ऑनलाइन बुर्का और जानमाज
६ दिसम्बर २०१२पहली नजर में तो सेलिशा.डीई एक सामान्य ऑक्शन इंटरनेट वेबसाइट दिखता है, जहां लोग चीजें बेचते, खरीदते हैं और बोली लगती है. बस यहां हैलो सलाम अलैकुम से होती है और हर सर्च बिस्मिल्लाह से. दो साल से यह ऑनलाइन दुकान चल रही है. इसकी खासियत है कि यहां मुसलमानों को पसंद आने वाली चीजें मिलती हैं. चाहे वह गुलाबी रंग का हिजाब हो या फिर चमकती प्लास्टिक घड़ी जिसमें अजान का अलार्म लगा हो. इतना ही नहीं दिशा बताने वाली मशीन भी मिलती है. यह बताती है कि मक्का किस दिशा में है, ताकि उधर मुंह करके नमाज पढ़ी जा सके.
हैम्बर्ग के छात्र सलीम रईद ने सेलिशा.डीई की शुरुआत की. वह कहते हैं, "सिर्फ जर्मनी में ही मेरे जैसे 35 लाख मुसलमान रहते हैं. ईबे जैसे ऑनलाइन पोर्टल हमारी जरूरतों के हिसाब से नहीं बने हैं. कभी कभी एकाध जानमाज मिल जाता है लेकिन वह भी एक ही रंग में."
ऐसी मुश्किलें सईद खत्म करना चाहते थे. उत्तरी जर्मनी में रहने वाले सईद ने हाल ही में मुस्लिमटैक्सी नाम की कार शेयरिंग सेवा शुरू की जो सिर्फ मुसलमानों के लिए है.
उनका परिवार शुरू में डर रहा था कि क्या ऑनलाइन आइडिया सफल होगा. लेकिन आज की तारीख में यह बहुत जानी मानी इंटरनेट कंपनी बन गई है. यहां लोगों को जल्दी चीजें मिलती हैं. वह खरीद और बेच सकते हैं और बोली तो लगा ही सकते हैं, "हम इंटरनेट सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को देखते रहते हैं और टेस्ट भी कर सकते हैं." ईबे में ऐसा हो सकता है कि बोली लगाने वाले का कोई दोस्त कीमत ऊंची करने के लिए साथ में बोली लगाए. यह गैरकानूनी है लेकिन इसकी जांच के लिए कड़े नियम नहीं हैं. लेकिन सलीम रईद ऐसा नहीं होने देते.
ज्यादा महिलाएं
यह आइडिया कुछ महीने पहले फातिमा को भी जंचा. वह राइनलैंड इलाके के एक गांव में रहती हैं और इस इंटरनेट दुकान से वह बहुत खुश हैं." मुझे पहले कई किलोमीटर दूर बड़े शहर में जाना पड़ता ताकि मैं नया हिजाब खरीद सकूं."
यहां उन्हें सुंदर सुंदर कपड़े मिलते हैं. ब्रा और पैंटी बेचने के लिए प्लास्टिक के मॉडल इस्तेमाल किए जाते हैं. असली महिलाओं को दिखाने की अनुमति नहीं है. फातिमा कहती हैं, "मुसलमान होने के तौर पर मेरे लिए यह ठीक है. मैं घर बैठे कंप्यूटर पर क्लिक कर जो चाहे खरीद सकती हूं. मुझे कोई देखता भी नहीं. जो मुझे चाहिए सब मिल जाता है. और एक बार में मिलता है." इस पोर्टल पर मुस्लिम साहित्य, हज से जुड़ी चीजें और सामान मिल जाता है.
सलीम कहते हैं सेलिशा वेबसाइट पर किसी तरह के अपमानजनक, जातिवादी बातों पर पूरी तरह से रोक है. यह आरोप कि इस तरह की वेबसाइट से समाज बंटता. सलीम रईद और फातेमा इन बातों से पूरी तरह इनकार करते हैं. वह जर्मनी को अपना घर कहते हैं और इस्लाम को धर्म मानते हैं. उनका सिर्फ एक ही लक्ष्य है कि सभी जर्मनों की तरह ही वह भी इंटरनेट में तेजी से और आसानी से शॉपिंग कर सकें.
रिपोर्टः एगुल चिस्मेसिओग्लू/आभा मोंढे
संपादनः अनवर जमाल अशरफ