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ऐसा है भारत का पहला हाथियों का अस्पताल

फैसल फरीद
२० नवम्बर २०१८

कभी किसी ने नहीं सोचा कि हाथी जब बीमार हो, घायल हो जाए या फिर उसके साथ कोई दुर्घटना हो तब उसका इलाज कैसे होगा. लेकिन अब भारत का पहला हाथियों का अस्पताल खुल गया है.

Indien Erstes Elefanten-Krankenhaus
तस्वीर: Wildlife SOS

भारत में बना हाथियों का अस्पताल

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हाथी की भारतीय संस्कृति में हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका रही है. कभी ये राजसी शान और शौकत का प्रतीक रहा, युद्ध में भी इसने भाग लिया, मंदिरों में पूजा में शामिल रहा और अब भी बारात, जुलूस में हाथी मौजूद रहता है. उत्तर प्रदेश के आगरा में भारत का पहला हाथियों का अस्पताल खुला है. जाहिर है, हाथी जैसे विशालकाय जानवर के लिए हर चीज अलग होगी. आम जानवरों की तरह उसका इलाज नहीं किया जा सकता. देश के इस पहले हाथी के अस्पताल का उद्घाटन मथुरा जनपद में आगरा के कमिश्नर अनिल कुमार ने किया. उनके अनुसार अब आगरा को ताजमहल के अलावा प्रसिद्धी के लिए एक और कारण मिल गया है.

किसने बनाया ये अस्पताल?

 हाथियों के लिए इस अस्पताल को वाइल्डलाइफ एसओएस नाम की संस्था ने बनाया है. यह संस्था पहले ही मथुरा में हाथियों के लिए एक आश्रय एवं पुनर्वास गृह का संचालन कर रही है, जहां देश भर से रेस्क्यू किए गए हाथी रहते हैं. इस समय संस्था के आश्रय और पुनर्वास केंद्र पर 20 हाथी रहते हैं.

संस्था के सीईओ कार्तिक सत्यनारायण के अनुसार, "यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा. इस अस्पताल से हम परेशानी में और घायल हाथियों का बेहतर इलाज कर सकते हैं. इससे हमें हाथियों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी.”  

संस्था के वरिष्ठ वेटरनरी ऑफिसर डॉक्टर यदुराज खाड़पेकर के अनुसार, "बंधक से मुक्त कराए गए हर हाथी के साथ कुछ ना कुछ रहता है. जैसे उनका शरीर बहुत कमजोर हो चुका होता है क्योंकि उनको पौष्टिक भोजन नहीं मिलता. उनके पांव में घाव होते हैं. वे सामाजिक रूप से अलग थलग हो चुके होते हैं, मानसिक रूप से वे टूट चुके होते हैं और अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के लिए इंसान पर निर्भर होते हैं.”

क्या क्या है हाथी के अस्पताल में?

 जाहिर है हाथी जैसे भीमकाय जानवर के लिए हर चीज बड़ी ही होगी. पूरा अस्पताल लगभग 12,000 वर्ग फीट के एरिया में फैला है. इसमें घायल हाथियों के लिए विशेष सुविधा है, जैसे वायरलेस डिजिटल एक्सरे, जिसमें हाथी के पास मशीन ले जा कर एक्सरे किया जा सकता है.

लेजर ट्रीटमेंट और सबसे जरूरी दांत के एक्सरे की भी सुविधा है. दूसरी अन्य सुविधाएं थर्मल इमेजिंग, अल्ट्रासोनोग्राफी, हाइड्रोथेरेपी भी मौजूद है. हाथियों को बेहोश करने के लिए भी अलग बंदूक है. अकेले में हाथी को रखने की सुविधा भी बनाई गई है.

हाथी को 24 घंटे निगरानी में रखने के लिए कैमरे लगाए गए हैं. इसके अलावा यह अस्पताल अन्य विशेषज्ञों को सिखाने के लिए अच्छा एक केंद्र है.

हाथियों की स्थिति

भारत में अब भी लगभग 3000 हाथी निजी लोगों के पास हैं, जिनमे सर्कस और अन्य लोग जो हाथी से काम लेते हैं शामिल हैं. हाथी से सड़क पर भीख तक मंगवाई जाती है. 2017 के सेंसस के अनुसार भारत के जंगलों में 27,312 हाथी हैं, जबकि 2012 के सेंसस के अनुसार हाथियों की संख्या 29,391 से 30,711 के बीच थी.

यह सेन्सस एशियन नेचर कंजरवेशन फाउंडेशन द्वारा 23 राज्यों में किया गया. इस सेंसस को भारत के पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है. आंकड़ो के अनुसार कर्नाटक में सर्वाधिक 6,049 हाथी हैं, जबकि असम में 5,712 और केरला में 3,054 हाथी हैं.

आंकड़े बताते हैं कि हाथियों की संख्या लगातार घट रही है, जो कि चिंता का विषय है. विशेषज्ञों के अनुसार सौ साल पहले भारत में दस लाख हाथी थे. हाथी का यह अस्पताल आशा की किरण है, वरना आने वाले दिनों में हाथी सिर्फ जू या विडियो में ही दिखा करेंगे.

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