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एसपी़डी के गढ़ बैर्गकामेन में हर कोई एक दूसरे को जानता है

२२ सितम्बर २०१७

जर्मनी की सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी एसपीडी की जमीन उसके पारंपरिक गढ़ रहे इलाकों में खिसक रही है लेकिन कोयले के खदान वाले छोटे से शहर बैर्गकामेन में नहीं.

Bergkamen Schacht
तस्वीर: DW/E. Schumacher

एक जमाने में जर्मनी की रूर घाटी में मौजूद बैर्गकामेन से निकला कोयला पूरे यूरोप में जाता था. इस उद्योग ने यहां के 12000 लोगों को काम पर रखा है, जाहिर है कि शहर के एक बड़े हिस्से का रोजगार यही है. आज ये खदान रसायन उद्योग के हाथ में चले गये हैं लेकिन यह बदलाव यहां के लोगों के लिए संघर्ष बन गया है.

तस्वीर: DW/V. Witting

बड़े पैमाने पर हुए बदलाव के पूरे दौर में बैर्गकामेन एसपीडी के लिए मजबूत दुर्ग बना रहा. एसपीडी इस चुनाव में 12 साल से सत्ता पर काबिज अंगेला मैर्केल को हटा कर अपने उम्मीदवार मार्टिन शुल्त्ज को बिठाना चाहती है. यहां के कामकाजी लोग और एसपीडी के बीच बड़ा गहरा रिश्ता है. खदान वाले दूसरे शहरों की तरह ही बैर्गकामेन के भी कभी अच्छे दिन थे. पर अब यह ढेर सारे कंक्रीट के बीच ऊंघते गलियारों में चलता जगह जगह बेकार पड़ी ऊंची खदान वाली लिफ्टों से आकाश की ओर झांकता नजर आता है. यहां कोई ट्रेन स्टेशन नहीं केवल कार्गो ले जाने वाली रेलवे की लाइनें है और बेरोजगारी की दर है 10.2 फीसदी.

कामकाजी लोगों का शहर

तस्वीर: DW/V. Witting

जर्मनी की मौजूदा पार्टियों में सबसे पुरानी एसपीडी मजदूरों के हितों को ध्यान में रख कर ही अस्तित्व में आयी थी. एक समय की बात है कि खदान वाले शहरों में पार्टी की सफलता मानी हुई बात थी. मौजूदा चुनाव में भी देखें तो मार्टिन शुल्त्स भले ही अंगेला मैर्केल को हराने में नाकाम होते दिख रहे हों लेकिन एसपीडी को बैर्गकामेन में कोई खतरा नहीं है. यहां कई दशकों से स्थानीय लोगों को पार्टी ने अपने साथ जोड़ रखा है. हालांकि यहां के लोग पार्टी की नीति से ज्यादा अपनी वफादारी के कारण एसपीडी से जुड़े हैं.

एसपीडी के मेयर रोलांड शेफर कहते हैं, "बैर्गकामेन में पार्टी की सफलता का बहुत संबंध उसके अतीत से है क्योंकि यहां का सामाजिक ढांचा अब भी कामकाजी वर्ग के शहर का है." शेफर के मुताबिक 1990 के दशक में कोयला खदानों का महत्व गिरने के बाद भी बैर्गकामेन पार्टी का गढ़ बना रहा क्योंकि, "हमने लंबे समय तक शहर का प्रशासन सफलता से चलाया, यहां के ढांचागत बदलावों से निपटे, शहर को खूबसूरत बनाया और उन समुदाय के साथ सीधे संबंधों के जरिये लोगों को अपने साथ लाये जो शायद सीडीयू के वोटर बन सकते थे."

रोलांड शेफरतस्वीर: DW/E. Schumacher

कई और लोगों ने भी शेफर के विचारों से सहमति जताई. हालांकि ये लोग भी मान रहे हैं कि एसपीडी को भी शायद आने वाले दिनों में यह स्वीकार करना पड़ेगा कि पूर्ण बहुमत के दिन बीत जायेंगे. पार्टी को बैर्गकामेन के राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफालिया में भी हाल के प्रांतीय चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा. बैर्गकामेन में हाल के चुनाव में पार्टी को 59 फीसदी वोट मिले जबकि 1977 में जब एसपीडी उफान पर थी तब उसने यहां 66 फीसदी तक वोट हासिल किये थे.

पेंशनर फोल्कर वागनर कहते हैं कि नई पीढ़ी में एसपीडी वोटर कम हैं, पार्टी के समर्थकों में ज्यादातर पेंशनभोगी लोग ही हैं. हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि सिर्फ आबादी से जुड़े मसलों की ही बात नहीं है. पूर्व खदान कर्मी पेट्राट कहते हैं, "पहले एसपीडी छोटे लोगों का ख्याल रखती थी लेकिन दुर्भाग्य से अब ऐसा नहीं है. पहले वो पब में आ जाते थे हमसे पूछते थे कोई चिंता की बात तो नहीं. अब वो इस तरह के काम नहीं करते. मैं अब भी उन्हें वोट देता हूं."

गमजे कवलाकली और केविन डेरिषतस्वीर: DW/E. Schumacher

मैर्केल की दलदल

बहुत से लोगों का मानना है कि एसपीडी ने गठबंधन सरकार में शामिल हो कर गलती की. लोगों को लगता है कि इस बार के चुनाव से स्थिति बदल जायेगी. ये वो लोग हैं जो मान रहे हैं कि मार्टिन शुल्त्स संघीय चुनाव में मैर्केल को टक्कर देने के लिए सही इंसान हैं. इन्हें सीडीयू के सबसे मजबूत पार्टी होने के दावों पर हैरानी होती है.

तस्वीर: DW/V. Witting

गमजे कवलाकली और केविन डेरिष इन्हीं लोगों में शामिल हैं. दोनों छात्र हैं और एसपीडी के यूथ विंग में शामिल हैं. कवलाकली का कहना है, "इस शहर में सिर्फ एसपीडी ही है जो लोगों के करीब है, हम जमीन से जुड़े लोग हैं और हमेशा बात करने के लिए तैयार रहते हैं." बैर्गकामेन में आज भी बहुत से लोग हैं जो कहते हैं "हम एसपीडी को ही वोट देंगे क्योंकि और यहां कौन है जिसे वोट दें."

रिपोर्टः एलिजाबेथ शूमाखर

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