ऑटोमेटेड खेती के लिए तैयार होता चीन
१६ जनवरी २०१९चीनी प्रशासन का मानना है कि बिना ड्राइवर के फसल काटने वाली मशीनें देश के कृषि क्षेत्र का भविष्य हैं. पूर्वी चीन के जिन्हुआ में ऐसी ही एक मशीन खेत में तेजी से चावल काटते देखी जा सकती है.
पिछले साल इस मशीन का परीक्षण हुआ था. सरकार ने कंपनियों से कहा है कि सात साल के अंदर उनको ऐसी मशीनें बनानी हैं जो बिना इंसान के सभी प्रमुख फसलें जैसे धान, गेहूं और मकई उगा सके.
इन मशीनों का इस्तेमाल करना दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के कृषि क्षेत्र के लिए बहुत जरूरी हो गया है. चीनी गांवों में रहने वाले लोग ज्यादातर बुजुर्ग हैं और जवान लोगों को कृषि क्षेत्र में काम करने में कोई दिलचस्पी नहीं है.
ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में भी ऐसी मशीनों पर काम हो रहा है. चूंकि चीन का कृषि क्षेत्र सबसे बड़ा है इसलिए उनके लिए ये मशीनें ज्यादा जरुरी हैं. ट्रैक्टर निर्माता चांगझौ डोंगफेंग सीवीटी कंपनी लिमिटेड के महाप्रबंधक चेंग यू का कहना है, "ऑटोमेटेड खेती ही भविष्य है और इसकी मांग भी बहुत तेजी से बढ़ रही है." सीवीटी कंपनी ने भी जिन्हुआ में अपनी एक मशीन का परीक्षण किया था. ऑटोमेटेड खेती की राह आसान नहीं हैं क्योंकि देश में हर तरह के इलाके हैं और सब खेतों में बड़ी मशीनों की जगह नहीं हैं. चीन के उत्तरी हेबेई प्रांत के एक गेहूं किसान ली गुओयोंग का कहना है, "मैने बिना ड्राइवर वाले ट्रैक्टर देखे हैं. मगर मुझे नहीं लगता कि वे चलेंगे, खासतौर पर बड़े वाले." उनके इलाके में कई कुछ ही हेक्टेयर के हैं.
स्थानीय टेक्नोलॉजी को बढ़ावा
अपना सात साल की महत्त्वाकांक्षी योजना को पूरा करने के लिए बीजिंग स्थानीय टेक्नोलॉजी को सहारा दे रहा है. सारे परिक्षण उद्योग समूह टेलीमैटिक्स इंडस्ट्रीज ऐप्लिकेशन अलायंस के माध्यम से आयोजित हो रहे हैं. कुछ अन्य प्रांतों में अलग अलग इलाकों में अगले परीक्षण होने वाले हैं.
वाईटीओ ग्रुप ने अपना पहला बिना ड्राइवर वाला ट्रैक्टर 2017 में बना लिया था और कंपनी बहुत ही जल्दी बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरु करना चाहती है. मगर ये सब मांग पर निर्भर करेगा.
हांगकांग ब्रोक्रिज सीएलएसए में चीन औद्योगिक अनुसंधान के मुखिया एलेक्स ली का मानना है कि "चीन में ऑटोनॉमस टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से आगे बढ़ेगी क्योंकि चीनी कंपनियों के पास स्थानीय उपग्रह नेविगेशन प्रणाली है, जो उनको अपने अंतरराष्ट्रीय साथियों से आगे ले जा रही है."
वह चीन के 'बेइदो' उपग्रह नेविगेशन सिस्टम का जिक्र कर रहे थे जो अमेरिकी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम का प्रतिद्वंद्वी है. बीजिंग ने अपनी "मेड इन चाइना 2025" योजना में खेती में काम आने वाली मशीनों को भी रखा है. इसका मतलब ये है कि 2025 तक खेती में काम आने वाली ज्यादातर मशीनें चीन में बनेंगी. सेमीऑटोमेटेड टेक्नोलॉजी अमेरिकी के कुछ इलाकों में पहले से प्रचलित है मगर पूरी तरह से ऑटोमेटेड टेक्नोलॉजी अभी कही नहीं बनाई गई है.
छोटे छोटे खेत
चीन के कई खेत आम ट्रैक्टरों के लिए भी सही नाप के नहीं हैं तो उनसे चार गुना बड़े और मंहगे बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर वहां कैसे सफल हो पाएंगे. बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर चौंसठ लाख रुपये तक के आते हैं. चीन में 90 प्रतिशत खेत एक हेक्टेयर से भी कम हैं. वहीं अमेरिका में 90 प्रतिशत खेत पांच हेक्टर से ज्यादा हैं. जानकारों का मानना है कि भूमि अधिकारों में सुधार की वजह से किसानों को ज्यादा जमीन मिलनी चाहिए. जिआंगसु विश्वविद्यालय के कृषि उपकरण इंजीनियरिंग स्कूल के उप निदेशक वी सिन्हुआ का कहना है, "मशीनों में लगने वाले सेंसर को और बेहतर बनाना चाहिए ताकि वे बदलती परिस्थिती के हिसाब से काम कर सकें." जानकारों का कहना है कि ये कहना जल्दबाजी होगी कि ऑटोमेटेड टेक्नोलॉजी वाली मशीनों का सेक्टर कितना सफल होगा.
एनआर/आरपी (रॉयटर्स)