अमेरिका ने शरण मांगने वालों के लिए नए नियमों का एक मसौदा तैयार किया है. ये नियम गैरकानूनी ढंग से अमेरिका पहुंचे लोगों के शरण मांगने पर रोक लगाते हैं.
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अमेरिका अब ऐसे लोगों को कोई रियायत नहीं देगा जो गैरकानूनी ढंग से देश के भीतर घुसकर शरण के लिए दावा करते हैं. आंतरिक सुरक्षा विभाग और न्याय विभाग की ओर से उठाए जा रहे कदमों का मकसद अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर शरणार्थियों को रोकना है. मौजूदा नियमों के तहत कोई भी प्रवासी व्यक्ति अमेरिका पहुंचने के एक साल बाद शरणार्थी दर्जे के लिए दावा कर सकता है, भले ही उस व्यक्ति ने गैरकानूनी ढंग से सीमा पार की हो. नए नियम उन प्रवासियों पर प्रतिबंध लगाएंगे जो अवैध ढंग से सीमा पार कर अमेरिका पहुंचते हैं.
अमेरिका के न्याय विभाग ने साफ किया है, "जो लोग वैध रास्तों के अलावा किसी और रास्ते से अमेरिका के भीतर प्रवेश कर रहे हैं वे जानबूझ कर कानून तोड़ रहे हैं."
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुस्लिम देशों पर ट्रैवल बैन को जायज ठहराते हुए देश की सुरक्षा से जुड़ी राष्ट्रपति की खास शक्तियों की जो दलील ट्रंप ने उस वक्त दी थी वे उसी का इस्तेमाल करेंगे. ट्रैवल बैन पर ट्रंप प्रशासन के फैसले को निचली अदालतों ने असंवैधानिक करार दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कई मुस्लिम देशों के नागरिकों के अमेरिका में आने पर प्रतिबंध को जायज ठहराया.
यह कदम ऐसे वक्त में लिए जा रहे हैं जब मध्य अमेरिकी देशों के करीब 7000 से ज्यादा लोगों का एक कारवां अमेरिका की तरफ बढ़ा चला जा रहा है. इसमें बड़ी तादाद में महिलाएं और बच्चे भी हैं.
जानकार मान रहे हैं कि ट्रैवल बैन की ही तरह संभव है कि शरणार्थियों का ये मसला भी कानूनी पेचीदगियों में फंसेगा. नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था अमेरिकन सिविल लिबर्टी यूनियन (एसीएलयू) का कहना है कि आप्रवासन और राष्ट्रीयता कानून में साफ बताया गया है कि वैध या अवैध तरीके से सीमा पार कर देश में प्रवेश करने वाले सभी लोगों को आश्रय का अनुरोध का अधिकार दिया जाना चाहिए. एसीएलयू में आप्रवासी अधिकारों के निदेशक उमर जादवत ने कहा, "अमेरिकी कानून लोगों को शरण के आवेदन अधिकार देते हैं फिर चाहे वह प्रवेश वैध रास्तों से हो या नहीं. इसे किसी एजेंसी या राष्ट्रपति के आदेश से बदलना गैरकानूनी है."
नए नियमों का सबसे ज्यादा असर ग्वाटेमाला, होंडुरास और सल्वाडोर से आने वाले प्रवासियों पर पड़ेगा, जो गरीबी और हिंसा के चलते घरबार छोड़ कर भाग रहे हैं. पिछले सालों में अमेरिका में शरण मांगने के दावों में बढ़ोतरी हुई है. साल 2017 में करीब 3.30 लाख शरणार्थी आवेदन देश को मिले थे, वहीं देश की इमीग्रेशन कोर्ट में पहले से ही 8 लाख शरणार्थी आवेदन लंबित हैं. हालांकि ट्रंप इस मसले पर फिलहाल कोई रियायत देते नजर नहीं आते. शरणार्थी कारवां के मद्देनजर सीमा पर 5600 सैन्य टुकड़ियों को तैनात किया गया है. कयास लगाए जा रहे हैं कि टुकड़ियों की संख्या बढ़ाकर जल्द ही सात हजार कर दी जाएगी. तैनात किए गए सैनिकों में से कई डॉक्टर और इंजीनियर भी हैं.
दुनिया की सबसे कड़ी सीमाएं
धरती के सीने पर खींची गई सरहदें कई बार देशों के साथ साथ दिलों को भी बांट देती हैं. दुनिया के कुछ ऐसे ही कठोर बॉर्डर...
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Sultan
पाकिस्तान-भारत: 'लाइन ऑफ कंट्रोल'
1947 में ब्रिटिश शासकों से मिली आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध 1949 तक चला था. तभी से कश्मीर इलाके को दोनों देशों के बीच एक लाइन ऑफ कंट्रोल से बांटा गया. मुस्लिम-बहुल आबादी वाला पाकिस्तान अधिशासित हिस्सा और हिन्दू, बौद्ध आबादी वाला भारत का कश्मीर. इस लाइन के दोनों ओर पूरे कश्मीर को हासिल करने का संघर्ष आज भी जारी है. 1993 से अब तक यहां हुई हिंसा में 43,000 लोग मारे जा चुके हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Singh
सर्बिया-हंगरी: बाल्कन रूट के केंद्र में
2015 के शरणार्थी संकट के प्रतीक बन चुके हैं ऐसे दृश्य. सर्बिया और हंगरी के बीच बिछी रेल की पटरियों पर चलकर यूरोप में आगे का सफर करते लोग. सितंबर में इस क्रासिंग को बंद कर दिया गया लेकिन यूरोप के भीतर खुली सीमा होने के कारण ऐसे और रूटों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
तस्वीर: DW/J. Stonington
कोरिया का अंधा पुल
पिछले 62 सालों से दक्षिण और उत्तर कोरिया के बीच की सीमा बंद है और उस पर कड़ा सैनिक पहरा रहता है. दक्षिण कोरिया की तरफ से जाते हुए अगर आपको ऐसा साइन बोर्ड दिखे तो वहां से आगे बढ़ने के बाद आप वापस इस तरफ नहीं आ सकेंगे. 1990 के दशक के अंत से करीब 28,000 उत्तर कोरियाई अपनी सीमा पार कर दक्षिण कोरिया में आ चुके हैं.
तस्वीर: Edward N. Johnson
अमेरिका-मैक्सिको का लंबा बॉर्डर
मैक्सिको से लगी इस सीमा को अमेरिकी "टॉर्टिया वॉल" कहते हैं. यहां दीवार और बाड़ खड़ी कर करीब 1126 किलोमीटर लंबा बॉर्डर खड़ा किया गया है. पूरी पृथ्वी में इतनी कड़ी निगरानी वाली कोई दूसरी सीमा नहीं है. यहां करीब 18,500 अधिकारी बॉर्डर सुरक्षा में तैनात हैं.
तस्वीर: Gordon Hyde
हर दिन 700 को देश निकाला
कड़ी सुक्षा व्यवस्था के बावजूद गैरकानूनी तरीके से मैक्सिको से अमेरिका जाने वाले प्रवासियों की संख्या काफी बड़ी है. केवल 2012 में ही लगभग 67 लाख लोगों ने सीमा पार की. हर दिन ऐसी कोशिश करने वाले करीब 700 लोग मैक्सिको वापस लौटाए जाते हैं.
तस्वीर: DW/G. Ketels
मोरक्को-स्पेन: गरीबी और गोल्फ कोर्स
मोरक्को से लगे स्पेन के दो एन्क्लेव मेलिया और सिउटा को लोग यूरोप पहुंचने का रास्ता मानते हैं. अफ्रीका के कई देशों से लोग अच्छे जीवन की तलाश में इसी तरफ से यूरोप पहुंच कर शरण मांगने की योजना बनाते हैं. कई लोग सीमा पर बड़ी बाड़ों को चढ़ कर पार करने की कोशिश करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
ब्राजील-बोलीविया: हरियाली किधर?
उपग्रह से मिले चित्र दिखाते हैं कि वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण ब्राजील के अमेजन के जंगल काफी कम हो गए हैं. पिछले पचास सालों में जंगलों के क्षेत्रफल में करीब 20 फीसदी कमी आई है. हालांकि अब बोलीविया में भी वनों की कटाई एक बड़ी समस्या बन कर उभर रही है.
तस्वीर: Nasa
हैती-डोमिनिक गणराज्य: एक द्वीप, दो विश्व
देखिए एक ही द्वीप पर स्थित दो देश इतने अलग भी हो सकते हैं. डोमिनिक गणराज्य पर्यटकों की पसंद रहा है जबकि हैती दुनिया के सबसे गरीब देशों में शामिल है. बेहतर जीवन की तलाश में हैती से कई लोग डोमिनिक गणराज्य जाना चाहते हैं. बढ़ती मांग को देखते हुए 2015 में डोमिनिक गणराज्य ने आप्रवास के नियम सख्त किए हैं. तबसे करीब 40,000 हैतीवासी अपने देश वापस लौटे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Bueno
मिस्र-इस्राएल: एक तनावपूर्ण शांति
एक ओर रेगिस्तान तो दूसरी ओर घनी आबादी - यह सीमा मिस्र की मुस्लिम-बहुल और इस्राएल की यहूदी-बहुल आबादी के बीच खिंची है. करीब 30 सालों से चली आ रही शांति के बाद हाल के समय में सीमा पर कुछ हिंसक वारदातों और कड़ी सैनिक निगरानी की खबर आई है. 2013 के अंत तक इस्राएल ने इस सीमा पर बाड़ लगाने का काम पूरा कर लिया था.
तस्वीर: NASA/Chris Hadfield
तीन देश, एक सीमा
दुनिया के कुछ हिस्सों में सीमाओं पर कोई दीवार, बाड़ या सैनिक निगरानी नहीं होती. जर्मनी, ऑस्ट्रिया और चेक गणराज्य की इस सीमा पर एक तीन-तरफा पत्थर इसका सूचक है. शेंगेन क्षेत्र के इन तीनों देशों के बीच खुली सीमाएं हैं. फिलहाल शरणार्थी संकट के चलते यहां अस्थाई बॉर्डर कंट्रोल लगाना पड़ा है.
तस्वीर: Wualex
इस्राएल-वेस्ट बैंक: पत्थर की दीवार
साल 2002 से इस 759 किलोमीटर लंबी सीमा पर विवादित दीवारें और बाड़ें बनाई गई हैं. येरुशलम के इस घनी आबादी वाले क्षेत्र (तस्वीर) में दोनों के बीच कंक्रीट की नौ मीटर ऊंची दीवार बनाई गई है. 2004 में अंतरराष्ट्रीय अदालत ने फलिस्तीनी क्षेत्र में दीवार खड़ी करने को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया.