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ऐसे दर्शकों को डांटने का मन होता हैः अमिताभ

२४ मार्च २०१२

सांस्कृतिक कार्यक्रमो में जब कलाकारों को वो सम्मान और प्यार नहीं मिलता जिसके वे हकदार हैं तो बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन उदास हो जाते है. 69 साल के बिग बी ने हाल ही में सितार और सरोद सीखने की इच्छा जाहिर की है.

तस्वीर: AP

यह देखना वाकई उदास करने वाला होता है कि कलाकार अपनी कला दिखा रहे होते हैं और लोगों का ध्यान कहीं और होता है. अमिताभ बच्चन ने कहा, "मैने ऐसा कई बार देखा है, लोगों के सामने कलाकार प्रदर्शन कर रहे होते हैं. वो वहां अपनी कला दिखाने आए होते है किसी शादी या शाही पार्टी में माहौल बनाने के लिए नहीं. जब भी मैं ऐसा होते देखता हूं बहुत अपमान महसूस होता है, मैं शर्मिंदा होता हूं."

अमिताभ ने कहा कि यह देखना बहुत दुखदायी होता है कि लोग उनकी ओर ध्यान नहीं दे रहे होते, बावजूद इसके कलाकार पूरी तरह से समर्पित हो कर अपनी कला लोगों के सामने दिखा रहे होते हैं. इस तरह के मौकों पर अमिताभ को गुस्सा भी बहुत आता है. वह तो चाहते हैं, "मेरा तो मन होता है कि मेहमानों को डांट डपट दूं लेकिन मैं ऐसा करता नहीं. इसकी बजाए मैं चाहूंगा कि कलाकार अपने साज समेट कर वहां से चले ही जाया करें. अरे वे लोग इसके लिए सालों साल तपस्या करते हैं. नहीं मुझे ये बिल्कुल नहीं भाता. उनके तोहफे को कबूल कीजिए उनकी भावनाओं का हिस्सा बनिए."

तस्वीर: AP

जाहिर है कि अमिताभ का कलाकार मन दूसरे कलाकार के अपमान को सहन नहीं कर पाता और इससे कौन इनकार कर सकता है कि सच्चे कलाकार सिर्फ तारीफ और सम्मान के भूखे होते हैं. अमिताभ का कहना है, "वो तारीफ चाहते हैं, ढूंढते रहते हैं कि कोई शख्स उनकी कला को सराहेगा लेकिन दुखद है कि ऐसा होता नहीं...परिस्थितियां उन्हें मजबूर करती हैं लेकिन बहुत लोग हैं जिनमें आत्मसम्मान, आदर और मर्यादा का भान ज्यादा होता है. वो लोग अपनी बात कह देते हैं फिर या तो लोगों उनके कार्यक्रम में दिलचस्पी दिखाते हैं या फिर वो खुद ही चले जाते हैं. मैं इसकी तारीफ करता हूं."

अमिताभ ने इस बारे में मनमोहन देसाई का जिक्र किया है. मनमोहन देसाई के साथ उनकी जोड़ी ने उनके करियर की कुछ सबसे हिट फिल्में दी हैं. अमिताभ बताते है कि मनमोहन देसाई कलाकारों की ओर दर्शकों का ध्यान न होने पर बेहद नाराज हो जाते थे. बकौल अमिताभ मनमोहन देसाई उस थिएटर में कभी नहीं जाते जिसमें उनकी फिल्में चल रही हों. ऐसा नहीं कि वो वहां जाना ही नहीं चाहते, लेकिन उसके सहयोगी और स्टाफ उन्हें वहां नहीं जाने देते. इसकी भी एक बड़ी खास वजह है. अमिताभ याद करते हैं, "उनकी कुछ फिल्मों के दौरान जब उन्होंने देखा कि कोई बात कर रहा है या फिर हॉल के बाहर जा रहा है तो अपनी सीट से उठ कर उस शख्स के पास जाते और फिर बेहद गुस्से के साथ या तो उसे चुप करा देते या फिर बिठा देते और बाहर नहीं जाने देते."

अमिताभ को उनकी यह बात बहुत ज्यादा पसंद है. कहते हैं, "मैं उन्हें कई और वजहों से पसंद करता हूं लेकिन यह बात उनमें सबसे ऊपर है." अमिताभ ने यह बातें अपने ब्लॉग पर कही हैं.

रिपोर्टः पीटीआई/एन रंजन

संपादनः एम गोपालकृष्णन

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