की पहली बैठकें चोरी छिपे हुईं. शुरुआती बैठक में संस्थापक सदस्य आउगुस्ट बेबेल और विल्हेल्म लीबक्नेष्ट भी मौजूद हैं. 1863 में बने जर्मन श्रमिक संघ में दस साल बाद 21,000 सदस्य हो गए.
तस्वीर: AdsD der Friedrich-Ebert-Stiftung
रोक के बावजूद सफल
उद्योग बढ़े तो लोगों को रोजगार मिला. लेकिन कारखानों में बदहाली थी. मजदूर संघ लोकप्रिय होने लगे. 1878 में कानून बनाकर इसे रोकने की कोशिश हुई. फिर भी 1890 तक एसपीडी जनांदोलन बन गया.
तस्वीर: Ullstein Bild
स्कूल में पार्टी नेता
एसपीडी के पार्टी स्कूल में 1906 से रोजा लक्जेमबुर्ग और बेबेल जैसे प्रमुख पार्टी सदस्य पढ़ने लगे. बेबेल के पिता ने कहा था, ज्ञान ताकत है, ताकत ज्ञान है. 1912 तक एसपीडी जर्मनी की सबसे बड़ी पार्टी बन गई.
तस्वीर: AdsD der Friedrich-Ebert-Stiftung
अशांत वाइमार गणतंत्र
बर्लिन में 9 नवम्बर 1918 को राइषटाग भवन के छज्जे से गणतंत्र की घोषणा करते एसपीडी नेता फिलिप शाइडेमन. एक साल बाद पार्टी नेता फ्रीडरिष एबर्ट राइष चांसलर बने. महिलाओं को मताधिकार मिला.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
नाजी शासन का विरोध
एसपीडी सांसद ओटो वेल्स ने 1933 में संसद को कमजोर करने की हिटलर की कोशिश का विरोध किया. कुछ ही महीनों बाद मजदूर संगठनों को भंग कर दिया गया, एसपीडी पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
तस्वीर: AdsD der Friedrich-Ebert-Stiftung
दमन और निर्वासन
नाजियों की निगरानी में दीवार साफ करते एसपीडी नेता. नाजी शासन के दौरान बहुत से पार्टी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, उन्हें यातना दी गई या मार डाला गया. पार्टी के बहुत से नेता निर्वासन में चले गए.
तस्वीर: AdsD der Friedrich-Ebert-Stiftung
पार्टी का पुनर्गठन
बमबारी में ध्वस्त फ्रैंकफर्ट में 1946 में भाषण देते पश्चिमी कब्जे वाले जर्मनी में एसपीडी के नए अध्यक्ष कुर्ट शूमाखर. सोवियत पूर्वी जर्मनी में एसपीडी और कम्युनिस्ट पार्टी का जबरन विलय कर दिया गया.
तस्वीर: AdsD der Friedrich-Ebert-Stiftung
जनाधार वाली पार्टी
एसपीडी ने 1959 में गोडेसबर्ग कार्यक्रम पास किया. पार्टी ने सामाजिक बाजार अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को गले लगाया. इसकी वजह से 1966 में सीडीयू के साथ गठबंधन संभव हुआ, विली ब्रांट उप चांसलर बने.
तस्वीर: AdsD der Friedrich-Ebert-Stiftung
नई शुरुआत
तीन साल बाद 1969 में विली ब्रांट संघीय जर्मनी के पहले एसपीडी चांसलर बने. वॉरसॉ में घुटने टेककर विली ब्रांट ने देश की नई पूर्वी नीति की नींव रखी. उन्होंने अधिक लोकतंत्र की हिम्मत दिखाने का नारा दिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
वामपंथी रुझान
1968 के छात्र आंदोलन के बाद बहुत से लोग पार्टी में शामिल हुए. वे पार्टी में नई बयार लाए, लेकिन वैचारिक संघर्ष भी. 1974 में हाइडेमारी विचोरेक सौएल पार्टी के युवा संगठन की पहली महिला अध्यक्ष बनी.
तस्वीर: ullstein bild
श्मिट और जर्मन शरद
वामपंथी उग्रवादी संगठन रेड आर्मी फ्रैक्शन द्वारा मारे गए जर्मन नियोक्ता संघ के अध्यक्ष हंस मार्टिन श्लायर की पत्नी को शोक संवेदना. एसपीडी चांसलर हेल्मुट श्मिट की सरकार के लिए यह कठिन घड़ी थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
विपक्ष में कठिन दिन
लिबरल पार्टी के साथ 1982 में गठबंधन टूटने के बाद एसपीडी लम्बे समय तक विपक्ष में रहा. 1994 में रूडोल्फ शार्पिंग सत्ता वापस जीतने में नाकाम रहे. ऑस्कर लाफोन्टेन (बीच में) पार्टी नए अध्यक्ष बने.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
सुधार की उहापोह
सितंबर 1998 में एसपीडी ग्रीन पार्टी के साथ फिर से सत्ता में आई. चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर ने रोजगार बाजार में व्यापक लेकिन विवादास्पद सुधार किए. इसका विरोध करने वाले बहुत से लोगों ने पार्टी छोड़ दी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
नया नेतृत्व
अब अपनी साफगोई के लिए मशहूर पेअर श्टाइनब्रुक चांसलर पद के लिए अंगेला मैर्केल को चुनौती दे रहे हैं.