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भारत की डिजीटल भुगतान प्रणाली में बड़ी चूक

३० जुलाई २०२०

भारत में डिजीटल भुगतान प्रणाली की रीढ़ समझे जाने वाले नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) में 40 से भी ज्यादा सुरक्षा संबंधी कमजोरियां हैं, जिनमें से कुछ तो भारी जोखिम वाली हैं.

Singapur Mann scannt QR-Code eines digitalen Abfertigungssystems
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Yk Chan

यह तथ्य सामने आए हैं एनपीसीआई के एक सरकारी ऑडिट में, जिस से संबंधित एक आंतरिक दस्तावेज की जानकारी रॉयटर्स को मिली है. ऑडिट नवंबर 2018 से फरवरी 2019 तक चला था और उसमें नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) में निजी डाटा के एन्क्रिप्शन की कमी को विशिष्ट रूप से दर्शाया गया. एनपीसीआई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बढ़ावा दिए जाने वाले रुपे कार्ड को चलाता है.

मार्च 2019 के इस सरकारी दस्तावेज के अनुसार 16 अंकों के कार्ड नंबर और ग्राहकों के नाम, खातों के नंबर और राष्ट्रीय पहचान नंबर इत्यादि जैसी निजी जानकारी का कुछ डाटाबेस में प्लेन टेक्स्ट में, यानी बिना कोड किए, भंडारण पाया गया. ऐसे में अगर प्रणाली में किसी ने सेंध लगाने की कोशिश की तो यह डाटा एकदम असुरक्षित होगा. इस ऑडिट की जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है.

एनपीसीआई ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से एक वक्तव्य में कहा कि संस्थान का ऑडिट नियमित रूप से होता रहता है और प्रबंधन में वरिष्ठ अधिकारी ऑडिट के सभी नतीजों की समीक्षा करते रहते हैं और फिर ऑडिट करने वालों की संतुष्टि के अनुसार उपचारात्मक कदम भी उठाए जाते हैं. वक्तव्य में यह भी बताया गया, कि इस प्रक्रिया में वो नतीजे भी शामिल हैं जिनके बारे में रॉयटर्स ने बताया है.

भारत में डिजिटल भुगतान का प्रचलन बढ़ रहा है.तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/N. Kachroo

भारत के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा संयोजक राजेश पंत के कार्यालय ने ऑडिट का संयोजन किया था. पंत ने एक वक्तव्य में रॉयटर्स को बताया, "पिछले साल की रिपोर्ट में जितने भी बिंदु सामने लाए गए थे एनपीसीआई ने उनके समाधान की पुष्टि कर दी है."

पंत ने यह भी कहा कि साइबर हमलों को कम करने के लिए ऑडिट सबसे अच्छा तरीका है और सभी उपक्रम समय समय पर ऑडिट कराते रहते हैं. यह ऑडिट इसलिए किया गया था ताकि प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को साइबर हमलों के खिलाफ एनपीसीआई की तैयारी के बारे में बताया जा सके. प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय ने टिप्पणी के लिए रॉयटर्स के अनुरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

ऑडिट के नतीजे एनपीसीआई के सामने डाटा सुरक्षा की चुनौतियों को रेखांकित करते हैं. एनपीसीआई इंटर-बैंक ट्रांसफर, एटीएम लेन-देन और डिजीटल भुगतान जैसी सेवाओं के जरिए रोजाना अरबों डॉलर की धनराशि संसाधित करता है. ये एक गैर लाभकारी कंपनी है जिसका गठन 2008 में किया गया था. मार्च 2019 तक 56 बैंक इसके शेयरधारक थे, जिनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, सिटीबैंक और एचएसबीसी जैसे बैंक शामिल हैं.

रुपे को विशेष रूप से प्रधानमंत्री मोदी ने काफी उत्साहपूर्वक ढंग से समर्थन दिया है और उसके इस्तेमाल राष्ट्रीय कर्त्तव्य के जैसा बताया है. अक्टूबर 2019 तक भारत में जारी होने वाले करीब 90 करोड़ डेबिट और क्रेडिट कार्डों में से लगभग दो-तिहाई कार्ड रुपे कार्ड ही थे.

सीके/एए (रायटर्स)

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