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ए राजा के आवंटित 2जी लाइसेंस रद्द

२ फ़रवरी २०१२

भारत की सबसे बड़ी अदालत ने विवादित 2जी स्पेक्ट्रम के सभी लाइसेंस रद्द कर दिए हैं. ये 122 लाइसेंस पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा के कार्यकाल में दिए गए थे. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्री पी चिदंबरम को राहत दी है.

तस्वीर: picture alliance/dpa

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस मुद्दे पर राजनीति भी हो रही है. कांग्रेस ने जहां दावा किया है कि गृह मंत्री चिदंबरम पाक साफ हैं, वहीं बीजेपी ने चिदंबरम से इस्तीफा मांगा है. दूसरी तरफ इस पूरे मामले को सामने लाने में अहम भूमिका निभाने वाले जनता पार्टी के सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अदालती फैसले का स्वागत किया है.

तस्वीर: UNI

अदालत ने ए राजा के कार्यकाल में दिए गए 2जी स्पेक्ट्रम के सभी लाइसेंस यह कहते हुए रद्द कर दिये कि ये सभी मनमाने और असंवैधानिक हैं. अदालत ने उन तीन कंपनियों पर पांच पांच करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगा दिया है, जिन्होंने लाइसेंस मिलने के बाद बाजार में अपने शेयर उतार दिए थे. भारतीय टेलीकॉम नियंत्रण प्राधिकरण (ट्राई) को निर्देश दिया गया है कि वह इस पूरे मामले की दोबारा सिफारिश करे.

जस्टिस जीएस सिंघवी और एके गांगुली की बेंच ने केंद्र सरकार को हिदायत दी है कि ट्राई की सिफारिश पर उसे महीने भर के अंदर कार्रवाई करनी है और चार महीने के अंदर 2जी का ताजा लाइसेंस जारी करना है.

जनता पार्टी के नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी और गैरसरकारी संस्था सीपीआईएल की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, उसके तहत आरोप है कि जनवरी, 2008 में उस वक्त के टेलीकॉम मंत्री ए राजा ने धांधली करते हुए 122 लाइसेंस औने पौने दर में जारी कर दिए. कैग की रिपोर्ट के मुताबिक इस पूरे प्रकरण में 176 अरब रुपये का घोटाला हुआ है. ए राजा इस वक्त दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं.

ए राजा ने जो 122 लाइसेंस जारी किए, उससे सरकार को सिर्फ 9,000 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ, जबकि बाद में इससे कम संख्या में जारी 3जी लाइसेंस के लिए सरकार को 69,000 करोड़ का राजस्व मिला. जिन कंपनियों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा, उनमें यूनिनॉर (यूनिटेक और नॉर्वे की टेलीनॉर की संयुक्त कंपनी), लूप टेलीकॉम, सिस्टेमा श्याम (श्याम और रूस की सिस्टेमा की संयुक्त कंपनी), इतिसलाद डीबी (स्वान और यूएई की इतिसलाद की संयुक्त कंपनी), एसटेल, वीडियोकॉन, टाटा और आइडिया शामिल हैं.

तस्वीर: CC-BY-SA-3.0 LegalEagle

2008 में ए राजा ने पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर 122 लाइसेंस जारी किए. इसमें यूनिनॉर को 22 पैन इंडिया लाइसेंस मिले, लूप को 21, सिस्टेमा श्याम को 21, इतिसलाद डीबी को 15, एसटेल को छह, वीडियोकॉन को 21, आइडिया को नौ और टाटा को तीन.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया जताते हुए यूनिनॉर ने गहरे सदमे का इजहार किया और कहा कि कंपनी के साथ न्याय नहीं हो पाया. इसने सभी सर्किल में अपना काम शुरू कर दिया है. कंपनी ने बयान जारी कर कहा, "हमारे साथ इंसाफ नहीं हुआ क्योंकि हमने तो सरकार के तरीकों का पालन किया. हमें यह जानकर बेहद सदमा हुआ है कि यूनिनॉर पर जुर्माना लगाया गया है, जबकि गलती सरकार की तरफ से हुई है."

हालांकि कंपनी ने साफ किया है कि उसके काम करने पर रोक नहीं लगाई गई है. इस तरह उसके करीब साढ़े तीन करोड़ ग्राहक, 17,500 कर्मचारी और 22,000 पार्टनर प्रभावित नहीं होंगे. दूसरी कंपनियों ने कोई बयान देने से पहले आदेश को समझना बेहतर समझा.

इस मामले में स्वामी ने भारतीय गृह मंत्री पी चिदंबरम पर भी मामला चलाने की अपील की थी और कहा था कि जिस वक्त आवंटन किया गया, उस वक्त चिदंबरम वित्त मंत्री थे और उनका भी फैसले में बड़ा रोल था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस बाबत कोई निर्देश देने से इनकार कर दिया और कहा कि सुनवाई अदालत इस बात का फैसला कर सकती है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए निचली अदालत को दो हफ्ते का वक्त दिया है.

स्वामी का कहना है कि यूपीए की पिछली सरकार के दौरान हुआ यह घोटाला पूरी सरकार की नाकामी दिखाता है क्योंकि कैग और केंद्रीय सतर्कता आयोग ने इस बारे में सरकार को चेतावनी दी थी. स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कहा, "हर किसी ने चेतावनी दी थी. कैग और सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयुक्त) ने भी. लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज कर दिया."

चिदंबरम के बारे में स्वामी का कहना है, "मैं इस फैसले से खुश हूं क्योंकि यह सुनवाई अदालत में चल रहा है और वह अदालत इस फैसले को लेने में पूरी तरह सक्षम है कि गृह मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की जाए या नहीं." सुनवाई अदालत ने इसी से जुड़े मामले पर अपना फैसला चार फरवरी तक के लिए सुरक्षित रखा है.

उधर, बीजेपी ने इस मुद्दे पर सीधे चिदंबरम का इस्तीफा मांग लिया है. बीजेपी नेता बलबीर पुंज ने कहा, "वह पूरी तरह से पूरे घोटाले में शामिल हैं और उन्हें सिर्फ दो दिनों की मोहलत मिल पाई है. अगर चिदंबरम खुद से अपना इस्तीफा नहीं देते, तो प्रधानमंत्री को चाहिए कि राष्ट्रपति को सिफारिश भेजें कि उन्हें बर्खास्त कर दिया जाए."

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः एन रंजन

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